आगरा

Agra Update: Forensic Lab Begins Investigation into Fake Banner; Report Expected Soon

आगरा में, एक गिरोह का पर्दाफाश हुआ है जिसने नकली बैनरों के माध्यम से 700 करोड़ रुपये की बेशकीमती जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की। एसआईटी ने इस मामले की जांच के लिए बुक बुक को फोरेंसिक लैब भेजा है, जहां स्याही, हस्ताक्षर और पृष्ठों की बारीकी से जांच की जा रही है।

### गिरोह का खुलासा

यह गिरोह सात महीने पहले उजागर हुआ था, जिसने धोखे से नकली बैनर का इस्तेमाल करके हाई-प्राइस भूमि पर कब्जा करने की योजना बनाई थी। बुक बुक से वास्तविक बैनम गायब हो गए थे, और उनकी जगह फर्जी बैनर लगाए गए थे, जो कर्मचारियों की मदद से किए गए थे।

एसआईटी की जांच में अब तक कई महत्वपूर्ण सबूत सामने आए हैं। फोरेंसिक लैब में भेजे गए आधा दर्जन से अधिक बाइंडरी किताबें जांच में शामिल हैं, जिनकी पढ़ाई की जा रही है। यह प्रक्रिया वैज्ञानिकों द्वारा की जा रही है, जो स्याही, हस्ताक्षर और पृष्ठों की वास्तविकता को प्रकट करेंगे।

### मामला दर्ज

इस साल जनवरी में, नगर की बेशकीमती भूमि पर कब्जा करने वाले गिरोह का खुलासा हुआ। 21 जनवरी को, शाहगंज पुलिस स्टेशन में प्रशासन द्वारा 11 लोगों के खिलाफ मामला दायर किया गया। उल्लेखनीय है कि इनमें प्रशांत शर्मा, अजय सिसोदिया, भानू रावत, प्रबल प्रताप चौहान, राजकुमार, बृजेश दुबे, और सुमित अग्रवाल शामिल हैं। इसके साथ ही, केंद्रीय अभिलेखागार के सेवानिवृत्त रिकॉर्ड कीपर देवदूत शर्मा का भी नाम है।

इन लोगों पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने एसआईटी द्वारा कब्जाई गई भूमि से असली बानमा गायब कर दिए। इस संबंध में चार बाइंडरी किताबें फोरेंसिक लैब की जांच के लिए भेजी गई हैं। एक अन्य किताब पिछले साल दर्ज किए गए मामले की जानकारी देती है।

### फोरेंसिक जांच की प्रक्रिया

डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने कहा कि फोरेंसिक लैब को जल्द ही नकली बैनरों की जांच रिपोर्ट भेजने के लिए अनुस्मारक दिया गया है। यह प्रक्रिया काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आरोपियों की सच्चाई का खुलासा होगा।

### बैनरों की सच्चाई

बुक के पृष्ठ कई दशकों पुराने हैं, जिससे उनके रंग में परिवर्तन हो चुका है। वास्तविक पृष्ठों को हटाए गए हैं और उनकी जगह नकली बैनर लगाए गए हैं, जिन्हें रंग और अन्य विशेषताओं के आधार पर जांचा जाएगा।

#### स्याही का रहस्य

असली और नकली बैनरों की स्याही का रंग भी अलग है। कई दशकों पुराने बैनरों की स्याही अधिक पुरानी हो चुकी है जबकि नए बैनरों की स्याही का रंग गहरा है। वैज्ञानिक स्याही के मार्जिन का उपयोग करके बैनरों की वास्तविकता की पुष्टि करेंगे।

### समाप्ति

इस मामले में अब तक की गई जांचें एक महत्वपूर्ण कदम हैं, जो इस बात का पता लगाने में मदद करेंगी कि किस प्रकार से गिरोह ने धोखाधड़ी की। यह स्थानीय प्रशासन और नागरिकों के लिए भी एक चेतावनी है कि वे इस तरह के धोखाधड़ी से सावधान रहें।

आगरा के इस प्रकरण ने साफ कर दिया है कि जांच एजेंसियों की मेहनत और फोरेंसिक जांच के उपयोग से बड़े से बड़े सच को भी उजागर किया जा सकता है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, इस गिरोह के अन्य सदस्यों और उनकी गतिविधियों का भी पता लगाया जा सकेगा।

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