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जीएसटी काउंसिल की बैठक: आम आदमी के लिए राहत, ‘0’ कर वाली वस्तुओं की सूची देखें

जीएसटी काउंसिल की बैठक: संभावित बदलाव और शून्य कर वस्तुएँ

वर्तमान में, सभी की नज़रें जीएसटी काउंसिल की संभावित बैठक पर टिकी हुई हैं, जो 3 से 4 सितंबर के बीच नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी। इस आगामी बैठक में जीएसटी स्लैब और जीएसटी कट को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने की संभावना है। इस लेख में हम उन वस्तुओं पर चर्चा करेंगे जिन पर कर को शून्य तक कम करने का विचार हो रहा है।

कौन से आइटम ‘0’ कर लगाए जाएंगे?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 47 वस्तुओं का एक सेट है जिन पर शून्य कर लगाया जा सकता है। मतलब ये है कि इन वस्तुओं पर कर का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

शून्य कर उन वस्तुओं पर लागू किया जा सकता है जो हमारी दैनिक जरूरतों में शामिल हैं। इनमें पनीर, पिज्जा ब्रेड, खाखरा, चपाती और रोटी जैसे आवश्यक खाद्य पदार्थ शामिल हो सकते हैं।

इसके अलावा, कुछ स्टेशनरी सामग्रियों, चिकित्सा उपकरणों और दवाओं पर भी या तो शून्य कर होगा या फिर 5 प्रतिशत कर लगाया जा सकता है। वहीं, हानिकारक वस्तुओं पर जीएसटी बढ़ाया जा सकता है।

इससे पहले पेट्रोलियम और सोने-हीरे जैसी वस्तुओं पर कर पहले की तरह एक निश्चित दर पर लगाया जाएगा, लेकिन इस संबंध में सरकार की ओर से भी कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।

जीएसटी टैक्स संरचना में संभावित बदलाव

जैसा कि मीडिया रिपोर्टों में उल्लेखित किया गया है, जीएसटी टैक्स स्लैब में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं।

  • 12 प्रतिशत टैक्स स्लैब वाले उत्पादों का लगभग 99 प्रतिशत अब 5 प्रतिशत श्रेणी में आ जाएगा।
  • 28 प्रतिशत टैक्स स्लैब वाले उत्पादों को 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब में शामिल किया जा सकता है। इस तरह, कुल कर 10 प्रतिशत तक कम हो सकता है।

आम लोगों पर प्रभाव

यदि ये परिवर्तन लागू होते हैं, तो इसका सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा। आवश्यक वस्तुओं पर कर घटने से केवल उपभोक्ताओं को ही नहीं, बल्कि उद्योगों को भी राहत मिलेगी।

उदाहरण के लिए, खाद्य पदार्थों पर शून्य कर लगने से घरेलू व्यय में कमी आएगी। इससे न केवल उपभोक्ताओं की खरीद शक्ति बढ़ेगी, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने में भी मददगार हो सकता है।

जीएसटी का भविष्य

जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद, जो भी निर्णय लिए जाएंगे, उनका प्रभाव दीर्घकालिक होगा। यदि करों में कटौती होती है, तो यह न केवल उपभोक्ताओं के लिए बल्कि छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है।

विभिन्न उत्पादों पर कर में बदलाव से उद्योग को नई दिशा मिल सकती है। इससे व्यवसायों को अपनी उत्पादन प्रक्रिया को पुनर्गठन करने का अवसर मिलेगा, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।

निष्कर्ष

जीएसटी काउंसिल की होने वाली बैठक में प्रस्तावित बदलावों और शून्य कर वस्तुओं पर चर्चा ने सभी का ध्यान खींचा है। निर्णयों का प्रभाव न केवल उपभोक्ताओं बल्कि समग्र अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।

आशा है कि बैठक में लिए गए निर्णय आम जनता के हित में होंगे और देश की आर्थिक प्रगति में नए आयाम जोड़ेंगे। समय के साथ, सभी को इन संभावित बदलावों का बेसब्री से इंतज़ार है।

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