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डायमंड लीग 2025: नीरज चोपड़ा ने फाइनल से पहले तकनीकी कमजोरियों पर बात की, 90 मीटर लक्ष्य का जिक्र।

नीरज चोपड़ा डायमंड लीग फाइनल 2025

नीरज चोपड़ा, भारतीय जेवलिन थ्रो के शानदार खिलाड़ी, ने हाल ही में अपनी तकनीक को लेकर कुछ विचार साझा किए हैं। उन्होंने स्वीकार किया है कि वह अपनी तकनीक से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। इस वर्ष मई में, उन्होंने दोहा डायमंड लीग में 90 मीटर से अधिक फेंका, जो कि उनका एक बेहतरीन प्रयास था।

हालांकि, नीरज का मानना है कि उनका यह थ्रो “सही” नहीं था। उन्होंने 16 मई को सीजन का पहला मैच खेलते हुए 90.23 मीटर की दूरी पर भाला फेंककर 90 मीटर की लंबी दूरी पार की। अब स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में डायमंड लीग का फाइनल आने वाला है।

नीरज ने कहा, “मैं लगातार 90 मीटर से अधिक फेंकना चाहता हूं।” उन्होंने यह भी बताया कि वह अब अपने 90 मीटर की बाधा को पार कर चुके हैं, लेकिन अब वह अपने लक्ष्यों को और भी अधिक ऊंचा करना चाहते हैं।

नीरज की तकनीक पर विवरण

नीरज ने अपनी तकनीक पर बात करते हुए बताया कि उनका रन-अप काफी तेज है। हालांकि, वह उस गति का सही उपयोग नहीं कर पा रहे हैं जिससे कि भाला दूर जाए। उन्होंने कहा, “यदि मेरा बायां पैर सीधा होता है और मैं अपने दाहिने पैर को ब्लॉक कर सकता हूं, तो थ्रो बेहतर होगा। तब मुझे अपनी गति का पूरा लाभ मिलेगा।”

इस समय, अमेरिका के डिस्कस थ्रो के स्टार वैलेरी अल्मन भी वहां उपस्थित थे। नीरज का मानना है कि सीखने की प्रक्रिया अभी जारी है और वह लगातार अपने कोच जान जिलांगी से सीख रहे हैं।

संभावित प्रतिस्पर्धी

डायमंड लीग में नीरज का मुकाबला अपने प्रतिद्वंद्वियों ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स और जर्मनी के जूलियन वेबर से होगा। यहां कुल सात खिलाड़ी फाइनल में भाग ले रहे हैं, जिसमें केन्या के 2015 के विश्व चैंपियन जूलियस यिगो और त्रिनिदाद एवं टोबैगो के केशॉर्न वॉल्कोट भी शामिल हैं।

मौसम की स्थिति

ज्यूरिख में, नीरज ने मौसम की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि बारिश की संभावना है। “28 अगस्त को मौसम अच्छा नहीं रहेगा, बारिश भी हो सकती है,” उन्होंने कहा। लेकिन उनके अनुसार, ऐसा सभी के लिए समान होगा और मानसिक मजबूती से उन्हें ऐसी परिस्थितियों का सामना करना होगा।

भाला फेंकने के तकनीकी पहलू

भाला फेंकने के मामले में, नीरज ने कहा कि हवा का प्रभाव महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि यदि पीछे से हवा है, तो यह फेंकने में मदद करती है। परंतु, अगर सामने से हवा आती है, तो खिलाड़ी को और अधिक प्रयास करना पड़ता है।

कोचिंग और प्रशिक्षण

नीरज ने अपने कोच जान जिलांगी की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने उन्हें सीखाया है कि दबाव में कैसे शांत रहना है। उन्होंने कहा, “उन्होंने हमेशा कहा कि मेरी सबसे बड़ी ताकत मेरी तकनीक है। तकनीकी रूप से मैं अभी उनके स्तर पर नहीं हूं, इसलिए मैं लगातार सुधार करने की कोशिश कर रहा हूं।”

भारत में भाला फेंकने की लोकप्रियता

नीरज ने कहा कि जेवलिन अब पूरी दुनिया का खेल बन गया है और भारत में इसकी लोकप्रियता भी बढ़ रही है। उन्होंने एक कार्यक्रम का जिक्र किया जिसमें 15,000 लोग केवल भाला देखने आए थे। उनका मानना है कि यह एक अच्छी बात है कि अब बच्चे भी स्पीयर्स फेंक रहे हैं।

निष्कर्ष

नीरज चोपड़ा की कहानी एक प्रेरणा है। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से न केवल अपने लिए बल्कि भारतीय एथलेटिक्स के लिए नई ऊंचाइयों को हासिल किया है। उनकी यात्रा यह दिखाती है कि कठिन मेहनत और समर्पण से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। अब सभी की नजरें डायमंड लीग फाइनल पर होंगी, जहां नीरज अपनी तकनीक और कौशल का प्रदर्शन करेंगे।

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