
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट 2023 के मुताबिक, पिछले वर्ष देश में 13,892 छात्रों ने आत्महत्या की। यह संख्या बीते दस वर्षों में सबसे अधिक है। आंकड़ों के अनुसार, 2023 में हुई कुल आत्महत्याओं का 8.1% हिस्सा छात्र वर्ग से जुड़ा रहा।
रिपोर्ट बताती है कि बीते साल कुल 1.71 लाख से अधिक लोगों ने अपनी जान दी। इनमें बेरोजगार लोगों की संख्या 14,234 रही, जो कुल मामलों का 8.3% है। हालांकि 2022 में बेरोजगारों की आत्महत्याओं का आंकड़ा अधिक था। 15,783 यानी कुल का 9.2%।
राज्यों के हिसाब से महाराष्ट्र में छात्रों की आत्महत्या के सबसे ज्यादा 2,046 मामले दर्ज हुए। यह संख्या देशभर के छात्र आत्महत्या मामलों का 14.7% है। मध्य प्रदेश (1,459), उत्तर प्रदेश (1,373) और तमिलनाडु (1,339) भी उच्च संख्या वाले राज्यों में शामिल हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों में आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह परीक्षा में असफलता रही। इस कारण 1,303 बच्चों ने अपनी जान दी, जो कुल आत्महत्याओं का 1.8% है। इतनी ही संख्या बेरोजगारी के कारण आत्महत्या करने वालों की रही।
पिछले दस साल के आंकड़े बताते हैं कि 2014 से 2023 के बीच छात्रों की आत्महत्या में 72.9% की वृद्धि हुई है। केवल 2023 में ही पिछले वर्ष की तुलना में 848 अधिक छात्रों ने अपनी जान दी। यह वृद्धि दशक में तीसरी सबसे बड़ी रही।
2020 में 2,100 से अधिक और 2015 में 900 से अधिक का इजाफा दर्ज हुआ था। वहीं, 2022 में इसमें थोड़ी कमी आई थी। 2023 में कुल आत्महत्याओं में छात्रों की हिस्सेदारी 0.5 प्रतिशत अंक बढ़ी।