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पीएम मोदी जापान जा रहे हैं, अमेरिका के टैरिफ विवाद और क्वाड पर चर्चा का एजेंडा क्या है?

पीएम मोदी की जापान यात्रा: एक महत्वाकांक्षी द्विपक्षीय सहयोग का नया अध्याय

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की जापान की दो दिवसीय यात्रा न केवल भारत-जापान संबंधों की दिशा में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, बल्कि यह वैश्विक राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण घटना होगी। यह दौरा अमेरिका के साथ बढ़ते टैरिफ मुददों के बीच हो रहा है, जो कि मोदी सरकार के लिए कई रणनीतिक विचारों को उत्पन्न करता है। इसके अलावा, पीएम मोदी के इस दौरे के बाद, उनका चीन भी जाना तय है, जहां वह चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत करेंगे।

जापान यात्रा का ऐतिहासिक महत्व

मोदी की जापान यात्रा अपने आप में ऐतिहासिक है। इस दौरे को कई दृष्टिकोन से समझा जा सकता है। यह उनका जापान के साथ पहला वार्षिक शिखर सम्मेलन होगा, और यह लगभग सात वर्षों में जापान की ओर उनकी पहली स्वतंत्र यात्रा भी होगी। पिछली बार मोदी 2018 में जापान यात्रा पर गए थे, तब उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के कई प्रयास किए थे।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पहले ही कहा है कि इस यात्रा का एजेंडा विविधता और गहराई को प्रदर्शित करेगा। विशेष रूप से, यह क्वाड सुरक्षा साझेदारी पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें भारत, जापान, अमेरिका, और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।

क्वाड पर फोकस

इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी और जापानी प्रधान मंत्री शिगेरु इशिबा के बीच क्वाड पार्टनरशिप पर बातचीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। क्वाड फोरम का मुख्य उद्देश्य प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और संतुलन को बनाए रखना है। वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के मुद्दे सभी चार देशों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, और इस यात्रा के दौरान इन मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श हो सकता है।

बुलेट ट्रेन की खरीद पर चर्चा

इस बैठक में भारत की महत्वाकांक्षी मुंबई- अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए ई 10 बुलेट ट्रेनों की खरीद पर भी चर्चा की जाएगी। ये ट्रैनें 320 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलने और भूकंप से निपटने की उन्नत तकनीक के लिए जानी जाती हैं। पीएम मोदी इस दौरे के दौरान ईशीबा के साथ जापान में बुलेट ट्रेन निर्माण प्रक्रिया का दौरा भी करेंगे, जिससे दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग को और अधिक मजबूती मिलेगी।

रक्षा सहयोग को बढ़ावा

भारत और जापान के बीच रक्षा संबंध भी इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। हाल के वर्षों में, दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग एक प्रमुख स्तंभ बन गया है। हाल ही में हुई रक्षा मंत्रियों की बैठक में इस क्षेत्र में संभावित सहयोग की समीक्षा की गई।

विशेष रूप से, भारतीय नौसेना और जापानी समुद्री आत्म-रक्षा बल के बीच संभावित सहयोग के कई क्षेत्रों की पहचान की गई है। इसके साथ ही, भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और जापान के एटीएलए के बीच भी कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।

आर्थिक निवेश की योजनाएँ

जापान के प्रधान मंत्री शिगेरु इशिबा पीएम मोदी की यात्रा के दौरान भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए 68 बिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा करेंगे। यह निवेश एआई और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में होने की संभावना है।

इसके अलावा, भारत और जापान के बीच एक एआई पहल की भी योजना बनाई जा रही है, जो स्टार्टअप्स के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाई जाएगी। इस तरह के निवेश भारत को अपनी तकनीकी क्षमता को बढ़ाने के लिए सक्षम बनाएगा और दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूती देगा।

निष्कर्ष

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का एक अवसर है, बल्कि यह वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत के स्थान को भी मजबूत करेगा। इस यात्रा के माध्यम से, भारत ने यह संदेश दिया है कि वह तकनीकी, आर्थिक और सुरक्षा मामलों में अपने प्रमुख साझेदारों के साथ मिलकर आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है।

जापान के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंध विकसित करना केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। पीएम मोदी की इस यात्रा के परिणामस्वरूप क्या नई पहल होती हैं, यह ध्यान से देखने वाली बात होगी।

भारत और जापान के बीच आपसी सहयोग, जो कई क्षेत्रों में फैला हुआ है, आगामी वर्षों में वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोन से बहुत महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। इस दौरे के माध्यम से, दोनों देश एक नई दिशा की ओर अग्रसर होंगे, जो न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगा बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता की दिशा में भी योगदान देगा।

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