रूस की बढ़ती आक्रामकता के बीच यूरोप में लोहे की दीवारें खड़ी की जा रही हैं। यह रणनीति कितनी सफल साबित हो रही है? – यूक्रेन-रूस युद्ध पर नज़र।

रूस-यूक्रेन संघर्ष और उसके प्रभाव
आधुनिक समय में, विश्व के कई देशों ने युद्ध का सामना किया है, जहां रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा संघर्ष सबसे प्रमुख है। यह युद्ध केवल एक क्षेत्रीय मुद्दा नहीं है; यह वैश्विक राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। रूस के समर्थन में कुछ देश हैं, जबकि अन्य पूरी तरह से यूक्रेन के साथ खड़े हैं। हालाँकि, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद परिस्थितियाँ बदलने लगीं। उन्होंने शांति की बात की, जबकि युद्ध की हर गतिविधि जारी रही, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि युद्ध की समाप्ति दूर है। इस संदर्भ में, रूस की बढ़ती आक्रामकता से आसपास के देशों में डर और आशंका का माहौल है।
रूस के साथ सीमाई देश
रूस के 16 देशों के साथ सीमाएँ हैं, जो इसे दुनिया का सबसे लंबा भूमि सीमा वाला देश बनाते हैं। इन देशों में नॉर्वे, फिनलैंड, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, पोलैंड, बेलारूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, अज़रबैजान, कज़ाख़स्तान, चीन, मंगोलिया, और उत्तर कोरिया शामिल हैं।
रूस के संबंध
रूस के नवस्थापित मित्रता के लिए कोरिया, चीन और मंगोलिया के साथ अच्छे रिश्ते हैं। अज़रबैजान और कज़ाख़स्तान भी सोवियत संघ का हिस्सा रहे हैं, और सांस्कृतिक एवं भाषाई समानताएं होने के कारण उनके साथ संबंधों की जटिलता बढ़ गई है। एक ओर, रूस से उनकी निर्भरता कम करने से दोनों देशों में तनाव है, वहीं दूसरी ओर, बाकी यूरोपीय देश रूस की आक्रामकता से चिंतित हैं।
इस चिंता को देखते हुए, यूरोप में कई देश सीमा को सुरक्षित करने के उपाय कर रहे हैं। फिनलैंड ने अगले साल के भीतर एक ऊँची दीवार बनाने की योजना बनाई है, लेकिन यह रूस से सटी सीमा के केवल 15 प्रतिशत हिस्से को ही कवर कर पाएगी।
दीवारों का निर्माण
जब एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, और पोलैंड ने भौतिक सुरक्षा उपायों पर काम करना शुरू किया, तो यह सही दिशा में एक कदम था। 2014 में रूस और यूक्रेन के बीच हुए संघर्ष ने सभी पड़ोसी देशों को सुरक्षा के लिए सचेत कर दिया। अब ये देश तकनीकी उपकरणों के साथ-साथ भौतिक दीवारें बनाने पर जोर दे रहे हैं। इस प्रकार की दीवारें केवल कंक्रीट या स्टील की नहीं हैं, बल्कि इनमें स्टील फेंसिंग, कांटेदार तार, सीसीटीवी कैमरे, मोशन सेंसर, और ड्रोन निगरानी जैसे उपकरण भी शामिल हैं।
सुरक्षा उपायों की प्रभावशीलता
हालांकि, ये दीवारें छोटी-मोटी घुसपैठों को रोकने में अवश्य सहायक हो सकती हैं, लेकिन बड़ा खतरा तो दीवारों के माध्यम से नहीं रोका जा सकता। यदि हम मानें कि रूस किसी विशेष देश पर बड़ा हमला करने का प्लान बना रहा है, तो दीवारें इसे रोकने में असफल हो सकती हैं। मिसाइल हमले, साइबर अटैक, या समुद्री सीमा से हमले के माध्यम से रूस आसानी से जवाबी कार्रवाई कर सकता है।
उत्तर कोरिया का उदाहरण
उत्तर कोरिया ने अपने देश की सीमाओं को कठिनाई से सुरक्षित किया है। वहां की सीमाएँ कांटेदार तारों और उच्च दीवारों से घिरी हैं, ताकि देश से भागने या घुसपैठ करने वाले व्यक्तियों को रोका जा सके। इसे दुनिया की सबसे निगरानी वाली सीमाओं में से एक माना जाता है। इजरायल भी वेस्ट बैंक और गाजा जैसे क्षेत्रों में भारी सुरक्षा दीवारें बनाकर अपने देश की सुरक्षा करता है, लेकिन ये कदम वास्तविक सुरक्षा का स्थायी समाधान नहीं बन सके हैं।
दीवारों का यथार्थता
आखिरकार, दीवारें केवल सीमाओं को बांधने और गोपनीयता बनाए रखने के लिए सही हो सकती हैं, लेकिन वे दो देशों के बीच वास्तविक स्थायी शांति स्थापित नहीं कर सकती। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को नए तरीकों को खोजना होगा जो दीवारों से परे जा सके और वास्तविक सुरक्षा सुनिश्चित कर सके। दीवारें तो संभावित खतरे को कम कर सकती हैं, लेकिन इसके नतीजे केवल समय के लिए स्थायी हो सकते हैं।
इस प्रकार, यथार्थता यही है कि सुरक्षा के नए उपायों की आवश्यकता है, और केवल दीवारों के निर्माण से समस्या का समाधान नहीं हो सकता। दुनिया भर में जटिलता बढ़ रही है, और संघर्ष के समाधान का रास्ता एक अधिक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
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