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मोहन भागवत ने कहा- ‘अगर शिकंजी बना सकते हो, तो कोका-कोला क्यों खरीदें?’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत का आत्मनिर्भरता पर वक्तव्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक वक्तव्य दिया जिसमें उन्होंने भारत को हर मामले में आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारत से आने वाले सामान पर 50 प्रतिशत टैरिफ़ यानी आयात शुल्क लगा दिया है। यह स्थिति भारतीय उद्योगों और व्यापारियों के लिए एक चुनौती है, और मोहन भागवत के विचार इस संदर्भ में महत्व रखते हैं।

दिल्ली के विज्ञान भवन में आरएसएस के 100 साल पूरे होने के अवसर पर भाषण देते हुए, भागवत ने कहा, “हर बात में अपना देश आत्मनिर्भर होना चाहिए।” यह बयान उस समय की आवश्यकता को इंगित करता है जब वैश्विक स्तर पर आर्थिक तनाव और प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। भागवत का मानना है कि आत्मनिर्भरता का अर्थ यह नहीं है कि हमें विदेशी संबंधों को समाप्त करना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि आत्मनिर्भर होना अन्य देशों के साथ व्यापार और संबंधों को रोकना नहीं है।

विदेशी संबंधों का महत्व

मोहन भागवत ने कहा, “जब हम स्वदेशी की बात करते हैं, तो ऐसा नहीं है कि विदेशों से संबंध नहीं रहेंगे।” यह बयान एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जिसमें उन्होंने इसे स्पष्ट किया कि आत्मनिर्भरता का मतलब यह नहीं है कि हम अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य से खुद को अलग कर लें। बल्कि, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी स्वदेशी उत्पादों की सहायता करें और अपने देश के विकास में योगदान दें।

भागवत का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार जारी रहना चाहिए, लेकिन यह स्वेच्छा से होना चाहिए, न कि किसी दबाव के तहत। यह एक सकारात्मक दृष्टिकोण है, जो यह दर्शाता है कि भारत के पास वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बनाने का एक अवसर है, जबकि स्वदेशी उद्योगों को भी बढ़ावा मिलता है।

स्वदेशी का अनुपालन

उन्होंने ‘स्वदेशी’ की अवधारणा पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा, “इसलिए स्वदेशी का पालन करना होगा। इसका मतलब है कि जो घर में बनता है, उसे बाहर से नहीं लाना होगा।” यह एक सशक्त संदेश है जो भारतीयों को प्रोत्साहित करता है कि वे अपने स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दें।

उदाहरण के तौर पर, भागवत ने सुझाव दिया कि “गर्मी के दिनों में आप नींबू की शिकंजी बनाकर पी सकते हो, तो कोका कोला और स्प्राइट, बाहर के पेय क्यों लाना।” यह उन्होंने जीवन के सरल पहलुओं पर विचार करते हुए प्रस्तुत किया। उनका उद्देश्य यह था कि साधारण चीजों को अपनाकर भी हम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकते हैं।

प्रधानमंत्री का आह्वान

इससे पहले, स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आत्मनिर्भर भारत बनाने का आह्वान किया था। उन्होंने छोटे दुकानदारों और व्यवसायियों से अपील की थी कि वे “स्वदेशी” या “मेड इन इंडिया” के बोर्ड लगाएं। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो सरकार और समाज के बीच संवाद को बढ़ावा देता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि छोटे व्यवसाय और स्थानीय उत्पादों का समर्थन करना देश के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे यह संदेश जाता है कि देशवासियों को अपने उत्पादों पर गर्व करना चाहिए और उन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए।

आर्थिक स्वावलंबन की आवश्यकता

मोहन भागवत के इस विचार का अर्थ है कि भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना चाहिए, ताकि विदेशी निर्भरता कम हो सके। आत्मनिर्भरता केवल एक आर्थिक अवधारणा नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक, मानसिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण भी है। इससे समाज के हर वर्ग को विकास का अवसर मिलता है।

यदि हम आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ते हैं, तो हमें अपनी राष्ट्रीय पहचान को और मजबूत करना होगा। यह हमारी संस्कृति, हमारे उत्पादों और हमारे लोगों का मान बढ़ाने में सहायक होगा।

लोकल उत्पादों का महत्व

इसमें कोई संदेह नहीं है कि स्वदेशी उत्पादों का महत्व बढ़ता जा रहा है। जब हम अपने देश के उत्पादों का समर्थन करते हैं, तो हम न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करते हैं, बल्कि अपने देश की पहचान को भी प्रोत्साहित करते हैं।

स्वदेशी उत्पादों को अपनाने से न केवल रोजगार के अवसर बढ़ते हैं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है। इससे समग्र विकास की दिशा में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

संक्षेप में

मोहन भागवत का यह वक्तव्य न केवल एक आह्वान है, बल्कि यह भारत की दिशा और दृष्टि को भी स्पष्ट करता है। आत्मनिर्भरता केवल एक आर्थिक नीति नहीं, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और सामाजिक आवश्यकता है। हर भारतीय को इस दिशा में कदम बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि हम सब मिलकर एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर सकें।

आखिरकार, जब हम आत्मनिर्भर बनते हैं, तो हम अपने देश की भलाई के लिए काम करते हैं, और यह हमारे भविष्य की दिशा तय करता है। यह समय है जब हम अपने संसाधनों का ठीक से उपयोग करें और एक दूसरे का सहयोग करें। सभी sectors—वाणिज्य, उद्योग, कृषि आदि—को मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि हम एक सफल और खुशहाल समाज का निर्माण कर सकें।

इस दिशा में उठाए गए कदम भविष्य में भारत को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने में सहायक होंगे। हम सबको मिलकर यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने देश के प्रति समर्पित रहेंगे और उसे आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम करेंगे।

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