आगरा

बांसल एजेंसी और फर्मों की जांच में 80 करोड़ का कारोबारी घोटाला, स्टॉकिस्ट ड्रग बिक्री से जुड़े बिना।

आगरा में, दवा विभाग ने बंसल मेडिकल एजेंसी और इससे जुड़ी कुछ फर्मों पर छापा मारा। जांच के दौरान पता चला कि ये फर्म बिना किसी स्टॉकिस्ट के करोड़ों का कारोबार कर रही थीं। वे पुदुचेरी और मुंबई जैसे राज्यों से दवाएं खरीदती और बेचती थीं और स्टॉकिस्ट की तुलना में कम कीमत पर दवाएं उपलब्ध कराती थीं। अन्य दवा फर्मों की जांच भी अभी जारी है।

जांच के दौरान दवा विभाग की टीम ने बंसल मेडिकल एजेंसी के निदेशक संजय बंसल के भाई मुकेश बंसल के एमएसवी मेडी पॉइंट की तलाशी ली। इस दौरान 60 लाख की दवाओं का एक स्टॉक बरामद किया गया, जिसका मिलान किया जा रहा था।

बंसल मेडिकल एजेंसी के मामले में, यह सामने आया कि संजय बंसल और उनके भाई तथा भतीजे ने दो अन्य फर्मों के नाम पर कारोबार शुरू किया है, जबकि ये सभी फर्म किसी भी दवा कंपनी के अधिकृत स्टॉकिस्ट नहीं हैं। इसके बावजूद, ये बहुराष्ट्रीय कंपनियों की दवाओं को विभिन्न राज्यों से जैसे कि पुदुचेरी और मुंबई से खरीदे जा रहे थे।

सहायक दवा आयुक्त अतुल उपाध्याय ने बताया कि जब कोई दवा कंपनी का थोक चिकित्सा लाइसेंस प्राप्त करता है, तो वह स्टॉकिस्ट बन जाता है और अपनी दवाएं कंपनी से खरीदता है। ये दवाएं कंपनी के एमआरपी से 23 प्रतिशत कम दाम में उपलब्ध कराई जाती हैं, जिसमें पांच से आठ प्रतिशत मुनाफा लेकर इन्हें मेडिकल स्टोर संचालकों को बेचा जाता है। बंसल मेडिकल एजेंसी, जो गिगिया मार्केट में स्थित है, लगभग 36 साल पुरानी है।

पूरे 12 वर्षों तक, ताज मेडिकल का संचालन संजय बंसल के भतीजे शोबिट बंसल के नाम पर हो रहा है।另一方面, एमएसवी मेडी पॉइंट को चार साल पहले मुकेश बंसल के नाम पर बंसल मेडिकल एजेंसी के तहत चलाया जा रहा है। ये तीनों फर्म किसी भी कंपनी के स्टॉकिस्ट नहीं हैं और ये विभिन्न राज्यों से जैसे पुदुचेरी, चेन्नई, मुंबई, और दिल्ली से सस्ती दवाएं खरीदते हैं।

वर्तमान में, थोक ड्रग मार्केट में लगभग 1200 फर्में मौजूद हैं, जिनमें से केवल 30 प्रतिशत यानी 400 फर्में फार्मास्युटिकल कंपनियों के स्टॉकिस्ट हैं। इनकी वार्षिक बिक्री लगभग आठ से 10 करोड़ है, जो हाल के वर्षों में बाजार में सस्ती दर पर दवाएं बेचने वाले विक्रेता के कारण लगातार घट रही है। दवा विभाग की कार्रवाई के चलते कई दवा की दुकानें बंद हो चुकी हैं।

सहायक दवा आयुक्त अतुल उपाध्याय ने यह भी बताया कि जेल भेजे गए हिमांशु अग्रवाल को श्री मेडिको और दीपक सिंघल की जांच के लिए अधिवक्ताओं द्वारा संपर्क किया गया है। उन्हें अदालत से अनुमति प्राप्त करने के लिए कहा गया है ताकि आगे की जांच की जा सके। ओ मां मेडिको और श्री राधे मेडिकल शॉप और गोदाम को दवा विभाग की टीम ने सील कर दिया। ओ मां मेडिको से करीब 2.13 करोड़ की दवाएं जब्त की गई थीं, इसके बावजूद दुकान और गोदाम में करोड़ों का स्टॉक मौजूद रहता है।

इस स्थिति ने यह स्पष्ट किया है कि आगरा में दवा व्यवसाय में अनियमितताएं और अव्यवस्थाएं बढ़ती जा रही हैं। दवा विभाग द्वारा की गई ये कार्रवाई इस बात का संकेत है कि वे इस समस्या को गंभीरता से ले रहे हैं और दवा बाजार में अनुशासन लाने की कोशिश कर रहे हैं।

बिजनेस की इस स्थिति पर ध्यान देने के लिए जरूरी है कि सभी stakeholders जैसे कि दवा निर्माता, वितरक और विक्रेता, आपको अधिक जिम्मेदार और पारदर्शी तरीके से काम करने की जरूरत है। उनके लिए अपने कार्यों को उचित ठहराना जरूरी है ताकि वे सुनिश्चित कर सकें कि उनके ग्राहकों को सुरक्षित और प्रभावशाली दवाएं मिल रही हैं।

जांच के परिणाम आने के बाद, उम्मीद की जा रही है कि दवा विभाग और सख्त कदम उठाएगा ताकि ऐसे अवैध कारोबार को रोका जा सके। इसके साथ ही, दवा व्यवसाय में जो लोग सोचते हैं कि वे अतिरिक्त मुनाफे के लिए नियमों का पालन नहीं करेंगे, उन्हें इसके गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।

दवा विभाग के इस अभियान से उम्मीद की जा रही है कि अन्य व्यापारी भी सतर्क होंगे और कानून का पालन करेंगे। इससे दवा बाजार में सुधार होगा और लोग सुरक्षित और प्रमाणित दवा प्राप्त कर सकेंगे।

दवा विभाग की यह पहल न केवल आगरा में, बल्कि पूरे देश में अवैध दवा कारोबार को खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विस्तृत जांच और अनकवर किए गए सबूतों से ये भी साफ नजर आता है कि दवा की इमानदारी और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

इस तरह की कार्रवाई से हमेशा एक प्रभावी संदेश मिलता है कि दवा व्यवसाय एक गंभीर जिम्मेदारी है और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही या धोखाधड़ी को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इससे न केवल दवा खरीदने और बेचने वालों की मानसिकता में बदलाव आएगा, बल्कि इससे ग्राहकों का विश्वास भी मजबूत होगा।

उम्मीद है कि आगे से दवा व्यापारी और निर्माता नियमों का पालन करते हुए अपनी वैधता और ईमानदारी बनाए रखेंगे ताकि दवा क्षेत्र में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनी रहे और लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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