जीएसटी सुधार से वित्त वर्ष 2026 में खुदरा महंगाई 3.1 फीसदी पर रहने का अनुमान

नई दिल्ली । जीएसटी सुधार से आने वाले दिनों में रोजमर्रा की वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें कम होनी शुरू हो सकती है। बैंक आॅफ बड़ौदा की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में समग्र मुद्रास्फीति (सीपीआई) लगभग 3.1 प्रतिशत पर स्थिर या इससे और भी कम रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दिनों में महंगाई दर में और नरमी देखी जा सकती है। सरकार द्वारा अप्रत्यक्ष करों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक धीरे-धीरे पहुंचेगा, जिससे महंगाई पर दबाव कम हो सकता है। अनुमान जताया गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 में औसतन सीपीआई महंगाई 3.1% पर रहेगी, हालांकि इसमें गिरावट का जोखिम बना हुआ है।
इसमें कहा गया है कि अगस्त 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर में राहत देखने को मिली है। खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार गिरावट की वजह से खुदरा महंगाई अगस्त में घटकर सालाना आधार पर 2.1% रही। पिछले वर्ष अगस्त 2024 में यह दर 3.7% दर्ज की गई थी।
अगस्त 2025 में खाद्य महंगाई के मोर्चे पर राहत का सिलसिला जारी रहा। ताजा आंकड़ों के अनुसार सब्जियों, फलों, मांस-मछली और अंडों की कीमतों में बड़ी नरमी देखने को मिली है। यहां तक कि तिलहन की कीमतें भी कुछ कम हुई हैं। हालांकि घरेलू स्तर पर इनके दामों पर नजर रखने की जरूरत बनी हुई है क्योंकि बुवाई की रफ्तार सुस्त पड़ी है।
मौसमी रूप से समायोजित के आधार पर उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक अगस्त में महीने-दर-महीने 0.8% बढ़ा। वहीं, बैंक आॅफ बड़ौदा के इन-हाउस इकोनॉमिक कंडीशन इंडेक्स के अनुसार सितंबर 2025 के शुरूआती 10 दिनों में यह -0.9% पर रहा, जो आगे कीमतों में और नरमी के संकेत देता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मौसम से जुड़ी बाधाओं का असर प्रमुख सब्जियों टमाटर, प्याज और आलू (टीओपी) की आपूर्ति पर नहीं पड़ा है। दूसरी ओर, कोर महंगाई स्थिर बनी हुई है और सोने को छोड़कर कोर महंगाई निम्न स्तर पर बनी रही है।