एल्गार केस से हटे न्यायमूर्ति सुंदरेश; बॉम्बे हाईकोर्ट के सीजे के लिए जस्टिस चंद्रशेखर के नाम की सिफारिश

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम. एम. सुंदरेश ने मंगलवार को एल्गार परिषद-माओवादी लिंक केस के आरोपी अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग की जमानत याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। अदालत की वेबसाइट पर दर्ज स्थिति के अनुसार यह मामला अब उनके समक्ष सूचीबद्ध नहीं होगा। यह सुनवाई जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटेश्वर सिंह की बेंच के समक्ष होनी थी। वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने आठ अगस्त को सीजेआई बी. आर. गवई के समक्ष मामले का उल्लेख किया था और कहा था कि उनके मुवक्किल गाडलिंग छह साल से अधिक समय से जेल में हैं तथा उनकी जमानत अर्जी सुप्रीम कोर्ट में 11 बार स्थगित हो चुकी है।
गाडलिंग पर आरोप है कि उन्होंने माओवादी संगठन को मदद पहुंचाई और सरकार की गतिविधियों से जुड़ी गुप्त जानकारी तथा नक्शे मुहैया कराए। उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने सुरजगढ़ की खदानों के खिलाफ माओवादियों को भड़काया और स्थानीय लोगों को आंदोलन से जोड़ा। यह मामला एल्गार परिषद सम्मेलन (31 दिसंबर 2017, पुणे) से जुड़ा है, जहां दिए गए भाषणों के बाद अगले दिन भीमा-कोरेगांव स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी। गाडलिंग को यूएपीए और आईपीसी की विभिन्न धाराओं में आरोपी बनाया गया है। इससे पहले बंबई हाईकोर्ट ने इसी मामले में महेश राउत को जमानत दी थी, लेकिन एनआईए ने इस आदेश को चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश के लिए जस्टिस श्री चंद्रशेखर के नाम की सिफारिश की है। यह निर्णय 25 अगस्त को हुई कॉलेजियम की बैठक में लिया गया। जस्टिस चंद्रशेखर फिलहाल बॉम्बे हाईकोर्ट में ही जज के तौर पर कार्यरत हैं, जबकि उनकी पैतृक अदालत झारखंड हाईकोर्ट है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की इस बैठक की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश ने की, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ भी शामिल थे। बैठक में कई अहम फैसले लिए गए, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद पर जस्टिस श्री चंद्रशेखर की नियुक्ति की सिफारिश रही। इसके अलावा कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट के छह अतिरिक्त जजों को स्थायी जज बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। इन जजों के नाम हैं जस्टिस संजय आनंदराव देशमुख, जस्टिस वृशाली विजय जोशी, जस्टिस अभय जयरामजी मंत्री, जस्टिस श्याम छगनलाल चांदक, जस्टिस नीरज प्रदीप धोटे और जस्टिस सोमशेखर सुंदरसन। इनकी स्थायी नियुक्ति से बॉम्बे हाईकोर्ट की कार्यक्षमता और बढ़ेगी।
कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट के साथ-साथ केरल हाईकोर्ट से जुड़ा एक बड़ा फैसला भी किया। यहां तीन अतिरिक्त जजों को स्थायी जज बनाए जाने की मंजूरी दी गई। इनमें जस्टिस जॉनसन जॉन, जस्टिस गोपीनाथन उन्नीथन गिरीश और जस्टिस चेल्लप्पन नादर प्रथीप कुमार शामिल हैं। इन नियुक्तियों से केरल हाईकोर्ट में लंबित मामलों के निपटारे की गति तेज होने की उम्मीद है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के ये निर्णय न्यायपालिका में पारदर्शिता और कार्यक्षमता बढ़ाने के कदम माने जा रहे हैं। न्यायपालिका में मुख्य न्यायाधीश और स्थायी जजों की नियुक्ति न केवल संस्थान को मजबूती देती है, बल्कि न्याय पाने के इच्छुक आम नागरिकों के लिए भी राहत की उम्मीद बढ़ाती है। जस्टिस श्री चंद्रशेखर की सिफारिश के साथ बॉम्बे हाईकोर्ट को एक अनुभवी नेतृत्व मिलने जा रहा है।