जीवन शैली

स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, नियमित योगाभ्यास करें और घर का बना खाना खाएं।

गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज में मंगलवार को एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में तनाव प्रबंधन, फास्ट फूड, स्वास्थ्य, और भारतीय ज्ञान परंपरा तथा राष्ट्रीय पोषण सप्ताह पर चर्चा की गई।

प्रिंसिपल डॉ. एनएल गुप्ता ने छात्रों को बताया कि तनाव प्रबंधन के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना बेहद आवश्यक है। उन्होंने जोर दिया कि पर्याप्त नींद लेना, संतुलित आहार लेना और नियमित व्यायाम करना चाहिए। डॉ. स्नेहलाता मुजलदा ने कहा कि जंक फूड को छोड़कर घर का बना खाना खाने से आवश्यक पोषण मिलता है। इससे मोटापे, हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है।

डॉ. सुनीता भील ने स्वास्थ्य के महत्व को समझाते हुए कहा कि स्वास्थ्य ही असली धन है। उन्होंने बताया कि पैसे होने के बावजूद अगर स्वास्थ्य सही नहीं है तो जीवन का आनंद नहीं लिया जा सकता। स्वास्थ्य हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता प्रदान करता है और हमें आत्मविश्वास देता है।

कार्यक्रम में -चार्ज डॉ. प्रियंका देओरा ने भी अपनी बातें रखीं। उन्होंने कहा कि फास्ट फूड संस्कृति में सुविधा और मानकीकृत स्वाद पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जबकि पारंपरिक भोजन हमारे सांस्कृतिक विरासत, क्षेत्रीय स्वाद और बेहतर पोषण का प्रतिनिधित्व करता है। डॉ. स्मिता यादव और नग्मा अली ने भी इस विषय पर विशेष समर्थन किया।

इस संवाद में उपस्थित छात्रों को बताया गया कि जीवन में असली खुशियों का आधार स्वास्थ्य ही होता है। यदि हम अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखेंगे, तो जीवन का कोई भी अन्य क्षेत्र खुशहाल नहीं रह सकता। डॉ. गुप्ता ने उदाहरण दिया कि किस तरह से एक संतुलित आहार और नियमित व्यायाम न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होते हैं।

तनाव प्रबंधन पर चर्चा करते हुए, डॉ. मुजलदा ने बताया कि कैसे मानसिक तनाव को कम करने के लिए योग और ध्यान जैसी प्रथाएँ सहायक हो सकती हैं। उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया कि वे अपने दिनचर्या में कुछ समय ध्यान और योग के लिए अवश्य निकालें। यह न केवल उनके मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि उनके एकाग्रता में भी वृद्धि करेगा।

इस दौरान, डॉ. भील ने यह भी बताया कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए सामाजिक संसाधनों का अवलोकन करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने सुझाव दिया कि छात्रों को अपने परिवार और मित्रों के साथ संवाद करना चाहिए, क्योंकि एक खुली बातचीत मानसिक तनाव को कम करने में बहुत सहायक होती है।

फास्ट फूड के विषय में, डॉ. प्रियंका ने तर्क किया कि फास्ट फूड जिन खाद्य पदार्थों का निर्माण करने में उपयोग किया जाता है, वो हमारे संसाधनों का अच्छा उपयोग नहीं करते हैं। उन्होंने बताया कि पारंपरिक भोजन न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है। एक अच्छी तरह से संतुलित आहार, जिसमें फल, सब्जियाँ, अनाज और स्वास्थ्यवर्धक वसा शामिल हों, हमारे शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं।

डॉ. स्मिता यादव ने कहा कि हमें अपने बच्चों को बचपन से ही पोषण के महत्व के विषय में शिक्षित करना चाहिए। अगर युवा पीढ़ी को सही खान-पान के बारे में जागरूक किया जाए, तो वे जीवन में अधिक स्वस्थ रहेंगे और बेहतर निर्णय ले सकेंगे।

इस कार्यक्रम में छात्रों को अपनी दिनचर्या में इन महत्वपूर्ण तथ्यों को शामिल करने के लिए प्रेरित किया गया। उन्हें यह बताया गया कि वे अपनी खुद की भोजन संबंधी आदतों में परिवर्तन कर सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ सकते हैं।

अंत में, सभी वक्ताओं ने मिलकर एक संकल्प लिया कि वे अपने जीवन में स्वास्थ्य को प्राथमिकता देंगे और दूसरों को भी इसी दिशा में प्रेरित करेंगे। इस प्रकार का कार्यक्रम केवल वक्तव्य देने तक सीमित नहीं था, बल्कि यह सभी के लिए एक वास्तविक परिवर्तन का अवसर था।

कार्यक्रम ने सभी उपस्थित लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाई, और यह संदेश दिया कि हमारे भोजन और जीवनशैली के चुनाव का प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। जिस प्रकार से फास्ट फूड ने हमारे समाज में जगह बनाई है, उसे बदलने के लिए आवश्यक है कि हम पारंपरिक और स्वास्थ्यवर्धक भोजन की ओर लौटें।

यह संवाद कार्यक्रम सभी के लिए एक प्रेरणादायक अनुभव रहा और इसमें चर्चा की गई सभी बातें छात्रों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होंगी।

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