गणेश प्रतिमा में गलतफहमी पर सीएम रेवैंथ रेड्डी की तत्काल शिकायत, विवाद छिड़ा हैदराबाद में।

गणेश प्रतिमा का अनूठा रूप
गणेश चतुर्थी के दौरान हैदराबाद के हबीबनगर में एक खास विवाद छिड़ गया जब एक मूर्ति को तेलंगाना के मुख्यमंत्री का स्वरूप दिया गया। इस प्रतिमा को जींस, टी-शर्ट और जूतों में सजाए गए गणेश जी के रूप में स्थापित किया गया था, जो प्रदेश कांग्रेस के नेता मेट्टू साईं कुमार द्वारा स्थापित की गई। इस अनोखे रूप ने कई लोगों की टिप्पणियों को जन्म दिया है, खासकर भाजपा विधायक टी. राजा सिंह द्वारा, जिन्होंने इस मूर्ति का कड़ा विरोध किया।
मूर्ति का विशेष डिज़ाइन
गणेश जी की इस मूर्ति की स्थापना “तेलंगाना राइजिंग” थीम पर आधारित थी। इसमें गणेश जी को जींस, सफेद टी-शर्ट और जूते पहने हुए दर्शाया गया है, जो की मुख्यमंत्री रेवांत रेड्डी की एक पुरानी पदयात्रा के चित्र से प्रेरित है। मेट्टू साईं कुमार ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में हमने कई फिल्मी विषयों पर मूर्तियाँ बनाई हैं, लेकिन इस बार हमने तेलंगाना के विकास और मुख्यमंत्री की प्रेरणा से डिज़ाइन को चुना है।”
विधायकों का विरोध
भाजपा के विधायक टी. राजा सिंह ने इस मूर्ति को हिंदू भावनाओं का अपमान बताया। उन्होंने हैदराबाद के पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर इस विवाद के खिलाफ आवाज उठाई। पत्र में उन्होंने लिखा, “आदरणीय पुलिस आयुक्त, आज मुझे हबीबनगर पुलिस सीमा में गणेश महाराज की एक मूर्ति दिखाई दी, जिसमें गणेश जी को तेलंगाना के मुख्यमंत्री की तरह दर्शाया गया है। यह हिंदू समुदाय की भावनाओं को आहत करने वाला है।”
कांग्रेस नेता की स्थिति
यह सुनिश्चित करते हुए कि वह मुख्यमंत्री का सम्मान करते हैं, मेट्टू साईं कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री को देवी-देवताओं के समान नहीं रखा जा सकता। उन्होंने हैदराबाद के पुलिस विभाग से यह अनुरोध भी किया कि तत्काल कार्रवाई की जाए और पंडाल को हटाया जाए। उनका मानना था कि इस तरह की प्रस्तुति से हिंदू समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुँचाई जा रही है।
सामाजिक प्रतिक्रियाएँ
इस मुद्दे ने सोशल मीडिया पर तेजी से हलचल मचा दी है। स्थानीय लोग और कई भक्त इस मूर्ति को धार्मिक अपमान मानते हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “गणेश चतुर्थी जैसे पवित्र उत्सव पर इस तरह का चित्रण गलत है। यह हमारी परंपराओं का मज़ाक बनाने जैसा है।” हैदराबाद के खैराताबाद में 69 फीट ऊँची गणेश प्रतिमा ने भी चर्चा का विषय बना दिया है, और अब इस मामले ने और अधिक विवाद खड़ा कर दिया है।
इस तरह के विवाद हर साल गणेश चतुर्थी पर देखने को मिलते हैं। धार्मिक मान्यताओं और आधुनिकता के बीच एक असमानता का संघर्ष बना रहता है। हालांकि, यह आवश्यक है कि हम इन मुद्दों पर संवेदनशीलता से विचार करें और एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करें।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी जैसे धार्मिक उत्सव न केवल आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि ये हमारी संस्कृति का भी महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इस प्रकार के विवाद हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि कैसे हम अपनी परंपराओं और आधुनिकता के बीच संतुलन बना सकते हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि विविधता से भरी हमारी संस्कृति को समझने और सहिष्णुता से आगे बढ़ने की ज़रूरत है।
धार्मिक त्योहारों का उद्देश्य समर्पण, प्रेम और सद्भाव फैलाना है। ऐसे मामलों से बचने के लिए समाज को आपसी सहिष्णुता और समझ के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है।