ओबीसी आरक्षण पर सभी पार्टियों की बैठक: नेताओं की राय और महत्वपूर्ण बयान सामने आए।

ओबीसी आरक्षण पर सभी राजनीतिक दलों का एकमत होना: एक महत्वपूर्ण चर्चा
आरक्षण के मुद्दे पर ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) को लेकर राजनीतिक दलों में आम सहमति बन गई है। हालांकि, इस महत्वपूर्ण विषय पर विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच एक दूसरे से श्रेय लेने की होड़ बनी हुई है। इस दिशा में, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक ऑल-पार्टी मीटिंग आयोजित की, जिसमें ओबीसी आरक्षण की स्थिति पर चर्चा की गई। बैठक के बाद, सभी दलों ने इस निर्णय का श्रेय अपने-अपने तरीके से लेने की कोशिश की है। जहाँ कांग्रेस ने इसे अपनी विजय के रूप में देखा, वहीं भाजपा ने इसे पहले से ही अपने पक्ष में कार्य करने का हिस्सा माना है।
ओबीसी आरक्षण पर बैठक: मुख्यमंत्री का बयान
इस बैठक में, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्पष्टता प्रदान की। उन्होंने कहा कि “हम सभी इस बात से सहमत हैं कि ओबीसी आरक्षण से संबंधित याचिका को सुप्रीम कोर्ट में जल्दी हल किया जाना चाहिए।” उनका यह भी मानना है कि बच्चों को इस निर्णय का लाभ जल्दी मिलना चाहिए, पहले ही 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को मंजूरी दी जा चुकी है, जबकि 13 प्रतिशत अभी विचाराधीन है।
कांग्रेस का दावा: OBC आरक्षण की बड़ी जीत
बैठक के बाद कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। इसमें कांग्रेस के कई प्रमुख नेता शामिल थे। विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी ने लगातार संघर्ष और मांग के बाद भाजपाई सरकार के माध्यम से ओबीसी आरक्षण पर आम सहमति का स्वागत किया है। उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस ने 6 साल पहले 27 प्रतिशत OBC आरक्षण की नींव रखी थी।
उमंग सिंह ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस ने मुख्यमंत्री से OBC आरक्षण को तुरंत लागू करने का आग्रह किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय में एक स्पष्ट हलफनामा पेश करेगी कि इस पर कोई आपत्ति नहीं है ताकि OBC समुदाय के लोग अपने अधिकारों का लाभ उठा सकें।
अन्य दलों की फीडबैक
आम आदमी पार्टी के राज्य अध्यक्ष रानी अग्रवाल ने कहा कि राज्य में 27 प्रतिशत आरक्षण पहले से लागू होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा सच में ओबीसी के अधिकारों को लेकर गंभीर है, तो उन्हें यह आरक्षण तुरंत लागू करना चाहिए।
स्थानीय समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव ने भी इस विषय पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्गों को अपनी आबादी के अनुसार 52 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए, लेकिन सरकार केवल 14 प्रतिशत ही दे रही है। उन्होंने मांग की कि 13 प्रतिशत होल्ड आरक्षण तुरंत लागू किया जाना चाहिए।
ओबीसी आरक्षण पर वर्तमान स्थिति
2019 में कमल नाथ की सरकार ने OBC आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का निर्णय लिया। इस निर्णय का समर्थन करते हुए, सरकार ने यह तर्क दिया कि मध्य प्रदेश में OBC की आबादी लगभग 48% है। लेकिन इसके बाद, इस पर कई याचिकाएं दायर की गईं, जिनमें कहा गया कि आरक्षण की कुल सीमा 50% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
MPPSC का सुप्रीम कोर्ट में आवेदन
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने सुप्रीम कोर्ट में एक नया आवेदन दायर किया, जिसमें ओबीसी श्रेणी के चयनित उम्मीदवारों की याचिका को खारिज करने की मांग की गई। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि पुराने हलफनामे को रिकॉर्ड से हटा दिया जाए और एक नया हलफनामा दायर करने की अनुमति दी जाए।
OBC आरक्षण का इतिहास और विकास
OBC आरक्षण का मामला लंबे समय से अदालतों में लटका हुआ है, जिसके कारण कई उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र नहीं मिल पा रहे हैं। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कई बार स्पष्ट किया है कि इस मामले में कोई बंधन नहीं है। 2019 से 2025 तक, लाखों उम्मीदवारों को इस आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया है।
निष्कर्ष
OBC आरक्षण का मुद्दा राजनीतिक जगत में एक गंभीर और लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है। विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच इस विषय पर आम सहमति दिखाई दे रही है, लेकिन इससे जुड़े कानूनी विवाद और चुनौतियों के समाधान की आवश्यकता है। सभी पक्षों को चाहिए कि वे एकजुट होकर इस मुद्दे का समाधान निकालें, ताकि आवश्यक कदम उठाए जा सकें और OBC समुदाय के अधिकारों का सही तरीके से संरक्षण किया जा सके।