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कमलनाथ और दिग्विजय की दोस्ती में क्यों आई दरार? सिंधिया के कारण एक-दूसरे को काट रहे हैं।

दिग्विजय सिंह और कमलनाथ: दोस्ती में दरार की कहानी

दिग्विजय सिंह ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में ऐसी बात साझा की जिसने मध्य प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने 5 साल पहले की एक बंद कमरे की बातचीत को सार्वजनिक किया, जिसमें उन्होंने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने के पीछे का कारण कमलनाथ थे, न कि वह स्वयं। इसके बाद से कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह पर खुलकर वार किया है।

45 साल की दोस्ती में दरार

दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की दोस्ती लगभग 45 साल पुरानी है, लेकिन अब यह दोस्ती दरारों में झूलती नजर आ रही है। विधानसभा और लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद कमलनाथ का कद पार्टी में कम हुआ है। उनकी अध्यक्ष पद की कुर्सी चली गई है, और यहां तक कि उनके बेटे नकुलनाथ को भी कांग्रेस पार्टी में कोई पद नहीं दिया गया। इसके विपरीत, दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को राहुल गांधी ने जिलाध्यक्ष का पद प्रदान किया है, जिससे यह स्पष्ट है कि यह असंतोष दोनों के बीच एक महत्वपूर्ण कारण बन सकता है।

कमलनाथ की सक्रियता में कमी

जहां दिग्विजय सिंह पूरे प्रदेश में सक्रिय दिखाई देते हैं—आदिवासियों के अधिकारों की मांग हो या जीतू पटवारी पर एफआईआर के खिलाफ न्याय सत्याग्रह, वह हमेशा वहां होते हैं। वहीं, कमलनाथ अब छिंदवाड़ा तक ही सीमित रह गए हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि राजनीति में सक्रियता और प्रभाव का स्तर उनके बीच का महत्वपूर्ण अंतर बन गया है।

वर्चस्व की लड़ाई

दिग्विजय सिंह द्वारा 5 साल पुरानी बातचीत को सार्वजनिक करके यह साबित कर दिया गया है कि वे अपनी स्थिति को मजबूती से रखना चाहते हैं। इस बयान के जरिए, उन्होंने कमलनाथ को एक प्रकार का राजनीतिक चुनौती दी है। इस घटना ने मध्य प्रदेश कांग्रेस में एक बार फिर वर्चस्व की लड़ाई शुरू कर दी है।

अब यह देखना होगा कि क्या दिग्विजय और कमलनाथ की यह पुरानी दोस्ती फिर से मजबूत हो पाती है या यह दरार और गहरी होती जाती है। इस समय कांग्रेस में उनके प्रभाव और भविष्य की दिशा पर सवाल उठते हैं।

राजनीति की पेचीदगियां

इसी बीच, दोनों नेता अपने-अपने बेटों को राजनीति में लाने का प्रयास कर रहे हैं। यह एक नई पीढ़ी का प्रवेश है, जो कांग्रेस की राजनीति में बदलाव लाने का मौका दे सकता है। लेकिन क्या यह प्रयास उनकी पुरानी दोस्ती को और चुनौती देगा?

समापन

कुल मिलाकर, दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की दोस्ती से लेकर उनके बीच की दरारों तक, इस राजनीतिक बखेड़े ने मध्य प्रदेश की राजनीतिक स्थिति को जटिल कर दिया है। इन दोनों नेताओं की नीतियों और कार्यों को लेकर लोगों की क्या राय होगी, यह देखने वाली बात होगी।

राजनीति में दोस्ती और दुश्मनी का यह खेल अंततः जनता के हितों पर कैसा प्रभाव डालेगा, यही सबसे महत्वपूर्ण है। इसलिए, आने वाले समय में इस कहानी पर नजर रखना जरूरी होगा।

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