पत्नी ने कहा ‘इसे ले लो’, सौरभ भारद्वाज ने एड छापे पर 2 बजे तक कहानी साझा करने का आश्वासन दिया।

सौरभ भारद्वाज का आरोप: ईडी के छापे में मानसिक दबाव और साजिश
दिल्ली के वरिष्ठ आम आदमी पार्टी (AAP) नेता और पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने अपने घर पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा किए गए छापे के दौरान गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि ईडी ने न केवल उन पर बल्कि उनके परिवार पर भी मानसिक दबाव डाला है।
घर पर छापा
सौरभ भारद्वाज का यह आरोप है कि रात में छापा मारा गया, जिसने उनके पूरे परिवार को परेशान कर दिया। उन्होंने कहा कि जब उनकी छोटी बेटी सुबह स्कूल के लिए गई, तब ईडी और सीआरपीएफ के अधिकारी उनके घर पहुंचे। भारद्वाज ने अपने बयान में कहा कि उनकी पत्नी और बेटी मौके पर थीं और उनके लिए यह स्थिति बेहद तनावपूर्ण थी।
उन्होंने बताया कि छापे के दौरान वे स्वयं अपनी छोटी बेटी को स्कूल भेजने के लिए विवश थे, लेकिन जब घर में ईडी के अधिकारी मौजूद थे, तो यह स्थिति उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण थी। इस घटना को लेकर उनके मन में कई सवाल थे, और उन्होंने लंबे समय तक इस बात पर चर्चा की कि कैसे यह पूरी प्रक्रिया उनके और उनके परिवार पर मानसिक दबाव डाल रही थी।
बयान दर्ज करने का दबाव
सौरभ भारद्वाज ने यह भी आरोप लगाया कि ईडी के अधिकारी ने उन्हें अपने बयान बदलने के लिए मजबूर किया। उन्होंने कहा कि शाम में एक अधिकारी ने उनसे कहा कि उन्हें एक हलफनामा मिला है, जो वास्तव में एक सार्वजनिक दस्तावेज था। इस तरह के दबाव ने उन्हें यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या वास्तव में यह सब एक साजिश है।
उन्होंने कहा कि बयानों को दर्ज करने की प्रक्रिया सुबह 8 बजे से लेकर दोपहर 2 बजे तक जारी रही। इस दौरान, ईडी के अधिकारियों ने उन पर लगातार दबाव डाला कि वे क्या बोलें। भारद्वाज ने यह स्पष्ट किया कि उन्हें अपने बयान को बदलने के लिए कहा गया था, अन्यथा उन्हें जेल में भेज देने की धमकी दी गई थी।
सौरभ ने यह भी साझा किया कि वह बार-बार अपनी बातों में बदलाव कर रहे थे, जबकि उनका बयान वरिष्ठ अधिकारियों के पास जा रहा था और इसके बाद उन्हें वापस कर दिया जा रहा था।
परिवार पर मानसिक दबाव
सौरभ भारद्वाज ने यह भी कहा कि ईडी के अधिकारियों ने उनके परिवार को डराने की कोशिश की। उन्होंने मजाक में कहा कि उनकी पत्नी ने कहा, “इसे ले लो, यह वैसे भी घर पर नहीं रहता है,” और उनकी बेटी ने कहा, “यदि आप पिता को लेते हैं, तो मुझे अपने साथ रखें, मैं स्कूल में प्रसिद्ध हो जाऊंगी।”
इस प्रकार का व्यवहार और मानसिक दबाव किसी भी दल के नेता के लिए बर्दाश्त करने के लिए अत्यंत कठिन होता है। सौरभ ने कहा कि उन्हें महसूस हुआ कि ईडी का यह पूरा प्रयास उन्हें और उनके परिवार को मानसिक रूप से तोड़ने का था।
साजिश का संदेह
सौरभ भारद्वाज ने एक महत्वपूर्ण बिंदु उठाया कि यह सब कुछ दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की एक साजिश के तहत हो रहा है। उनका कहना था कि ईडी का लक्ष्य उन्हें और उनके जैसे अन्य विपक्षी नेताओं को डराना और उन्हें मानसिक रूप से तबाह करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके पास बैठक के मिनट और लिखित निर्देश हैं, जो उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को खंडित करते हैं।
अदालती कार्रवाई की संभावना
सौरभ भारद्वाज के इन बयानों से यह संकेत मिलता है कि वे इस संघर्ष को केवल मौखिक रूप से खत्म नहीं करेंगे, बल्कि संभवतः अदालती कार्रवाई का सहारा भी ले सकते हैं। आम आदमी पार्टी के नेता ने अपने अधिकारों का संरक्षण करने के लिए सभी रास्तों को अपनाने की बात की है।
निष्कर्ष
सौरभ भारद्वाज के इस अनुभव ने यह स्पष्ट किया है कि राजनीतिक दबाव और साजिशों का सामना करना एक सामान्य प्रक्रिया बन चुकी है। उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह की घटनाओं के चलते न केवल राजनीतिक नेताओं बल्कि उनके परिवार भी प्रभावित होते हैं। यह समय है कि इस प्रकार की साजिशों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होने की आवश्यकता है।
आम आदमी पार्टी के नेताओं पर ऐसे मामले सार्वजनिक जीवन में अधिक ध्यान खींचते हैं। सौरभ भारद्वाज जैसे नेताओं का यह आरोप साबित करता है कि राजनीतिक दबाव और साजिशें केवल इस दल तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह एक व्यापक समस्या है जो लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को चुनौती देती है।
सौरभ का यह कहना है कि वे इस दबाव को सहर्ष सहन करेंगे और अंततः सत्य की जीत होगी। इस तरह की घटनाएं हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या हमारी राजनीतिक प्रणाली सही दिशा में चल रही है।
अंत में, यह कहना आवश्यक है कि हमें अपने लोकतंत्र की रक्षा के लिए सजग रहना होगा और उन घटनाओं का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा जो हमें अपनी राजनीतिक धाराओं से हटाने का प्रयास करती हैं। इस स्थिति पर उचित कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।