OBC Reservation Politics Heats Up; Mohan Yadav Calls All-Party Meeting Amid Congress Objections.

ओबीसी आरक्षण पर मध्य प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियाँ
मध्य प्रदेश में पिछले कई वर्षों से OBC आरक्षण को लेकर विवाद और कानूनी चुनौती चल रही है। इस पर पिछले 6 वर्षों में विभिन्न याचिकाएं उच्च न्यायालय में दायर की गईं, जिनमें यह तर्क दिया गया कि आरक्षण की कुल सीमा 50% से अधिक हो जाएगी। इससे सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी मामले (मंडल आयोग, 1992) में निर्धारित सीमा का उल्लंघन होता है।
मुख्यमंत्री की सर्वदलीय बैठक
हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने OBC आरक्षण को लेकर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई। इस बैठक में अनेक राजनीतिक दलों के नेता, जिनमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव, और बसपा के प्रदेश अध्यक्ष शामिल थे, आमंत्रित किए गए। बैठक का उद्देश्य OBC आरक्षण के मुद्दे पर सभी दलों के बीच चर्चा करना था।
हालांकि, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी पहले से ही आरक्षण के पक्ष में है और इस प्रकार की बैठक का कोई औचित्य नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार जनता को गुमराह कर रही है।
OBC आरक्षण पर हाईकोर्ट के आदेश
मई 2020 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने OBC आरक्षण पर 27% आरक्षण लागू करने के लिए स्थगन आदेश दे दिया था। इससे न केवल MPPSC की भर्तियाँ प्रभावित हुईं, बल्कि कई अन्य भर्तियाँ भी अटक गईं। 2019 से 2025 तक OBC वर्ग का लाभ नहीं मिल पाया, जबकि लाखों अभ्यर्थी पहले से चयनित हो चुके थे।
कमलनाथ सरकार का निर्णय
2019 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने OBC आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का निर्णय लिया। सरकार ने तर्क दिया कि मध्य प्रदेश की जनसंख्या में OBC की हिस्सेदारी लगभग 48% है, अतः 27% आरक्षण उचित है।
MPPSC का माफी पत्र
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर कर अपने 19 अगस्त को दाखिल किए गए काउंटर एफिडेविट को वापस लेने की मांग की। आयोग ने कहा कि इस एफिडेविट के कुछ पैराग्राफ में त्रुटियां थीं।
कमलनाथ का कटाक्ष
कमलनाथ ने इस सर्वदलीय बैठक को लेकर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह केवल सरकार के भ्रमित करने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने पहले ही OBC आरक्षण को लागू कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान सरकार नए प्रपंचों के जरिए आरक्षण प्रक्रिया को उलझा रही है।
OBC महासभा का दृष्टिकोण
ओबीसी महासभा के वकील वरुण ठाकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट आयोग को नया एफिडेविट दाखिल करने की अनुमति दे सकता है। इस मुद्दे पर चर्चा शुरू होने वाली है और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएँ लंबित हैं।
सरकार का इच्छाशक्ति
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार OBC को 27% आरक्षण देने के प्रति प्रतिबद्ध है और सभी राजनीतिक दलों के साथ मिलकर इस पर चर्चा करना चाहती है। उन्होंने कहा कि जब दोनों पक्ष सहमत हैं, तो समाधान निकालना संभव है।
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश में OBC आरक्षण का मुद्दा एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषय है। राजनीतिक दलों के बीच इस पर बहस और चर्चा जारी है। हालांकि, सही निर्णय और उचित कार्यवाही का होना आवश्यक है ताकि OBC वर्ग को उनके हक और अधिकार मिल सकें।