मथुरा

यमुना बाढ़ चेतावनी: प्रशासन की सलाह, नदी के पास न जाएं; मथुरा के कई गांवों के लोग फंसे।

मथुरा में यमुना का जल स्तर बढ़ने से संकट

मथुरा में यमुना का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे ग्रामीण इलाकों और खादर क्षेत्रों में स्थिति गंभीर होती जा रही है। पानी कई गांवों में प्रवेश कर चुका है, जिसके कारण लोग अपने घरों में फंस गए हैं और फसलों को नुकसान पहुंचा है। प्रशासन ने एक अलर्ट जारी किया है और लोगों को सलाह दी है कि वे यमुना किनारे जाने से बचें।

यमुना का जल स्तर शुक्रवार को दिनभर बढ़ता रहा और शाम को काफी उच्च स्तर पर पहुंच गया। नदी का बढ़ता जल स्तर अब ग्रामीण इलाकों में पहुंचने लगा है, जिसके कारण लोगों को अपने घरों में कैद होना पड़ा है। इस स्थिति से निपटने के लिए पुलिस को सड़कों का यातायात रोकना पड़ा। हजारों एकड़ की फसलें पहले ही नष्ट हो चुकी हैं और अब मवेशियों के लिए चारा भी नहीं मिल रहा है।

खेत और खलिहान फिर से जलमग्न हो गए हैं। यमुना के दायरे में बढ़ोतरी के कारण स्थिति खतरनाक हो गई है। प्रशासन ने शहर से ग्रामीण इलाकों में चेतावनी जारी की है कि लोग यमुना किनारे जाने से बचें और मवेशियों को खादर क्षेत्र के उपनिवेशों से दूर रखें।

यमुना का पानी तेजी से छतरी तहसील के बाबुगरह गांव में प्रवेश कर गया है। ग्रामीणों का कहना है कि फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं, और पशुओं के लिए चारे की भारी कमी हो गई है। गांव के प्रधान गोविंद सिंह का कहना है कि जल स्तर पहले की तरह तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन प्रशासनिक मदद के लिए कोई भी अधिकारी गांव नहीं पहुंचा है। लोग अपने गांवों में कैद हैं, और जो लोग बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें खतरनाक प्रवाह का सामना करना पड़ रहा है।

नोहजिल-शरगढ़ रोड पर जल स्तर इतना बढ़ गया कि पुलिस को रास्ते को बंद करना पड़ा। एक ट्रक भी इस मार्ग पर भरे पानी को पार करते समय पलट गया, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई। ग्रामीण अपने जीवन को खतरे में डालकर रास्ते पार करने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए पुलिस ने सड़क बंद कर दी है। बाढ़ का पानी अब विभिन्न गांवों में, जैसे माताओं और वृंदावन खादर क्षेत्र में, घरों और खेतों में घुस चुका है।

वृंदावन खादर के सौरगारी वन क्षेत्र में भी पानी ने कई कॉलोनियों में प्रवेश करना शुरू कर दिया है। मथुरा शहर से जुड़े जाइशसपुरा के गणेश तिला इलाके में भी जल प्रवेश हो चुका है। यमुना का पानी सड़कों में बह रहा है, जिससे लोगों को ऊंचे स्थानों या बाढ़ राहत शिविरों की ओर जाना पड़ रहा है।

पिछले कुछ दिनों में यमुना का जल स्तर तेजी से बढ़ा है। गुरुवार को प्रयाघाट का जल स्तर 165.55 मीटर से बढ़कर 165.62 मीटर हो गया। शुक्रवार सुबह 6 बजे ये आंकड़ा 165.69 मीटर, सुबह 10 बजे 165.74 मीटर और शाम को 7 बजे 165.85 मीटर तक पहुंच गया। खतरे का निशान 166 मीटर है, यानि अभी भी यह 15 सेंटीमीटर नीचे है।

हालांकि, प्रशासन ने चेतावनी दी है कि कोई भी व्यक्ति यमुना किनारे नहीं जाए, क्योंकि पानी ने जलमग्न क्षेत्र को पूरी तरह से कवर कर लिया है। इस हालात में ये कहना भी मुश्किल है कि यह कितना खतरनाक हो सकता है। वृंदावन और मथुरा के घाटों पर स्नान पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है, क्योंकि अधिकांश सीढ़ियाँ जलमग्न हो चुकी हैं।

यही स्थिति बनती रही तो आगे और भी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। प्रशासन की ओर से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि संबंधित अधिकारी समय पर गांवों में पहुंचे और लोगों की सहायता करें। बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए राहत शिविरों की स्थापना भी की जाएगी ताकि उन्हें आवश्यक सुविधाएँ मिल सकें।

मथुरा के इस संकट में स्थानीय निवासियों को एकजुट होकर एक-दूसरे की मदद करने की आवश्यकता है। संकट के इस समय में, एक-दूसरे का सहारा बनना बेहद महत्वपूर्ण है। लोगों को चाहिए कि वे आपस में संवाद करें और जो भी सहायता करें, वह आपसी सहयोग से की जा सके।

अंत में, यह आवश्यक है कि प्रशासन और सरकार बाढ़ के कारणों की पहचान करे और आवश्यक कदम उठाए, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो। सुरक्षा व्यवस्था और मदद राहत सामग्री की आपूर्ति सही समय पर सुनिश्चित होनी चाहिए। इस स्थिति में नागरिकों की जवाबदेही भी बढ़ जाती है कि वे सतर्क रहें और प्रशासन की गोष्ठियों में सक्रियता से हिस्सा लें।

मथुरा की स्थिति गंभीर है, लेकिन यदि हम सभी एकजुट होकर काम करें, तो हम इस कठिन समय को पार कर सकते हैं।

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