अधिकांश अमेरिकी प्रतिबंधों के पक्ष में हैं

भारत की स्थिति: रूसी तेल और अमेरिका का दबाव
भारत ने पहले ही स्पष्ट किया है कि रूसी तेल की खरीद के कारण यह अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा लक्षित किया जा रहा है। महत्वपूर्ण बात ये है कि भारत ने यह भी बताया है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ दोनों रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं, जिससे भारत की स्थिति की जटिलता और बढ़ जाती है।
हाल ही में जारी एक सर्वेक्षण के अनुसार, अमेरिका में अधिकांश लोग चाहते हैं कि रूस पर प्रतिबंध लगाये जाएं ताकि यूक्रेन के खिलाफ चल रहे युद्ध को समाप्त किया जा सके। यह सब तब हो रहा है जब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत को टारगेट बनाया है, यह कहते हुए कि वह रूसी तेल की खरीद को लेकर गंभीर चिंतित हैं।
सर्वेक्षण की विस्तृत तस्वीर
एक नए रायटर/इप्सोस पोल में सामने आया है कि 62 प्रतिशत अमेरिकी रूस के व्यापारिक भागीदारों पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में हैं। यह सर्वेक्षण उस समय आया है, जब 2022 में रूस ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई शुरू की थी। यह स्थिति भारत के लिए चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि वह युद्ध की स्थिति में अपने आर्थिक हितों की रक्षा कर रहा है।
भारत पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव
भारत ने यह स्पष्ट किया है कि अमेरिकी दंड का मुख्य कारण उसकी रूस से तेल खरीद है। अमेरिका ने पहले 25 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की थी, और फिर भारतीय कंपनियों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की कोशिश कर रहा है। ट्रम्प ने भारतीय और रूसी अर्थव्यवस्था को ‘मृत’ बताया, जो इस संघर्ष में भारत की स्थिति को और जटिल करता है।
इसीसঙ্গে, चीन भी रूस के तेल का खरीदार है, लेकिन ट्रम्प ने चीन के लिए मात्र 30 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जो भारत की तुलना में कम है। यह असमानता भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि वह अमेरिका के साथ अपने संबंधों को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, जबकि अपनी ऊर्जा जरूरतों को भी पूरा करना चाहता है।
ट्रम्प का सामरिक दृष्टिकोण
डोनाल्ड ट्रम्प ने यूक्रेन और रूस के बीच एक शांति समझौता करने के प्रयास किए हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं आया है। उनके विशेष दूत कीथ केलोग ने हाल ही में कहा था कि रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई को समाप्त करने के लिए बहुत कठिन प्रयास हो रहे हैं।
ट्रम्प ने कहा है कि उन्होंने पुतिन और जेलनस्की के बीच प्रत्यक्ष संवाद शुरू किया है, लेकिन रूस ने जल्दी में किसी भी शांति वार्ता की संभावना को खारिज कर दिया है। ट्रम्प ने खुलासा किया कि यदि दो सप्ताह के भीतर बातचीत निर्धारित नहीं की जाती है, तो वह अगले कदम के बारे में विचार करेंगे।
भारत का दृष्टिकोण
भारत की नीति अब तक संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की रही है। फिनलैंड के राष्ट्रपति ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और संघर्ष समाधान पर विचार साझा किया। पीएम मोदी ने भारत के निरंतर समर्थन की पुष्टि की है, जो शांति और स्थिरता की बहाली में सहायक होगा।
यह दर्शाता है कि भारत किसी भी स्थिति में अपना संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है। यूक्रेन संघर्ष के कारण एक जटिल वैश्विक परिस्थितियों का सामना कर रहा है और ऐसे में भारत को अपनी रणनीतिक नीतियों का समुचित समायोजन करना होगा।
समाप्ति विचार
भारत की स्थिति यूक्रेन विवाद में महत्वपूर्ण है, खासकर जब अमेरिका और यूरोपीय संघ दबाव डालते हैं। यह सवाल उठता है कि भारत कैसे अपने आर्थिक और राजनीतिक हितों का संतुलन बनाकर रख सकता है। भारत की कूटनीति यह तय करेगी कि वह इस चुनौतीपूर्ण समय को कैसे संभालता है और क्या वह किसी भी संभावित प्रतिबंधों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकेगा।
इन सभी घटनाक्रमों और सर्वेक्षणों ने स्पष्ट रूप से दर्शाया है कि भारत को अमेरिका, रूस और अन्य देशों के साथ संतुलन बनाने में काफी सावधानी से आगे बढ़ना होगा। इससे न केवल उसके राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा होगी बल्कि एक स्थायी और शांति संरक्षण की दिशा में भी प्रयास होंगे।