मथुरा

आज से, हर घर में गणपति की स्थापना की जाएगी।

गणेश चतुर्थी का उत्सव

गणेश चतुर्थी का त्योहार हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 27 अगस्त से शुरू हो रहा है। जैसे-जैसे त्योहार का समय पास आ रहा है, बाजारों में गणेश मूर्तियों और सजावटी वस्तुओं की धूम मची हुई है। मंगलवार को बाजारों में ग्राहकों की भरपूर भीड़ देखी गई। इस बार पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियों की मांग अधिक देखने को मिल रही है, जिससे लोगों में इस त्योहार को लेकर विशेष उत्साह है।

गणेश चतुर्थी पर लोग घरों और मंदिरों में गणेश की मूर्तियों का स्वागत करने के लिए तैयार हो रहे हैं। बाजारों में विभिन्न आकार की मूर्तियाँ उपलब्ध हैं। इन मूर्तियों को कारीगरों द्वारा मिट्टी और प्लास्टर ऑफ पेरिस से तैयार किया गया है, जो विभिन्न रंगों और डिजाइनों में उपलब्ध हैं। कुछ मूर्तियाँ पारंपरिक रूप में हैं, जबकि कई आधुनिक शैली में तैयार की गई हैं।

पूनम शर्मा, जो औरंगाबाद में रहती हैं, कहती हैं कि वे हर साल गणपति बप्पा की नई प्रतिमा खरीदी हैं और इस बार भी वे उत्सुकता से अपनी पसंद की मूर्ति का इंतजार कर रही हैं। इसी प्रकार, माया टिला की निवासी सोनम अग्रवाल ने बताया कि वह हर साल अपने घर के बाहर गणेशजी को बैठाती हैं और इस बार उन्होंने एक विशेष मूर्ति खरीदी है जो सिंहासन पर बैठी हुई है।

सजावट की वस्तुओं की बिक्री

कृष्णा नगर में स्थित दुकानदार दिनेश कुमार ने भी इस त्योहार के दौरान बाजार में होने वाली गतिविधियों के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि मूर्तियों के अलावा, सजावट की वस्तुओं की बिक्री में भी काफी वृद्धि हुई है। बाजार में रंग-बिरंगे स्कर्ट, रोशनी और कृत्रिम फूल उपलब्ध हैं। यह वर्ष सजावट की वस्तुओं की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि दिखा रहा है।

दुकानदारों का कहना है कि इस बार पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियों की मांग बढ़ी है। ग्राहक मिट्टी की मूर्तियों को खरीदना पसंद कर रहे हैं, क्योंकि वे विसर्जन के बाद आसानी से पानी में घुल सकती हैं। बाजार में ये मूर्तियाँ 150 रुपये से लेकर 6500 रुपये तक की कीमत में उपलब्ध हैं।

पूजा का समय और सामग्री

ज्योतिषाचार्य कामेश्वर चतुरवेदी ने गणेश पूजा के सही समय और सामग्री के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि गणेश का जन्म भद्रापदा महीने की शुक्ला चतुर्थी तीथी में मध्य दिन में हुआ था। उनकी माता पार्वती और पिता महादेव हैं। पूजा का सबसे शुभ समय दोपहर 12:30 बजे से प्रारंभ होता है। पूजा में आवश्यक सामग्री में रोल, चावल, फूल, मिठाई, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, लड्डू, दुरवा और खिल होना चाहिए।

गणेश चतुर्थी का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भाईचारे का भी प्रतीक है। इस पर्व के माध्यम से लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियाँ साझा करते हैं। गणेश की पूजा न केवल घर में, बल्कि स्कूलों, कॉलेजों, और कार्यालयों में भी की जाती है, जिससे हर जगह उत्सव का माहौल बना रहता है।

गणेश चतुर्थी का पर्व हमें यह सिखाता है कि हमें जीवन में बाधाओं को दूर करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहना चाहिए। गणेश जी को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है। उनकी पूजा करने से हम अपने जीवन में सकारात्मकता और खुशियों को आमंत्रित कर सकते हैं।

आस्था और परंपरा

गणेश चतुर्थी के इस पर्व में कई परंपराएँ सम्मिलित हैं। जैसे, इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं, घरों की सफाई करते हैं और गणेश जी की मूर्ति को विधिपूर्वक स्थापित करते हैं। पूजा-अर्चना के दौरान लोग भक्ति भाव से गीत गाते हैं और भजनों का आयोजन करते हैं। इसके अलावा, लोग एक दूसरे को मिठाइयाँ बाँटते हैं और मोदक, जो गणेश जी का प्रिय प्रसाद है, का विशेष रूप से तैयार करते हैं।

यह पर्व न केवल धार्मिक गतिविधियों का निर्माण करता है, बल्कि बच्चों और बड़े सभी के लिए आनंद का कारण बनता है। बच्चों की आँखों में गणेश जी की मूर्ति को देखकर एक अलग ही खुशी देखने को मिलती है। कई परिवार इस मौके पर गोपनीयता बनाए रखते हैं और बच्चों को गणेश जी के बारे में कहानियाँ सुनाते हैं, जिससे उन्हें इस पर्व की महत्ता समझ में आती है।

पर्यावरण संरक्षण

इस बार समाज के लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी देखने को मिल रही है। कई लोग प्लास्टिक की मूर्तियों का उपयोग नहीं करना पसंद कर रहे हैं और मिट्टी की मूर्तियों को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह एक अच्छा संकेत है कि लोग पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों को समझ रहे हैं और उसे सुरक्षित रखने के प्रयास कर रहे हैं।

इस जागरूकता के साथ, कई संगठन भी इस दिशा में काम कर रहे हैं। वे लोगों को पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियों के लाभों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिससे लोग इस दिशा में सोचने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। इससे न केवल वातावरण स्वस्थ रहेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए भी एक सुंदर और स्वच्छ परिवेश सुनिश्चित होगा।

समारोह और उत्सव की समाप्ति

गणेश चतुर्थी का उत्सव दस दिन तक मनाया जाता है, जिसके बाद गणेश जी का विसर्जन किया जाता है। यह विसर्जन समारोह भी बहुत भव्य और उत्साहपूर्ण होता है। लोग ढोल-नगाड़े के साथ, मंत्रों का उच्चारण करते हुए गणेश जी की मूर्ति को जल में विसर्जित करते हैं। यह मान्यता है कि भगवान गणेश इस समय अपने भक्तों के साथ होते हैं और अगले वर्ष फिर से लौटने का वादा करते हैं।

समाप्ति के बाद, लोग अपने घरों में जिस प्रकार से गणेश जी का स्वागत करते हैं, उसी प्रकार उनकी विदाई भी श्रद्धा और सम्मान के साथ होती है। विसर्जन के समय लोग एक-दूसरे से अपने अनुभव साझा करते हैं और उन लम्हों को याद करते हैं जो उन्होंने पूजा के दस दिनों में बिताए।

निष्कर्ष

इस प्रकार, गणेश चतुर्थी का पर्व एक सही मायने में जीवन का उत्सव है। यह हमें एक साथ लाने, परंपराओं को जीवित रखने और समाज में खुशियाँ बांटने का अवसर प्रदान करता है। हमें इस पर्व से सीखी गई शिक्षाओं को याद रखकर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। गणेश जी की कृपा से हम सभी के जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का संचार हो।

सभी भक्तों को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ! इस पर्व को मनाते हुए हम सब मिलकर भावनाएँ साझा करें और एक-दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारा बढ़ाएं। गणेश बप्पा की कृपा सब पर बनी रहे।

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