स्मार्ट मीटर के खिलाफ मथुरा में प्रदर्शन:व्यापारियों ने किया आंदोलन

मथुरा। उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं के यहां लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर का अब विरोध होने लगा है। सोमवार को मथुरा के वृंदावन में व्यापारियों ने पैदल मार्च करते हुए अपने गुस्से का इजहार किया। व्यापारी और स्मार्ट मीटर से परेशान लोग मार्च करते हुए बिजली घर तक प्रदर्शन किया। इस दौरान बिजली घर पर कोई अधिकारी न मिलने पर जमकर नारेबाजी की।
स्मार्ट मीटर के खिलाफ अब लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। सोमवार को व्यापारी संगठन और आम नागरिक नगर निगम के चुंगी चौराहा पर एकत्रित हुए। जहां से रंग जी बिजली घर तक पैदल मार्च किया। हाथों में बैनर लिए प्रदर्शन करते हुए लोग रंग जी बिजली घर पहुंचे जहां जमकर नारेबाजी की।
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे व्यापारी नेता धनेंद्र अग्रवाल बॉबी ने बताया- अटकरढ योजना के तहत प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाये जाने की प्रक्रियाओं की शिकायतें आ रही है। बिना किसी पूर्व सूचना उपभोक्ता की बिना सहमति से मीटर जबरन बदले जा रहे है जिससे जनता में नाराजगी और अविश्वास का वातावरण बन रहा है।
मिली आंकड़ों के अनुसार, जिन उपभोक्ताओं के मीटर बदले गये है। उनके बिलों में अप्रत्याशित ढंग से वृद्धि देखने को मिली है। जिसके कारण उपभोक्ताओं में असंतोष देखने को मिल रहा है। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47 (5) के अन्तर्गत उपभोक्ता को प्रीपेड अथवा पोस्टपेड मीटर चुनने का अधिकार है।
धनेंद्र अग्रवाल ने बताया कि विभाग की लापरवाही के चलते उपभोक्ता का मीटर विभाग के पोर्टल पर या विभाग के रिकॉर्ड में नहीं चढ़ पाता है जब कि परिसर में मीटर लगा दिया जाता है। जिसके चलते महीनों तक उसको कोई बिल नहीं मिल पाता है फिर अचानक से उसको कई महीनों का लाखों का बिल थमा दिया जाता है।
विभाग के कठोरतम रवैया के चलते उसको जमा कराने का दबाव बनाया जाता है। जिसमें उपभोक्ता की कोई भी कैसी भी गलती नहीं है फिर भी उपभोक्ता का शोषण किया जाता है। जो उसके अन्दर पारदर्शिता को खत्म करने का काम करता है। यदि उपभोक्ता और विभाग में पारदर्शिता ही नहीं होगी तो जनता में रोष व्याप्त होगा जिसके अनिष्टकारी कारण हो सकते हैं।
प्रदर्शन करने पहुंचे लोगों ने बताया कि नया कनेक्शन लेने पर अब 6016 रुपए चुकाने होंगे। पहले सिंगल फेज मीटर का चार्ज 872 रुपए था। अब सिर्फ स्मार्ट प्रीपेड मीटर ही लगाए जाएंगे। बिजली उपभोक्ताओं पर 6 गुना अधिक बोझ पड़ने वाला है। यदि यह कार्य बिना किसी जनसमर्थन और पारदर्शिता के साथ किया जाता है या अस्पष्ट जानकारी के साथ जारी रहता है तो क्षेत्र में जन आन्दोलन की स्थिति बन सकती है। जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी विभाग की होगी।