राजनीतिक

Dehradun: Congress Protests at Raj Bhawan, Breaches Barricades; 150 Workers Taken Into Custody

कांग्रेस का राजभवन कूच: घटनाक्रम और आरोप

हाल ही में कांग्रेस ने वोट चोरी, लचर कानून व्यवस्था और आपदा में कुप्रबंधन के आरोप लगाते हुए राजभवन की ओर मार्च किया। इस प्रदर्शन में कांग्रेस के नेता और उनके समर्थक बड़ी संख्या में शामिल थे। उन्हें हाथीबड़कला में पुलिस द्वारा रोक दिया गया, जहां उन्होंने बैरिकेडिंग पर चढ़कर सरकार के खिलाफ उग्र नारेबाजी की। पुलिस ने इस दौरान लगभग 150 नेताओं को हिरासत में लिया और उन्हें पुलिस लाइन में भेज दिया।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत और विधायक प्रीतम सिंह ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया। प्रदर्शन के दौरान, कांग्रेस कार्यकर्ता राजपुर रोड से होते हुए हाथीबड़कला पहुंचे, लेकिन तैयार पुलिस बल ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। इस पर नेताओं और समर्थकों के बीच पुलिस के साथ झड़प हो गई थी। कई नेता सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए बैरिकेडिंग पर चढ़ गए और सरकार के खिलाफ आवाज उठाई।

उनका कहना था कि प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। करन माहरा ने भाजपा सरकार और पार्टी के पदाधिकारियों पर इस हिंसा में संलिप्त होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में राज्य निर्वाचन आयोग के साथ मिलकर भाजपा ने वोटों की डकैती की है। प्रदेश को बिहार और उत्तर प्रदेश की तरह माफिया और अपराधियों का राज्य बना दिया गया है।”

इस प्रदर्शन में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भी भाजपा पर जमकर हमला बोला। उनका कहना था कि भाजपा सरकार में कानून व्यवस्था इतनी खराब हो चुकी है कि आम जनता खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है। उन्होंने राज्य सरकार से जवाब मांगा कि आखिरकार वे इस बेबसी और समस्या का समाधान कब करेंगे।

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर विपक्ष को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। उनका कहना था कि सरकार के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस के कार्यकर्ता इस बात से नाराज थे कि कैसे पुलिस ने उनकी आवाज उठाने के अधिकार को छीनने का प्रयास किया।

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस भाजपा सरकार के खिलाफ मजबूत और संगठित रूप से खड़ी है। पार्टी के नेता यह बताते हैं कि उनके पास जनता का समर्थन है और वे जनता की समस्याओं को उठाने के लिए कटिबद्ध हैं। उनका मानना है कि लोकतंत्र में विरोध जताना हर नागरिक का अधिकार है, और सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह अधिकार सुरक्षित रहे।

प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस के नेताओं ने सरकार की अनेक नीतियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि असमानता और अन्याय के खिलाफ उनकी आवाजें सुनने के लिए सत्ता में बैठे लोग तैयार नहीं हैं। यही कारण है कि अब कांग्रेस ने सड़कों पर उतरने का निर्णय लिया है और इसके पीछे की भावना यह है कि जनता को अपनी आवाज उठाने का पूरा अधिकार है।

कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो वे भविष्य में और भी बड़े आंदोलन कर सकते हैं। उनका यह आश्वासन है कि वे कभी भी सरकार को अपने कार्यों के लिए आराम से नहीं बैठने देंगे। उनकी कोशिश रहेगी कि वे जनता के मुद्दों को लगातार उठाते रहें और राजनीतिक संवाद को आगे बढ़ाएं।

आखिरकार, यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस का यह प्रदर्शन केवल एक राजनीतिक गतिविधि नहीं है, बल्कि यह एक संकेत है कि विपक्ष भी जनता की समस्याओं को लेकर गंभीर है। अब देखना यह है कि भाजपा इस मसले पर क्या कदम उठाती है और प्रदेश के लोगों को अपने हक की लड़ाई में किस तरह का समर्थन मिलता है।

कांग्रेस का यह आंदोलन इस बात का भी संदेश है कि लोकतंत्र में हर दल की भूमिका होती है और उन्हें अपने विचार व्यक्त करने का पूरा अधिकार है। जब नागरिक अपने हक के लिए लड़ते हैं, तो यह लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक होता है।

इस प्रकार, कांग्रेस ने राजभवन कूच कर प्रदेश की राजनीतिक स्थिति को एक नया मोड़ दिया है। विपक्षीय राजनीति में उठते इन सवालों के जवाब भविष्य में ही मिलेंगे, लेकिन यह निश्चित रूप से हमारे राजनीतिक मंच पर एक महत्वपूर्ण घटना है।

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