7 सितंबर के चंद्र ग्रहण, पूर्णिमा और श्राद्ध के संबंध में जानकारी और ज्योतिष केInsights।

चंद्र ग्रहण 7 सितंबर: एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना
परिचय
7 सितंबर 2025 को, भारत में एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होने वाला है, जो वर्ष का अंतिम चंद्र ग्रहण है। इस घटना का महत्व ना केवल खगोलीय दृष्टि से है, बल्कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम जानेंगे कि यह ग्रहण भारत में कब शुरू होगा, कब समाप्त होगा, और इसके सुताक काल के बारे में भी।
ग्रहण का समय और विवरण
चंद्र ग्रहण सुबह 7:00 बजे से शुरू होगा। इसके मध्य का समय 11:41 बजे होगा, और ग्रहण का अंत 1:27 बजे के आसपास होगा। इसका अर्थ यह है कि लगभग 6 घंटे तक यह खगोलीय घटना चलने वाली है।
इस साल, 7 सितंबर को दो ग्रहण का योग भी देखने को मिलेगा। पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को होगा, जो भद्रापद महीने के पूर्णिमा पर होगा। इसके बाद, 21 सितंबर को एक सौर ग्रहण होगा, जो पितृ पक्ष की अमावस्या के अंत में आएगा। इस प्रकार, पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू होगा, जो पितरों की शांति और तर्पण के लिए एक महत्वपूर्ण समय है।
सुताक काल: क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?
ग्रहण के दौरान एक विशेष समय होता है, जिसे “सुताक काल” कहा जाता है। यह वह समय होता है जब ग्रहण के प्रभाव का सबसे अधिक असर होता है। इस वर्ष, चंद्र ग्रहण की सुताक अवधि 9 घंटे पहले शुरू होगी, जो 12:57 मिनट से प्रारंभ होगी। इस दौरान कुछ धार्मिक गतिविधियों से बचने की सलाह दी जाती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस काल के दौरान विभिन्न अनुष्ठान और तर्पण का कार्य करना अधिक फलदायी माना जाता है। इसीलिए, सुताक काल के पहले वाले समय में तर्पण और श्राद्ध कर्म करना उचित रहेगा।
धार्मिक और सामाजिक प्रभाव
पितृ पक्ष के समय में, श्रद्धा समारोह और तर्पण के महत्व को समझना बेहद जरूरी है। 7 सितंबर को पूर्णिमा के दिन पितृों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने का विशेष महत्व है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन कई लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
jyotirvid pt। दीवाकर त्रिपाठी ने बताया कि इस ग्रहण का योग 19 वर्षों बाद आया है। पितृ पक्ष में श्रद्धा कर्म केवल भद्रपद शुक्ला पक्ष पूर्णिमा पर ही किया जा सकता है। इस दिन आपको अपने पूर्वजों के प्रति विदाई का समारोह करना चाहिए, ताकि उनके आत्मा को शांति प्राप्त हो सके।
ग्रहण के समय में किए गए दान और श्राद्ध कर्मों का फल बहुत अधिक होता है। इस दिन दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है और आत्मा की शांति होती है।
ग्रहण से जुड़े कुछ अन्य बातें
ग्रहण के दौरान, तर्पण के साथ-साथ अन्य धार्मिक गतिविधियों का भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। जैसे कि:
- तर्पण और श्राद्ध: श्राद्ध कर्म न केवल परंपरा के अनुसार किया जाना चाहिए, बल्कि इस दौरान इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह समय बहुत सटीक और पवित्र है।
- दान का महत्व: लोगों को इस दिन दान देने की सिफारिश की जाती है। पहले से पता कर लें कि किस प्रकार का दान करना उचित रहेगा।
- ध्यान और साधना: ग्रहण के समय साधना और ध्यान करना भी लाभदायक होता है। यह आत्मिक शांति और मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
समापन
7 सितंबर 2025 का चंद्र ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है, जब हमें अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने का मौका मिलता है। इस दिन का पालन करना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखता है।
यह ग्रहण हमें एक नया दृष्टिकोण देता है, हमारी आस्था को मजबूत करता है, और हमें याद दिलाता है कि हम अपने पूर्वजों के प्रति जिम्मेदार हैं। इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए, ताकि हम अपने परिवार और समाज के लिए बेहतर कर सकें।
विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, ग्रहण के समय और सुताक काल का ध्यान रखते हुए अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। इस प्रकार, हम न केवल इस खगोलीय घटना के प्रभावों से बचते हैं, बल्कि अपने आत्मिक विकास के लिए भी इसे एक महत्वपूर्ण अवसर बना सकते हैं।
इस ग्रहण के अवसर पर, अपने पूर्वजों को सीमित करने का अवसर न चूकें और उनका आभार व्यक्त करें। ग्रहण के बाद भी दान और श्राद्ध कर्म करना न भूलें, यह भविष्य में पुण्य का भागीदार बनेगा।
कुल मिलाकर, 7 सितंबर का चंद्र ग्रहण हमें एक अपार अवसर प्रदान करता है, जिसे हमें सही तरीके से निभाना होगा।