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ईरान-इज़राइल संघर्ष की ताजा जानकारी: ईरान की विदेश मंत्री ने इज़राइल को दी चेतावनी, कहा – इजरायल संघर्ष विराम की मांग कर रहा है, लेकिन तैयारी है एक और युद्ध की।

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरग्ची ने खुलकर इजरायल को चेतावनी दी है कि अगर एक बार फिर युद्ध हुआ, तो उसे एक शक्तिशाली जवाब का सामना करना पड़ेगा। उनका यह बयान हाल ही में हुऐ 12 दिवसीय संघर्ष के संदर्भ में आया है, जिसमें इजरायल ने संघर्ष विराम का आग्रह किया था।


इज़राइल ईरान युद्ध
ईरान ने इजरायल को धमकी दी है

जेद्दा: ईरान ने यह स्पष्ट किया है कि वह एक नए युद्ध के लिए तैयार है, और अगर इजरायल ने फिर से हमला किया, तो उसे इस बार गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। अरग्ची ने एक साक्षात्कार में कहा कि ‘कुछ भी संभव है’ और तेहरान हर स्थिति के लिए तत्पर है। वे इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की बैठक में शामिल होने के लिए सऊदी अरब गए थे, जिसमें गाजा पट्टी की स्थितियों पर चर्चा की जा रही थी।

इजरायल की विफलताएँ

साक्षात्कार में, अरग्ची ने यह स्पष्ट किया कि इजरायल और ईरान के बीच पिछले जून में हुई 12-दिवसीय लड़ाई के दौरान, इजरायल अपने किसी भी लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त नहीं कर सका। उन्होंने यह दावा किया कि संघर्ष विराम का प्रस्ताव खुद इजरायल से आया था। अरग्ची ने कहा कि ईरान ने अंत तक लड़ाई जारी रखी, जबकि इजरायल को लगा कि वे उन्हें जल्दी ही रोक सकेंगे।

संघर्ष विराम की मांग

अरग्ची ने यह बताया कि 12 दिनों के संघर्ष के बाद बिना शर्त संघर्ष विराम का आग्रह इजरायल की ओर से आया। चूंकि यह एक बिना शर्त विनियोजन था, ईरान ने इसे स्वीकार कर लिया। उन्होंने चेतावनी दी कि एक और युद्ध की स्थिति में ईरान का जवाब और भी कड़ा होगा।

अरग्ची ने कहा, ‘इजरायल का सामना करने वाले देशों को मजबूत होना चाहिए।’ उन्होंने सलाह दी कि इजरायल को किसी तरह की भी रियायत नहीं देनी चाहिए। उनका कहना था कि नेतन्याहू की सरकार के पास भड़काऊ बयानों को देने की ताकत है। उन्होंने अन्य देशों से इजरायल के साथ संबंध तोड़ने और व्यापार को रोकने का आह्वान किया, इसे गाजा का समर्थन करने के लिए एक व्यावहारिक कदम के रूप में वर्णित किया।

ईरान ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि वह अपने दुश्मनों के समक्ष एक मजबूत और स्थायी छवि बनाए रखे। उनका जोर इस बात पर है कि अगर स्थिति फिर से गंभीर होती है, तो इससे बचने की कोशिश के बजाय, उन्हें अपने कट्टर विरोधियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

अरग्ची का यह बयान इस्लामिक सहयोग संगठन की बैठक में चर्चा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना जहां गाजा के हालात पर चर्चा हुई। इसे देखते हुए, ईरान के नेतृत्व की पूरी कोशिश है कि वे अपने समर्थकों को एकजुट रखें और किसी भी संभावित हमले का करारा जवाब देने की क्षमता बनाए रखें।

ये टिप्पणियाँ केवल ईरान और इजरायल के रिश्तों में बढ़ती तनाव का संकेत नहीं देतीं, बल्कि इसे एक ऐसे क्षेत्र में उथल-पुथल की स्थिति को भी दर्शाती हैं जहां राजनीतिक गतिशीलता निरंतर बदलती रहती है।

अंत में, ईरान का यह स्पष्ट संकेत है कि वे किसी भी प्रकार के हमले का सामना करने के लिए तैयार हैं, और यह दिखाता है कि यह पूर्वी मध्य-पूर्व में पारसी साम्राज्य की शक्ति की एक पुनरावृत्ति नहीं है बल्कि वैश्विक भू-राजनीति के लिए एक बड़ा संकेत है कि ईरान फिर से एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनना चाहता है।

इस प्रकार के बयानों और प्रतिक्रियाओं ने यह साबित कर दिया है कि ईरान और इजरायल के बीच टकराव केवल सामरिक या क्षेत्रीय मुद्दे नहीं हैं, बल्कि यह धर्म, संस्कृति और राजनीतिक आइडियोलॉजी का भी एक गंभीर संघर्ष है।

कुल मिलाकर, यह स्थिति आने वाले समय में और भी जटिल और खतरनाक हो सकती है। ईरानी विदेश मंत्री की चेतावनियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अन्य देश इस तनाव को कैसे संभालते हैं।

घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए, वैश्विक बिरादरी को इस दिशा में सावधानीपूर्वक और विवेकपूर्ण व्यवहार करना होगा। इसके चलते ही यह संभव हो सकेगा कि किसी भी प्रकार की हिंसा या युद्ध से बचा जा सके। ऐसी स्थिति में, एकता और संवाद को बहुत अधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ताकि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा स्थापित की जा सके।

इसलिए, मध्य-पूर्व में जारी इस संकट का समाधान निकालने के लिए केवल कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता नहीं है, बल्कि इसके लिए क्षेत्रीय देशों को भी एकजुट होकर काम करना होगा। ईरान और इजरायल के साथ-साथ अन्य देश भी इस दिशा में कदम उठाएं ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।

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