चिराग पासवान ने कांग्रेस-आरजेडी पर प्रधामंत्री के खिलाफ अपशब्दों के प्रयोग का दोष लगाया

चिराग पासवान ने आरजेडी और कांग्रेस पर हमला किया
पटना में कांग्रेस की वोटर अधिकारी रैली में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी को लेकर केंद्रीय मंत्री और एलजेपी नेता चिराग पासवान ने कांग्रेस और आरजेडी को अपने निशाने पर लिया। चिराग ने कहा कि राजनीति में मतभेद होना स्वाभाविक है। भारत जैसे विविधतापूर्ण लोकतंत्र में हर किसी की अपनी राय और वोट होता है, और मतभेदों के कारण भाषाओं की गरिमा को कम नहीं किया जा सकता। भारतीय भाषाओं में शब्दों का इतना अच्छा संग्रह है कि गरिमामय शब्दों का प्रयोग करके तीखे प्रहार किए जा सकते हैं।
प्रधानमंत्री का अपमान बर्दाश्त नहीं
चिराग ने कहा, “देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग कोई भी बर्दाश्त नहीं कर सकता। अगर आपको प्रधानमंत्री के काम और सरकार की नीतियों से कोई समस्या है, तो आप आलोचना कर सकते हैं। लेकिन इस तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया जा सकता। उन्होंने स्थानीय गुंडों की तरह बात की है, और यह राजद की परंपरा है, जिसने 1990 के दशक से हमारे बिहार को बदनाम किया है। अब तक हम अपनी खोई हुई विरासत और सम्मान के लिए लड़ रहे हैं।”
क्या ये पार्टी के कार्यकर्ता हैं या गुंडे?
चिराग ने प्रश्न उठाया, “क्या ये आपकी पार्टी के कार्यकर्ता हैं या आपके गुंडे हैं जो अपशब्द कह रहे हैं? अगर वे शहर में लगे मंच से ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर सकते हैं, तो कल्पना ही की जा सकती है कि वे घर पर क्या-क्या शब्द इस्तेमाल करते होंगे। जब वे गांव जाते हैं, तो उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति के परिवार से क्या लेना-देना जो सार्वजनिक जीवन में भी नहीं है? उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान मेरे साथ भी ऐसा ही किया था। कांग्रेस और राजद दोनों ही इतनी पुरानी पार्टियां हैं, उन्हें कम से कम इतना तो होश आना चाहिए कि यह मुद्दा अब सरकार का नहीं रहा।”
चिराग पासवान ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय राजनीतिक संस्कृति में ऐसे शब्दों का प्रयोग स्वीकार्य नहीं है। उनका मानना है कि सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है, लेकिन उस अधिकार की एक सीमाएं होती हैं।
राजनीति का स्तर गिर रहा है
चिराग पासवान ने आगे कहा कि वर्तमान में राजनीति का स्तर गिर रहा है। राजनीतिक संवाद सुझावों और विचारों के आदान-प्रदान का होना चाहिए, न कि अपशब्दों और अभद्रता का। उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे पिछले कुछ वर्षों में बिहार में राजनीति की नैतिकता और सभ्यता में गिरावट आई है।
उन्होंने कहा, “इस प्रकार की राजनीति बिहार की संस्कृति का हिस्सा नहीं है। हमें ऐसी राजनीति से ऊपर उठना चाहिए और एक स्वस्थ लोकतांत्रिक संवाद की स्थापना करनी चाहिए।”
सामाजिक समरसता की आवश्यकता
चिराग ने यह भी कहा कि समाज में समरसता बनाए रखना आवश्यक है। राजनीतिक दलों को केवल अपने स्वार्थ के लिए मतभेद पैदा नहीं करने चाहिए। देश की एकता और अखंडता सबसे पहले आनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “हम सभी को मिलकर इस समस्या का सामना करना होगा। हमें एकता और भाईचारे को बढ़ावा देना चाहिए ताकि हम सभी मिलकर विकास की तरफ बढ़ सकें।”
निष्कर्ष
चिराग पासवान ने स्पष्ट किया कि राजनीति में भिन्नता और आलोचना का होना जरूरी है, लेकिन यह सब गरिमामय और सम्मानजनक ढंग से होना चाहिए। उन्होंने यह संदेश दिया कि भारतीय राजनीति में शालीनता का होना अनिवार्य है और सभी दलों को इस पर ध्यान देना चाहिए।
उनका बयान यह दर्शाता है कि उन्हें देश की राजनीति और सामाजिक तानों का गहराई से विचार करना चाहिए, ताकि हम एक समृद्ध और सशक्त लोकतंत्र की दिशा में अग्रसर हो सकें। चिराग के विचार एक सकारात्मक बदलाव के लिए प्रेरित करते हैं और हमें याद दिलाते हैं कि राजनीति का असली मतलब क्या होता है।