चीन से कोरिया तक: कौन से देशों में कुत्तों का मांस खाया जाता है, और किन देशों ने इसे प्रतिबंधित किया है?

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भोजन और पेय संबंधी परंपराएं विशिष्ट और विविध रही हैं। भारत में, कुत्ते को एक घरेलू और वफादार साथी के रूप में माना जाता है, जबकि कई एशियाई और अफ्रीकी देशों में इसके मांस को खाने की परंपरा रही है। लेकिन हाल के वर्षों में, इस परंपरा के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं, और कई देशों ने इसके खिलाफ कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
दक्षिण कोरिया में ऐतिहासिक निर्णय
दक्षिण कोरिया में कुत्ते का मांस खाने की पुरानी परंपरा रही है। हालांकि, हाल ही में वहां की सरकार ने कुत्ते के मांस का कारोबार समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए। इस संबंध में एक नया कानून पारित किया गया, जिसके तहत कुत्तों का प्रजनन, वध और व्यापार अवैध घोषित कर दिया गया। सरकार का कहना है कि कुत्तों को अब पालतू जानवरों और साथियों के रूप में देखा जाता है, न कि खाने के लिए। इसी कारण से कुत्ते के मांस की खपत में कमी आई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2015 में 27% लोग कुत्ते का मांस खाते थे, जबकि यह संख्या 2024 में केवल 8% तक रह जाएगी।
कुत्ता खाने वाले देश
चीन में कुत्ते का मांस खाने की परंपरा काफी स्थायी है, विशेषकर यूलिन डॉग मीट फेस्टिवल जैसे आयोजनों के दौरान। हालांकि, इसके खिलाफ आवाज़ें उठने लगी हैं, और कई प्रांतों में इसे प्रतिबंधित किया गया है। इंडोनेशिया, वियतनाम, लाओस और म्यांमार के लोग भी कुत्ते का मांस खाते हैं। लेकिन इन सभी देशों में, पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का दबाव बढ़ता जा रहा है, और इस प्रथा को धीरे-धीरे समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है।
अफ्रीकी देशों में परंपरा
एशिया के अलावा, कई अफ्रीकी देशों में भी कुत्ते के मांस का सेवन किया जाता है। हालाँकि, इन देशों में अब तक कानूनों का बड़ा पैमाना नहीं बना, और न ही सामाजिक चर्चाएँ इस मुद्दे पर तेजी से बढ़ी हैं।
प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता
कुत्ते के मांस पर प्रतिबंध लगाने का सबसे बड़ा कारण पशु क्रूरता और पशु कल्याण से संबंधित चिंताएं हैं। इसके अलावा, स्वास्थ्य और स्वच्छता भी महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, क्योंकि इस उद्योग का संचालन मुख्यतः अनौपचारिक विधियों से होता है। दूसरी ओर, कुछ प्रदर्शनकारी यह प्रश्न उठाते हैं कि यदि कुत्ते के मांस पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है, तो अन्य मांस जैसे गोमांस, पोर्क या चिकन पर ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता? पशु अधिकार समूहों का तर्क है कि कुत्ते आज घरों में पालतू जानवरों और परिवार के सदस्यों के रूप में स्थित हैं, इसलिए उन्हें खाद्य सामग्री के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
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