यमुना बाढ़ चेतावनी: मथुरा में आज स्थिति बिगड़ सकती है, जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है।

यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, बाढ़ का खतरा बढ़ा
यमुना नदी का जल स्तर मथुरा में धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है, जिससे बाढ़ का खतरा अधिक गंभीर हो गया है। प्रशासन ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का काम शुरू कर दिया है और राहत कार्य भी चल रहे हैं। खदर क्षेत्र के 20 हजार घरों में जल घुसने का खतरा पैदा हो गया है, जो लोगों के लिए चिंता का विषय है। ताज्वला बांध से पानी जारी करने की वजह से स्थिति और भी खराब हो सकती है।
मथुरा के खदार क्षेत्र में जल स्तर ने कई गांवों को द्वीप में बदल दिया है। मंगलवार की शाम को जल स्तर खतरे के निशान 166 मीटर से 40 सेमी बढ़कर पहुंच गया। सोमवार को ताज्वला बांध से छोड़ा गया पानी बुधवार रात तक मथुरा पहुंच जाएगा। ऐसे में अगले 24 से 48 घंटे बहुत ही खतरनाक हो सकते हैं, जिसके चलते लोग बाढ़ के खतरे से बचने के लिए अपने घरों की छतों पर डेरा डालकर रह रहे हैं।
गांवों में लोगों को नावों और स्टीमर की मदद से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। वृंदावन के परिक्रमा मार्ग में भी पानी आ गया है, जिससे प्रशासन ने अग्रिम आदेश तक स्कूल-कॉलेजों को बंद करने का निर्णय लिया है। यह स्थिति उन लोगों के लिए और भी खतरनाक है, जो बाढ़ के कारण अपने घरों से दूर जा रहे हैं।
सोमवार को ताज्वला बांध से छोड़े गए तीन लाख क्यूसेक पानी का प्रभाव अब मथुरा में साफ दिखने लगा है। मंगलवार को जारी किए गए दो लाख क्यूसेक पानी ने स्थिति को और अधिक गंभीर बना दिया है। ओखला डैम से भी सुबह 61,968 क्यूसेक पानी जारी किया गया, जो शाम तक बढ़कर 88,000 क्यूसेक हो गया। इस प्रकार, यमुना के किनारे की स्थिति तेजी से बिगड़ती जा रही है।
खदर के कालोनियों में बाढ़ का खतरा
मंगलवार शाम को प्रयाघाट में जल स्तर 166.40 मीटर के ऊपर पहुंच गया, जो पिछले खतरे के निशान से बढ़ गया है। वर्ष 2023 में यमुना का जल स्तर 167.35 मीटर तक पहुंचा था, जिससे हालात काफी खराब हो गए थे। प्रशासन को आशंका है कि इस बार भी ऐसी स्थिति बन सकती है।
खदर के उपनिवेशों और गांवों में बाढ़ से जनसंख्या पर गंभीर असर पड़ा है। मथुरा-वृंदावन क्षेत्र में लगभग 20,000 घर हैं, जिनमें से आधी आबादी को जल स्तर की बढ़ोतरी के चलते खतरा है। अगर स्थिति और बिगड़ती है तो बाकी घर भी पानी की चपेट में आ जाएंगे।
वृंदावन में पानी के कारण यातायात में बाधा
वृंदावन के कई सड़कों पर पानी भर गया है और कुछ गांव पूरी तरह से द्वीपों में बदल गए हैं। प्रशासन की टीमें लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने के लिए जानकारी दे रही हैं और चेतावनी दे रही हैं कि लोग किसी भी हालत में घाट पर नहीं जाएं और किनारे से दूर रहें।
कई क्षेत्रों में यातायात बंद हो गया है, और सुरक्षा के लिहाज से बिजली विभाग ने 1400 घरों की बिजली काट दी है। इससे स्थानीय लोगों को और अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पानी की कमी के कारण पीने के पानी की आपूर्ति भी प्रभावित होने की आशंका है।
सरकारी अधिकारियों ने बाढ़ निगरानी के लिए बैठकें आयोजित की हैं और प्रभावित गांवों में राहत कार्य तेज़ कर दिए हैं। प्रशासनिक कर्मचारियों ने ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए स्टीमर की सहायता से निकाला। लगभग दो दर्जन बच्चों और महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
राहत कार्य और आपदा प्रबंधन
आवश्यक राहत कार्य शुरू कर दिया गया है, जिसमें बाढ़ के प्रभावी क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना शामिल है। इस दिशा में प्रशासन ने तेजी से काम किया है। मथुरा में अब तक 913 लोगों को राहत केंद्रों में शिफ्ट किया गया है, जिनमें से अधिकांश लोग छाता, मोंट और महावन तहसीलों से आए हैं।
बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में भोजन और राशन किट का वितरण किया जा रहा है। प्रशासन ने आवश्यकतानुसार भोजन की गुणवत्ता की भी जाँच की है ताकि प्रभावित लोगों को कोई परेशानी न हो।
इसके अतिरिक्त, पशुओं को भी सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का कार्य चल रहा है। लगभग 375 जानवरों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है।
निष्कर्ष
बाढ़ की इस स्थिति ने मथुरा के लोगों को एक बार फिर से संकट में डाल दिया है। प्रशासन और समुदाय के प्रयास जरूरी हैं ताकि इस संकट को दूर किया जा सके। सभी को सचेत रहने और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने की जरूरत है ताकि बाढ़ के इस संकट से निपटा जा सके।
सावधानी बरतें
बाढ़ की इस स्थिति में लोगों को अपने घरों में रहने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी जा रही है। प्रशासन द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। सभी को चाहिए कि वे अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा का ध्यान रखें और जरूरत पड़ने पर सहायता के लिए प्रशासन से संपर्क करें।