इमरान खान ने आसिम मुनीर पर सत्ता की लालच का आरोप लगाया, कहा- पाकिस्तान में उत्पीड़न की सारी सीमाएं तोड़ी गईं।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सेना प्रमुख आसिम मुनीर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्हें सत्ता का भूखा बताते हुए इमरान ने उन पर तानाशाही चलाने का इल्जाम लगाया। उन्होंने कहा कि मुनीर न तो नैतिकता को समझते हैं और न ही इस्लाम के मूल्यों को। इमरान का कहना है कि मुनीर को मुझसे माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने ही नौ मई की योजना बनाई थी और सीसीटीवी फुटेज चुराई थी। उनका तर्क है कि आज, नौ मई आसिम मुनीर की सुरक्षा की बीमा पॉलिसी बन गया है।
इमरान खान, जो एक पूर्व क्रिकेटर हैं और अब एक प्रमुख राजनीतिक नेता हैं, अगस्त 2023 से जेल में हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान में कोई हाइब्रिड शासन नहीं है, बल्कि जो कुछ भी हो रहा है, वह आसिम मुनीर की तानाशाही का नतीजा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि इसी कारण ट्रंप ने शहबाज शरीफ की बजाय मुनीर को आमंत्रित किया।
इमरान ने मुनीर पर अति-उत्पीड़न का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि उनके रिश्तेदार, जिनमें दो भांजे भी शामिल हैं, का अपहरण कर लिया गया है, जबकि उनका राजनीति से कोई संबंध नहीं है। इमरान का यह दावा है कि मुनीर ने इस प्रकार के अत्याचार करने की सभी सीमाओं को पार कर दिया है।
इस बात को और स्पष्ट करते हुए इमरान ने कहा कि देश की राजनीतिक स्थिति बहुत संवेदनशील हो गई है, और असहमति को सहन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जो भी उन पर या उनके समर्थकों पर ऊंगली उठाता है, उसे राजनैतिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
उनका यह भी कहना है कि मौजूदा हालात सिर्फ एक खास इरादे की पूर्ति के लिए बनाए जा रहे हैं। इस स्थिति में इमरान खान का मानना है कि उन्हें, उनके अथवा उनके समर्थकों को, स्वतंत्रता से अपनी बात रखने का पूरा हक है। इस प्रकार के उत्पीड़न का मुकाबला करने के लिए वह अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े होने का संकल्प लेते हैं।
इमरान खान की ये टिप्पणियां न केवल उनकी राजनीतिक स्थिति को दर्शाती हैं, बल्कि पाकिस्तान की राजनीति में हो रहे बदलावों की भी एक झलक देती हैं। उनका यह आक्रोश उस समय सामने आया है जब देश की राजनीतिक स्थिति में अस्थिरता और उथल-पुथल देखने को मिल रही है।
पाकिस्तान में भीषण राजनीतिक संकट के बीच इमरान खान की आवाज़ ने एक बार फिर लोगों का ध्यान खींचा है। वह ऐसे समय में बोल रहे हैं जब उनके खिलाफ अनेक कानूनी कार्रवाई की जा रही है। लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे।
इस स्थिति में इमरान की बातें लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई हैं। यदि वे अपने समर्थन में जनहित के मुद्दों को उठाते हैं, तो इससे उनकी स्थिति और भी मजबूत हो सकती है।
इमरान के द्वारा उठाए गए मुद्दों ने न केवल उनके समर्थकों को बल्कि आम जनता को भी जिम्मेदारी का एहसास कराया है। यह एक ऐसी बात है जो पाकिस्तान में लंबे समय से चली आ रही राजनीतिक वार्ता और तनाव का संकेत देती है।
आगे बढ़ते हुए, इमरान ने कहा कि किसी भी देश में लोकतंत्र तब ही फलता-फूलता है जब नागरिकों को अपनी आवाज उठाने का पूरा मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि उत्पीड़न का यही माहौल है, जो उन्हें और उनके समर्थकों को अपने हक के लिए लडऩे के लिए प्रेरित करता है।
उन्होंने अपने बयान में कहा कि केवल सच्चाई और नैतिकता की जीत होगी। इस लड़ाई में, इमरान खान ने यह भी कहा कि जो लोग उनका समर्थन करते हैं, वे भी दमन के खिलाफ खड़े होने का साहस दिखाएं।
इस तरह से, इमरान खान का यह बयान न केवल उनकी व्यक्तिगत स्थिति को दर्शाता है, बल्कि पाकिस्तान की राजनीतिक संस्कृति और उन्होंने जिस बदलाव की आवश्यकता बताई है, उसे भी रेखांकित करता है। उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही हालात में सुधार होगा और लोग फिर से एकजुट होकर सच्चाई और न्याय के लिए खड़े होंगे।
उनकी यह लड़ाई निस्संदेह पाकिस्तान की राजनीतिक दिशा को प्रभावित करने वाली है और इससे यह भी साफ होता है कि वे झुकने वाले नहीं हैं। उनका ऐतिहासिक यात्रा वही दिशा दिखाती है, जिसमें वे अपने मत का अधिकार बनाए रखते हुए आगे बढ़ना चाहते हैं।
इस प्रकार, इमरान खान की राजनीतिक यात्रा और विचारधारा देश के नागरिकों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। ये घटनाएँ न केवल उनकी लोकप्रियता को बढ़ा रही हैं, बल्कि नए नेतृत्व की आवश्यकता को भी उजागर कर रही हैं।