एआई से आईटी सेवाओं में मंदी का खतरा, 2030 तक राजस्व में हो सकती है 20 फीसदी की गिरावट

नई दिल्ली । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण वर्ष 2025 से 2030 के बीच वैश्विक आईटी सेवा क्षेत्र में करीब 20 फीसदी राजस्व में गिरावट होने की संभावना है। जेफरीज की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार एप्लिकेशन सेवाओं और बीपीओ (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) में उत्पादकता में अधिक बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। वहीं कंसल्टिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेवाओं पर इसका असर अपेक्षाकृत कम होगा। खासतौर पर हाई-मार्जिन सेगमेंट जैसे एप्लिकेशन मैनेज्ड सर्विसेज और बीपीओ में एआई का प्रभाव सबसे अधिक दिखाई देगा। अनुमान है कि एआई कंसल्टिंग, एप्लिकेशन सर्विसेज, इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज और बीपीओ सर्विसेज में पांच से 35 फीसदी तक उत्पादकता बढ़ोतरी ला सकता है।
मंदी के तीन प्रमुख कारण
नई आईटी खर्च पर रोक झ्र कंपनियां आशंकित हैं कि तेजी से बढ़ती एआई तकनीक उनके निवेश को जल्दी अप्रासंगिक बना सकती है।
राजस्व में गिरावट झ्र एआई से होने वाली उत्पादकता बढ़ोतरी 2025-30 के दौरान मौजूदा आईटी सेवाओं के राजस्व में लगभग पांचवा हिस्सा कम होने की उम्मीद है।
पिछले निवेश से अधूरे लाभ झ्र 2021 से 2024 के बीच एंटरप्राइजेज ने हर साल करीब 280 अरब डॉलर अतिरिक्त तकनीकी खर्च किया। यह 2016-20 के औसत 130 अरब डॉलर से दोगुना से भी ज्यादा है। लेकिन अब तक इन भारी निवेशों से ग्राहकों को पूरी तरह लाभ नहीं मिला है।
रिपोर्ट के अनुसार, एआई से होने वाली राजस्व में गिरावट, एआई-प्रेरित विकास से पहले देखने को मिलेगी। इसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2027 में एआई से जुड़ी राजस्व गिरावट शुरूआती वर्षों में ज्यादा असर डाल सकती है। वहीं एआई से होने वाला नया खर्च लंबे समय में ही तेजी पकड़ पाएगा।
रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि यह गिरावट 2024-29 के दौरान आईटी सेवाओं की ग्रोथ को सीमित कर केवल 1.5 से 3 फीसदी सीएजीआर तक ला सकता है, जबकि पहले इस सेक्टर ने दहाई अंकों की तेज वृद्धि का अनुभव किया था।
गैर-एआई संबंधित आईटी सेवाओं में केवल एक से तीन फीसदी सालाना वृद्धि का अनुमान है। इसके चलते कुल आईटी सेवाओं पर खर्च में बढ़ोतरी तो होगी, लेकिन यह रफ्तार पहले जैसी तेज नहीं रह पाएगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, मिड-साइज आईटी कंपनियों पर एआई से होने वाली राजस्व गिरावट का खतरा बड़ी कंपनियों की तुलना में ज्यादा है। हालांकि, रिपोर्ट यह भी मानती है कि ये कंपनियां बेहतर ग्रोथ देने की स्थिति में होंगी। मिड-साइज आईटी फर्म्स मार्केट शेयर हासिल करने में अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में हैं, इसलिए एआई-जनित चुनौतियों के बावजूद ये कंपनियां उच्च वृद्धि दर्ज कर सकती हैं।