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गिलगित-बाल्टिस्तान में मची भारी तबाही, अचनाक आई बाढ़ से डूबे कई गांव; सरकारी मदद को तरसे लोग

इस्लामाबाद । पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान में पिछले हफ्ते आई ग्लेशियर और फ्लैश फ्लड ने भारी तबाही मचाई है। पाकिस्तानी न्यूज एजेंसी डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, हजारों लोग अब भी पानी, बिजली और दवाइयों जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। ग्लेशियर टूटने और मलबा बहने से सड़कें, खेत और घर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। गिलगित-शांडूर रोड पूरी तरह डूब जाने के कारण कई गांव चौथे दिन भी बाहरी दुनिया से कटे हुए हैं।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि करीब 300 घर बाढ़ की चपेट में आकर झील में समा गए। इससे पूरा इलाका बबार्दी की चपेट में है। कई परिवार अपने घर छोड़ने को मजबूर हैं और बेघर हो गए हैं। लोग बिजली, स्वच्छ पानी, इलाज और आश्रय की कमी से जूझ रहे हैं। रौशन और तिलदास गांव में शुक्रवार को आई इस तबाही ने लोगों की जिंदगी पलट दी। सात किलोमीटर लंबी झील ने खेती की जमीन डुबो दी और सड़क के बड़े हिस्से बहा दिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार सिर्फ गिजर ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में ग्लेशियर फटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इस सीजन में चार बड़े मामले दर्ज किए गए हैं, जिनसे घर, फसल और सड़कें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। तापमान में बढ़ोतरी को इस संकट का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। बढ़ती गर्मी से ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं और अचानक झील बनने से बाढ़ जैसी तबाही बार-बार देखने को मिल रही है।
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय ने चेतावनी दी है कि सितंबर की शुरूआत तक मौसम की स्थिति गंभीर बनी रह सकती है। इससे और बाढ़, भूस्खलन और फसल नुकसान का खतरा है। पहले से ही प्रभावित लोग अब और भी मुश्किल हालात का सामना कर सकते हैं। राहत और पुनर्वास कार्य शुरू न होने से लोगों का गुस्सा सरकार पर लगातार बढ़ रहा है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान हर साल जून से सितंबर के बीच मॉनसून बाढ़ से जूझता है। 2022 में आई विनाशकारी बाढ़ में 1,700 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और करोड़ों लोग विस्थापित हुए थे। आर्थिक नुकसान 40 अरब डॉलर से अधिक आंका गया था। इस बार भी हालात बेहद गंभीर हैं और गिलगित-बाल्टिस्तान में हालिया बाढ़ ने एक बार फिर पाकिस्तान की कमजोर आपदा प्रबंधन व्यवस्था को उजागर कर दिया है।

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