राष्ट्रीय

मोहन भागवत का खुलासा: क्या भाजपा और आरएसएस के बीच संघर्ष है? ‘यहाँ मतभेद…’

महान विचारक मोहन भागवत का बयान: संघ और भाजपा के बीच संबंधों की स्पष्टता

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में इस बात पर प्रकाश डाला है कि संघ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच किसी प्रकार का विवाद नहीं है। उनके अनुसार, संघ किसी भी मुद्दे पर सलाह दे सकता है, लेकिन अंतिम निर्णय हमेशा भाजपा का होता है। भागवत ने यह भी बताया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार और संघ के बीच एक सकारात्मक समन्वय बन रहा है।

अच्छा समन्वय: सरकार के साथ

मोहन भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ का हर सरकार, चाहे वह राज्य स्तर की हो या केंद्र स्तर की, के साथ एक स्वस्थ और सशक्त समन्वय है। उन्होंने कहा, “हमारी दृष्टि में कोई भी सरकार है, उसके साथ हमारे अच्छे संबंध हैं। हालाँकि, सिस्टम में कुछ बुनियादी विरोधाभास हैं, जो कि उस प्रणाली का हिस्सा है जिसे अंग्रेजों ने शासन करने के लिए स्थापित किया था। इस प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। हम कुछ ऐसे काम करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए कुर्सी पर बैठे व्यक्तियों को पूरी तरह से हमारे पक्ष में काम करना होगा।”

संघर्ष का अर्थ

संघ और भाजपा के बीच होने वाले विभिन्न मतभेदों को स्पष्ट करते हुए भागवत ने कहा कि यह केवल एक भ्रम है। उन्होंने कहा, “कभी-कभी संघर्ष हो सकता है, लेकिन यह एक झगड़ा नहीं है। दोनों का लक्ष्य एक ही है—देश का कल्याण।” यह वक्तव्य न केवल संघ और भाजपा की कार्यप्रणाली को स्पष्ट करता है, बल्कि दोनों संगठनों के बीच आपसी सहमति के महत्व को भी रेखांकित करता है।

निर्णय लेने की प्रक्रिया

मोहन भागवत ने यह भी बताया कि संघ एक फैसला लेने वाला निकाय नहीं है। उन्होंने कहा, “हमारे अंदर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन किसी प्रकार का भेदभाव नहीं है। संघ को यह मान्यता देना कि वह सब कुछ तय करता है, पूरी तरह गलत है। मैं कई वर्षों से संघ का नेतृत्व कर रहा हूं, और कोई भी सरकार चलाने का कार्य उन्हें स्वयं करना होता है। इसलिए हम केवल सलाह दे सकते हैं, निर्णय नहीं ले सकते हैं। अगर हमने सब कुछ तय कर लिया होता, तो इतना समय क्यों लगता?”

भाजपा अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया

भाजपा के नए अध्यक्ष के चयन में देरी पर भागवत ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “अपने समय को लेने में कोई बुराई नहीं है। हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं करते। हम सभी की मदद करते हैं, न केवल भाजपा की, जब वे अच्छा काम करना चाहते हैं।”

संघ का दृष्टिकोण

मोहन भागवत के बयानों से यह प्रतीत होता है कि संघ का दृष्टिकोण राजनीति में सशक्त सहयोजन पर केंद्रित है। उनकी बातें यह दर्शाती हैं कि संघ का मुख्य उद्देश्य देश के व्यापक कल्याण के लिए काम करना है, न कि किसी राजनीतिक दल को एकतरफा समर्थन देना।

संघ और भाजपा का इतिहास

यह कहना गलत नहीं होगा कि संघ और भाजपा का रिश्ता एक लंबी परंपरा से जुड़ा हुआ है। संघ ने भाजपा की राजनीतिक क्षमता को पहचानते हुए उसे समर्थन दिया है, लेकिन साथ ही उसने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि राजनीतिक निर्णय लेने का अधिकार भाजपा के पास है। इस प्रकार, भागवत का बयान केवल वर्तमान की व्याख्या नहीं है, बल्कि संघ और भाजपा के ऐतिहासिक संबंधों की स्पष्टता को भी दर्शाता है।

अंत में

मोहन भागवत के विचारों से यह निष्कर्ष निकलता है कि संघ और भाजपा के बीच संबंध सहयोगात्मक और स्वस्थ हैं। उनकी टिप्पणियाँ राजनीतिक क्षेत्र में मौलिकता और स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक संकेत हैं। आगे चलकर यह देखना होगा कि किस प्रकार से संघ और भाजपा की यह समन्वित नीति देश के विकास में सहायक सिद्ध होती है।

संक्षेप में, भागवत का यह बयान संघ और भाजपा के बीच स्वस्थ रिश्तों की पुष्टि करता है और यह दर्शाता है कि दोनों का लक्ष्य अंततः एक ही है। उनका दृष्टिकोण सुसंसकार, समर्पण और देश की भलाई की ओर केंद्रित है, जो कि एक मजबूत और सम्मिलित भारत के निर्माण के लिए आवश्यक तत्व हैं।

Related Articles

Back to top button