एकनाथ शिंदे ने राज ठाकरे से मुलाकात के दौरान उधव ठाकरे के साथ अपनी खुशी और बातचीत साझा की।

गणेश चतुर्थी पर महाराष्ट्र में राजनीतिक सुलह
गणेश चतुर्थी का त्योहार भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और महाराष्ट्र में इसे विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर, राजनीतिक मतभेदों को भुलाते हुए उत्सव की खुशियों में शामिल होना एक सामान्य परंपरा बन चुकी है। हाल ही में, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस त्योहार के दौरान एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे से उनकी संपत्ति पर मुलाकात की।
मुलाकात का महत्व
एकनाथ शिंदे ने सोशल मीडिया पर इस मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि वे राज ठाकरे के निवास ‘शिवाटर्थ’ पर गणपति बप्पा के दर्शन के लिए गए थे। यह एक ऐसा अवसर था जब उन्होंने न केवल भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की, बल्कि विभिन्न विषयों पर राज ठाकरे के साथ बातचीत भी की। इस अवसर पर, शिंदे ने यह स्पष्ट किया कि गणेश चतुर्थी के दौरान उनके परिवार से मिलने का यह सिलसिला हर साल चलता है।
पूरा परिवार एक साथ
शिंदे ने कहा कि हर साल वे इस अवसर पर राज ठाकरे के घर आते हैं, और इस साल उन्हें खुशी हुई कि पूरा परिवार एकत्रित हुआ। इस मुलाकात में राज ठाकरे की पत्नी, एमएनएस नेता तथा पूर्व शिवसेना MLA भी उपस्थित थे। यह बैठक तब हुई जब राज ठाकरे और उनके चचेरे भाई उद्धव ठाकरे आगामी महाराष्ट्र नागरिक चुनावों में एक साथ चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं।
ठाकरे परिवार की एकता
उद्धव ठाकरे ने भी इस त्योहार के दौरान अपने परिवार के साथ समय बिताया। दो महीने पहले, दोनों भाई 20 साल बाद एक ही मंच पर नजर आए थे। यह एक विशेष क्षण था, जहां परिवार की एकता और सहयोग का संदेश साफ दिखाई दे रहा था। सोशल मीडिया पर साझा की गई तस्वीरों में, दोनों भाई अपने दादा केशव और पिता श्रीकांत तथा बाल ठाकरे की तस्वीर के पीछे खड़े नजर आ रहे हैं।
अतीत के मतभेद
यह ध्यान देने योग्य है कि राज ठाकरे ने 2005 में शिवसेना को छोड़कर अपनी अलग पार्टी बनाई थी, और इसके लिए उन्होंने उद्धव ठाकरे को दोषी ठहराया था। लेकिन गणेश चतुर्थी के जैसे खास मौके पर, सभी मतभेद भुलाकर परिवार में एकता का संदेश दिया जाता है।
गणेश चतुर्थी का उत्सव
गणेश चतुर्थी का त्योहार केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता, परिवार की भावना और आपसी सहयोग का भी प्रतीक होता है। यह त्योहार महाराष्ट्र के लोगों के लिए एक नई ऊर्जा और ताजगी का संचार करता है, जहाँ लोग एक दूसरे के साथ मिलकर खुशियाँ मनाते हैं।
गणेश चतुर्थी के दौरान, घर-घर में भगवान गणेश की मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं और उनकी पूजा अर्चना की जाती है। लोग मिठाइयाँ बनाते हैं, एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इस अवसर पर, समाज के सभी वर्ग और समुदाय एकजुट होते हैं।
सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन
समाज में हो रहे बदलावों को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि राजनीतिक नेता भी इस त्योहार को एक अनूठे अवसर के रूप में देखें। जब राजनीतिक विभाजन की बातें होती हैं, तब इस तरह के मौकों पर एकता के प्रतीक बनना आवश्यक है। इससे समाज में सकारात्मकता और सामंजस्य का माहौल बनता है।
निष्कर्ष
अतः, गणेश चतुर्थी का त्योहार सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह समाज के विभिन्न पक्षों को एक साथ लाने का एक मंच है। एकनाथ शिंदे और राज ठाकरे की मुलाकात इस बात का प्रमाण है कि जब सही समय आता है, तब विभिन्न राजनीतिक विचारधाराएँ भी एक साथ आ सकती हैं। इस प्रकार, यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि हमें सामूहिकता में शक्ति की महत्ता को समझना चाहिए और विभिन्न मतभेदों से ऊपर उठकर एकजुट होकर आगे बढ़ना चाहिए।
गणेश चतुर्थी के इस मौके पर, सभी को मिलकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प लेना चाहिए, ताकि हम सभी एक बेहतर, खुशहाल और समृद्ध समाज की ओर बढ़ सकें।