मथुरा में न्यू काव्या दर्शन फाउंडेशन द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मान समारोह और कवि सम्मेलन।

मणिपुरी समाचार – बरनहाल
राष्ट्रीय सम्मान समारोह और विराट कावि सम्मेलन का आयोजन न्यू कविधन फाउंडेशन द्वारा सर्वेश्वरी सदन, मथुरा में किया गया था। इस कार्यक्रम में अनेक प्रसिद्ध कवियों ने भाग लिया, जिनमें सबारस मुर्सानी, सुशील तलवार, डॉ. अनिलमैन मिश्रा, सरद जायसवाल, अनिल बीडहक और शिकोहाबाद के कई अन्य कवि शामिल थे। इस सम्मेलन में कुल 70 कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया।
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 9 बजे से शुरू होकर रात 10 बजे तक चली। इसका आगाज़ सरस्वती वंदना से हुआ, जिसने सभी उपस्थित लोगों के मन में एक सकारात्मक माहौल का संचार किया। अंतर्राष्ट्रीय कवि असलम जावेद की काव्य रचना ने सभी को मोहित कर दिया, जबकि फहीम कमलापुरी की कविता ने दिलों में गहराई तक जगह बनाई। इसके अलावा, डॉ. राजकुमार रंजन द्वारा प्रस्तुत गीतों ने भी खूब सराहना बटोरी। राजस्थान के शिवप्रासाद दादिची और मेनपुरी के युवा कवि देवंशी महेश्वरी ने भी अपनी सुंदर कविताओं के माध्यम से उपस्थित लोगों का दिल जीत लिया।
इस अवसर पर सुशीला देवी मिश्रा और कृष्ण मिश्रा की स्मृति में डॉ. अनिल मिश्रा ने पांच विशेष पुरस्कार दिए। पहला पुरस्कार नारायण संजय को प्रदान किया गया, जिसे एक प्रशस्तिपत्र और 5100 रुपये की राशि देकर सम्मानित किया गया। दूसरे पुरस्कार के विजेता संध्या यादव रहीं, जबकि तीसरा पुरस्कार डॉ. राजकुमार रंजन को प्राप्त हुआ। चौथा पुरस्कार डॉ. महेंद्र शर्मा को मिला और अंतिम, यानी पांचवां पुरस्कार सत्तार अहमद अलियास चाचा द्वारा प्राप्त किया गया।
आयोजन में शामिल सभी कवियों को कवि संजू सूर्याम ने अंगवस्त्र, माला और पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया। ऐसे आयोजनों का महत्व केवल साहित्यिक योगदान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कला और संस्कृति को प्रोत्साहित करने का एक मजबूत माध्यम भी हैं।
इस कार्यक्रम ने दिखाया कि साहित्य और काव्य की दुनिया में क्या कुछ किया जा सकता है जब विभिन्न विचार-विमर्श वाली हस्तियां एकत्रित होती हैं। कवियों का यह एकत्रीकरण केवल काव्य पाठ तक सीमित नहीं था, बल्कि यह विचारों का विनिमय, अनुभवों का साझा और कला के प्रति प्रेम को भी दर्शाता है।
काव्य सम्मेलन में प्रतिभागियों ने एक-दूसरे की रचनाओं को भी सुना और विचार किया, जिससे एकता और संचार का नया वातावरण बना। यह एक ऐसा मंच है जहाँ पुराने और नए कवियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है।
अंत में, इस आयोजन की सफलता ने यह सिद्ध कर दिया कि हमारी सांस्कृतिक विरासत और साहित्य सृजन की क्षमता अद्वितीय है। ऐसे समारोहों की आवश्यकता हमेशा बनी रहती है, ताकि अगली पीढ़ी के कवियों को प्रेरित किया जा सके और उन्हें अपनी कला के लिए आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
यह कार्यक्रम न केवल कवियों के लिए, बल्कि उनके प्रशंसकों और साहित्य प्रेमियों के लिए भी एक उत्सव बनकर उभरा। ऐसे आयोजनों की पुनरावृत्ति की जानी चाहिए ताकि हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों को आगे बढ़ा सकें और नए कवियों को प्रोत्साहित कर सकें।
इन सभी कवियों की प्रतिभा और प्रदर्शन ने इस कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया। मथुरा में आयोजित यह काव्य सम्मेलन न केवल कविता प्रेमियों के लिए, बल्कि समाज की जागरूकता, एकता और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का एक माध्यम बन गया।
अतः, यह आयोजन हमारे साहित्यिक जगत में प्राथमिकता रखता है और इस तरह के आयोजनों का नियमित रूप से होना अत्यंत आवश्यक है। यह हमारी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।