
नई दिल्ली । केंद्र ने सोमवार को नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आॅफ नागालैंड-खापलांग (एनएससीएन-के) और उसके सभी गुटों, शाखाओं और प्रमुख संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंध को 5 साल के लिए और बढ़ाने का फैसला किया। गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया है कि यह प्रतिबंध 28 सितंबर से 5 साल की अवधि के लिए प्रभावी होगा।
गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया कि एनएससीएन-के भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ गतिविधियों में शामिल रहा है। संगठन का उद्देश्य एक अलग संप्रभु नागालैंड बनाना है। जिसमें भारत-म्यांमार सीमा क्षेत्र के सभी नागा-बहुल इलाके शामिल हों।
अधिसूचना के अनुसार, यह संगठन उल्फा (आई) और पीएलए जैसे अन्य गैरकानूनी संगठनों से जुड़ा रहा है। यह फिरौती के लिए अपहरण, वसूली, गैरकानूनी हथियार रखने और विदेशी ताकतों से मदद लेने जैसी गतिविधियों में भी शामिल पाया गया है। सरकार ने कहा कि अवैध गतिविधियां (निवारण) अधिनियम, 1967″ की धारा 3(1) के तहत एनएससीएन-के और इसके सभी गुटों व सहयोगी संगठनों को गैरकानूनी संगठन घोषित किया जाता है।
गौरतलब है कि एनएससीएन-के कई दशकों से प्रतिबंधित है और हर पांच साल में यह बैन बढ़ाया जाता है। इसके प्रमुख एसएस खापलांग का 2017 में निधन हो गया था। अब संगठन का नेतृत्व उनके दो डिप्टी कर रहे हैं।वहीं, प्रतिद्वंद्वी गुट एनएससीएन-आईएम वर्तमान में केंद्र सरकार के साथ शांति वार्ता में है ताकि नागालैंड की सात दशकों पुरानी उग्रवाद समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सके।