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भारत ने तांबे पर 50 फीसदी टैरिफ को लेकर अमेरिका से मांगा परामर्श, जल्द बातचीत होने की उम्मीद

नई दिल्ली । भारत ने तांबे के उत्पादों पर लगाए गए 50% शुल्क को लेकर मंगलवार को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सुरक्षा समझौते के तहत अमेरिका के समक्ष परामर्श की मांग रखी है। यह कदम भारत की तरफ से इस्पात, एल्युमीनियम व वाहन कलपुर्जों पर अमेरिकी शुल्क के जवाब में चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने का अधिकार सुरक्षित रखने के बाद उठाया गया है।
अमेरिका ने इस वर्ष 30 जुलाई को तांबे के कुछ उत्पादों के सभी आयात पर 50 फीसदी शुल्क लगाने का उपाय अपनाया था। यह उपाय इस साल एक अगस्त से असीमित अवधि के लिए लागू किया गया। डब्ल्यूटीओ के एक पत्र में कहा गया, भारत का मानना है कि यह कदम वैसे तो सुरक्षा हितों के लिए उठाए जाने का दावा किया गया है, वास्तव में एक सुरक्षा उपाय है। यह पत्र भारतीय प्रतिनिधिमंडल के अनुरोध पर प्रसारित किया जा रहा है।
इसमें कहा गया है कि अमेरिका ने सुरक्षा उपाय लागू करने के निर्णय के बारे में विश्व व्यापार संगठन की सुरक्षा समिति को सूचित नहीं किया है। इसलिए भारत अमेरिका के साथ परामर्श का अनुरोध करता है। विश्व व्यापार संगठन ने आगे कहा, भारत इस अनुरोध पर अमेरिका से जल्द से जल्द उत्तर पाने और परामर्श के लिए पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथि और स्थान निर्धारित करने की आशा करता है।
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) महानिदेशक नगोजी ओकोन्जो-इवेला ने मंगलवार को कहा कि पिछले 80 वर्षों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली में सबसे बड़े व्यवधान के बीच विश्व व्यापार संगठन की शर्तों पर होने वाले वैश्विक व्यापार का हिस्सा घटकर 72% रह गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से अधिकांश व्यापारिक साझेदारों पर उच्च आयात शुल्क लगाना शुरू किए जाने के बाद से विश्व व्यापार संगठन के सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (एमएफएन) की शर्तों के तहत होने वाले वैश्विक व्यापार में कमी आई है।
इस सिद्धांत के तहत डब्ल्यूटीओ सदस्यों को दूसरों के साथ समान व्यवहार करना आवश्यक है। जिनेवा स्थित व्यापार नियामक संस्था की प्रमुख ने एक साक्षात्कार में यह भी कहा कि जब तक अधिकांश व्यापार एमएफएन शर्तों पर हो रहा है, मुझे लगता है कि हमें खुश होना चाहिए। हम 50% कमी के आंकड़े से अभी काफी दूर हैं।

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