उत्तर प्रदेश के 2075 गांवों में पीने का पानी सुरक्षित नहीं, आगरा-मथुरा की स्थिति सबसे गंभीर।

यूपी के गांवों में पानी की गंभीर समस्या
उत्तर प्रदेश के 2075 गांवों में पानी की गुणवत्ता बेहद खराब है। इन गांवों में अधिकांश का पानी नमकीन है, जो पीने के लिए सुरक्षित नहीं है। आगरा, फिरोजाबाद और मथुरा इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। हाल ही में सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है कि आगरा जिले के सबसे अधिक गांव नमकीन पानी की समस्या का सामना कर रहे हैं, जबकि फिरोजाबाद का दूसरा और मथुरा का तीसरा स्थान है। यह जानकारी जल शक्ति विभाग द्वारा प्रदान की गई है।
दुर्भाग्य से, यह केवल एक शहर या एक या दो गांवों की समस्या नहीं है। खारे पानी की समस्या ईटा और उत्तर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी देखी जा रही है। जल शक्ति विभाग ने बताया है कि इस समस्या के समाधान के लिए पाइप पेयजल योजनाओं का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन इन योजनाओं की प्रगति अभी तक सुस्त रही है।
पानी की समस्या का स्वास्थ्य पर प्रभाव
नमकीन पानी का हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इसके सेवन से लोगों को त्वचा और बालों से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, उल्टी, दस्त, और अन्य बीमारियों की आशंका भी बढ़ जाती है। हाल ही में विधायक सर्वेश सिंह ने मानसून सत्र में जल शक्ति मंत्री से इस गंभीर मुद्दे को उठाया था। उन्होंने बताया कि नमकीन पानी स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी इससे बढ़ सकता है।
सरकार ने वादा किया है कि ऐसे क्षेत्रों की पहचान की जाएगी, जहां निवासियों को स्वच्छ और मीठा पानी उपलब्ध कराया जाएगा। यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसकी कार्रवाई और योजनाओं की गति को तेजी से बढ़ाने की आवश्यकता है।
पाइपलाइन योजनाओं की धीमी प्रगति
विभाग की जानकारी के अनुसार, आगरा जिले के 810 गांव खारे पानी की समस्या से प्रभावित हैं। इसके अलावा, फिरोजाबाद में 674 गांव और मथुरा में 591 गांव भी इसी समस्या से ग्रस्त हैं। इस प्रकार, उत्तर प्रदेश के 2075 गांवों में नमकीन पानी की समस्या स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत सतह स्रोत आधारित पाइप पेयजल योजनाओं का निर्माण शुरू किया है। लेकिन, इन योजनाओं की प्रगति बेहद धीमी है। आगरा, मथुरा और फिरोजाबाद के जिलों में पाइपलाइन योजनाओं का काम पूरी तरह से संतोषजनक नहीं है। वर्तमान में, आगरा में पाइपलाइन योजनाओं की प्रगति केवल 33.27 प्रतिशत, मथुरा में 33.32 प्रतिशत और फिरोजाबाद में 28.09 प्रतिशत है।
यह ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि जल की यह समस्या केवल वर्तमान में नहीं हो रही है। पिछले कुछ वर्षों से यह समस्या गंभीर होती जा रही है। सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले और तत्परता से समाधान खोजे।
संभावित समाधान और भविष्य की दिशा
सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, जल जीवन मिशन के माध्यम से पानी की समस्या के समाधान की कोशिश की जा रही है। लेकिन यह आवश्यक है कि ये योजनाएं जल्द ही कार्यान्वित हों और उनकी प्रगति की लगातार निगरानी की जाए।
इसके अलावा, राज्य सरकार को चाहिए कि वह स्थानीय समुदायों के साथ काम करे ताकि वे अपनी पानी की समस्या के बारे में अधिक जागरूक हों और स्वच्छता और जल संरक्षण के लिए प्रयास करें।
जिन गांवों में पानी की समस्या अधिक गंभीर है, वहां प्राथमिकता के साथ सरकारी योजनाओं और उपायों को लागू करना आवश्यक है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच जल वितरण में समानता लाना भी आवश्यक है।
सरकार को न केवल पानी की आपूर्ति का ध्यान रखना चाहिए, बल्कि जल के संरक्षण, पुनर्चक्रण और पुनः उपयोग के उपाय भी करने चाहिए। इससे न केवल गांवों में पानी की समस्या कम होगी बल्कि इसके साथ साथ पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
निष्कर्षतः, यह स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश के कई गांवों में पानी की गुणवत्ता एक गंभीर चिंता का विषय है। इसे हल करने के लिए ठोस कदमों की आवश्यकता है, ताकि लोगों को सुरक्षित और स्वच्छ पानी मिल सके। जल शक्ति विभाग और सरकार को एक सक्रिय भूमिका निभाते हुए इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए, जिससे गांवों के निवासी बेहतर स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता का अनुभव कर सकें।