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IAEA टीम ने अमेरिका के हमलों के बाद, तेहरान में पहली बार अभियान शुरू किया; ईरान ने चेतावनी दी, अंतरराष्ट्रीय हिंदी समाचार.

ईरान और IAEA के बीच तीखी बातचीत: हालिया घटनाक्रम

ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरग्ची ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर स्पष्ट किया है कि इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के साथ नए सहयोग के ढांचे पर कोई अंतिम मसौदा अभी तक स्वीकृत नहीं किया गया है। इसके बजाय, दोनों पक्षों के बीच विचारों का आदान-प्रदान जारी है। यह बयान उस समय आया है जब IAEA की एक टीम ने ईरान में अपनी गतिविधियों को पुनः आरंभ किया है।

IAEA का मिशन और ईरान की स्थिति

IAEA, जो परमाणु सुरक्षा और सहयोग के लिए जिम्मेदार है, ने हाल ही में ईरान में अपने निरीक्षकों को वापस भेजा। ईरान ने इज़राइल के साथ जारी तनाव के दौरान IAEA के सभी निरीक्षकों को निष्कासित कर दिया था। पिछले कुछ महीनों में ईरान ने अपनी परमाणु गतिविधियों के लिए कई चुनौतियों का सामना किया है, जिसमें जून में IAEA के साथ सहयोग का निलंबन भी शामिल था।

IAEA के प्रमुख रफाइल ग्रोसी ने पुष्टि की है कि निरीक्षकों की पहली टीम ईरान लौट आई है और निरीक्षणों का कार्य आंशिक रूप से पुनः लागू हो गया है। हालांकि, ग्रोसी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या किसी प्रकार का औपचारिक अनुबंध या समयसीमा है जो इस पुनः संयोजन को परिभाषित करती है।

ईरान का दृष्टिकोण

ईरान के संबंधित विभागों ने कहा है कि वे तकनीकी मुद्दों पर बातचीत करना चाहते हैं, लेकिन वे निरीक्षणों को अनुमति देने में सतर्क हैं। ईरान के लिए, यह आवश्यक है कि उनके राष्ट्रीय हितों और संप्रभुता का पूरी तरह से सम्मान किया जाए। विदेश मंत्री अब्बास अरग्ची ने इसे स्पष्ट रूप से बताया है कि ईरान केवल उन्हीं शर्तों पर सहयोग करेगा, जो देश की क्षेत्रीय अखंडता को उनकी प्राथमिकता बनाते हैं।

IAEA और ईरान के बीच वार्ता में गहराई की कमी का प्रमुख कारण यह है कि ईरान ने आरोप लगाया है कि उनके परमाणु प्रतिष्ठान इज़राइल के हवाई हमलों के दौरान क्षतिग्रस्त हो गए थे। ईरान ने IAEA से इस संबंध में स्पष्टता भी मांगी है।

सैन्य तनाव और प्रतिशोध

13 जून को, ईरान के तीन प्रमुख परमाणु प्रतिष्ठानों को इज़राइल और अमेरिका के संयुक्त हमलों का सामना करना पड़ा। इन हमलों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे। इन हमलों के बाद, ईरान ने IAEA निरीक्षकों को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू की। ईरान ने सैन्य कार्रवाई के तहत ड्रोन और मिसाइल हमलों का सहारा लिया, लेकिन इसके बाद 24 जून से संघर्ष विराम लागू किया गया है।

ईरान ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि यदि उन पर और प्रतिबंध लगाए जाते हैं, तो IAEA के साथ चल रही सभी वार्ताएँ पूरी तरह से बंद हो सकती हैं। ईरान के उप विदेश मंत्री करीम गरीबाबादी ने इस बात का संकेत दिया है कि बातचीत की प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और संभवतः बातचीत स्थगित हो सकती है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और प्रतिक्रियाएँ

IAEA की गतिविधियाँ और ईरान के साथ उसके संबंध पूरी दुनिया की नज़र में हैं। ईरान की परमाणु नीति और आंतरिक गतिशीलता पर अंतर्राष्ट्रीय समाज के कई देशों की प्रतिक्रिया समय-समय पर बदलती ही रहती है। हालांके, ईरान ने अपने आप को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है और वे किसी भी प्रकार के विदेशी दबाव का समना करने के लिए तैयार हैं।

इस स्थिति में, ईरान की नीती यह है कि वे अपनी अनुभवी सुरक्षा स्थिति को बनाए रखें और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग की दावेदारी करते रहें। इसके लिए वे वार्तालाप के माध्यम से IAEA के साथ अपने रिश्तों को बनाने का प्रयास कर रहे हैं, हालाँकि हमेशा चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करते रहे हैं।

निष्कर्ष

IAEA और ईरान के बीच का यह वार्ता-चक्र बेहद संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण है। पिछले के घटनाक्रम इस बात के संकेत हैं कि ईरान अपने राष्ट्रीय स्कोप और क्षेत्रीय अखंडता से समझौता किए बिना किसी भी प्रकार की बाहरी दबाव को स्वीकार नहीं करेगा। यद्यपि वार्तालाप की कोशिशें जारी हैं, लेकिन इसके सफल होने की संभावनाएँ उस समय बढ़ सकती हैं जब दोनों पक्षों के बीच विश्वास की एक परत विकसित होगी।

इस परिदृश्य में, अंतर्राष्ट्रीय समाज की भूमिका भी अहम होगी क्योंकि उनका सक्रिय योगदान या हस्तक्षेप वार्ता की दिशा को प्रभावित कर सकता है। ईरान और IAEA के बीच भविष्य की साझेदारी के लिए एक स्पष्ट, पारदर्शी और सहमति आधारित ढांचे की आवश्यकता होगी, ताकि यह वार्ता लंबे समय तक सफलतापूर्वक चल सके।

यह एक महत्वपूर्ण समय है जब वैश्विक समुदाय को यह सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होना होगा कि ईरान की परमाणु गतिविधियां शांति और सुरक्षा के लिए खतरा न बनें, ताकि भविष्य में ऐसे संघर्षों की पुनरावृत्ति से बचा जा सके।

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