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बॉर्डर से 30 किमी तक के दायरे में सभी अतिक्रमण हटेंगे, बढ़ेगी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की जिम्मेदारी

नई दिल्ली । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि सीमांत गांवों में दूरसंचार, सड़क संपर्क, शिक्षा, स्वास्थ्य और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिए। वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम ‘वीवीपी’ को सरकारी प्रोग्राम नहीं, प्रशासन की स्पिरिट बनाना है। गृह मंत्री ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य तभी प्राप्त हो सकेगा, जब यह प्रशासन की स्पिरिट बनेगा। वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम में मनरेगा के तहत कुछ नए तालाब बनाने, सघन वृक्षारोपण और स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की संभावना पर भी विचार किया जाना चाहिए। सीमा से कम से कम 30 किलोमीटर तक के दायरे में सभी अवैध अतिक्रमण हटाए जाने चाहिए। गुजरात ने इस दिशा में बहुत अच्छा काम किया है, वहां समुद्री और भू सीमा से ढेर सारे अतिक्रमण हटाए गए हैं।
गृह मंत्री ने मंगलवार को नई दिल्ली में गृह मंत्रालय के सीमा प्रबंधन विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि यह बात कही है। शाह ने कहा कि वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम-1 में हम कार्यक्रम तक सीमित रहे, लेकिन वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम-2 में हमें प्रशासन का दृष्ट्रिकोण बदलने की जरूरत है। उन्होंने सीमावर्ती जिलों के कलेक्टरों से कहा कि वे अवैध धार्मिक अतिक्रमण को हटाने की दिशा में उचित कार्रवाई करें। ये अतिक्रमण एक सुनिश्चित डिजाइन के तहत हो रहे हैं। सभी अवैध अतिक्रमण हटाए जाने चाहिए। अपने सम्बोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम का विचार तीन बिंदुओं पर आधारित है, जिनमें सीमांत गांवों से पलायन रोकना, सीमांत गांवों के हर नागरिक को केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ सुनिश्चित करना है। वीवीपी में चिह्नित गांवों को सीमा और देश की सुरक्षा के लिए एक उपकरण बनाना शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम के विचार को सामने रखा था, तब यह तय हुआ था कि इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाए। न केवल हर सीमांत गाँव को सभी सुविधाओं से युक्त बनाया जाएग, बल्कि सीमांत गांवों में रहने वाले हर नागरिक को भारत सरकार और राज्य सरकार की सभी योजनाओं से लैस करके उनके व्यक्तिगत जीवन को बेहतर बनाया जाए। साथ ही इन गांवों को देश और सीमा की सुरक्षा के मजबूत उपकरण के तौर पर विकसित किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश के अंतिम गाँव को देश के पहले गाँव की उपाधि देकर सीमावर्ती गांवों को देखने का हमारा नजरिया बदलने का काम किया। वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम के लिए चिह्नित किए गए देश के पहले गाँव कुछ साल बाद हमारे देश और उसकी सीमाओं की रक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण उपकरण सिद्ध होंगे।
उन्होंने कहा कि इस प्रोग्राम के माध्यम से मल्टी-डायमेंशनल और मल्टी-सेक्टोरल विकास की कल्पना के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने, संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन, पर्यटन के माध्यम से रोजगार सृजन और हर तरह से गाँव के जीवन को वाइब्रेंट बनाने के प्रयास हुए हैं।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों, वीवीपी में शामिल गांवों के जिला कलेक्टरों और सभी केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की जिम्मेदारी है कि वे वीवीपी तक सीमित नहीं रहें और इस कार्यक्रम के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए यह विचार करें कि वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम से आगे बढ़कर और क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं। वीवीपी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए यह आवश्यक है कि भारत सरकार और राज्य सरकारों के सभी विभाग मिलकर इन सीमावर्ती गांवों को सच्चे अर्थों में सुरक्षा का महत्वपूर्ण उपकरण बनाएं।
अमित शाह ने कहा कि वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम की संकल्पना को चरितार्थ करने के लिए सरकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत सैचुरेशन, पर्यटन के लिए आवश्यक जनसुविधाओं को बढ़ावा और सहकारी संस्थाओं को प्रोत्साहित कर रोजगार सृजन जैसे कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अगर होमस्टे जैसे प्रयोगों को सीमावर्ती गांवों तक ले जाएँ और इनमें बुकिंग के लिए राज्यों के पर्यटन विभाग उचित व्यवस्था करें तो सीमांत गांवों के हर घर में रोजगार होगा। शाह ने कहा कि राज्यों के ग्रामीण विकास विभाग को इन गांवों का गौरव स्थापित करने की दिशा में प्रयास करना होगा और इसमें जिला कलेक्टरों की अहम भूमिका है। अगर गांवों में सभी सुविधाएं और रोजगार हों तो स्थानीय लोगों में गाँव छोड़ कर जाने की इच्छा कभी नहीं होगी। गृह मंत्री ने कहा कि युवा कलेक्टरों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विषम भौगोलिक परिस्थिति के बावजूद हमारे नागरिक अपना गाँव नहीं छोड़ें, पलायन न हो और गाँव की आबादी में वृद्धि भी हो।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम लागू करने के बाद कई सीमावर्ती गांवों में आबादी बढ़ी है। यह हमारे देश के सभी सीमांत गांव के लिए एक संदेश है कि फिर से आबादी बढ़ने का हमारा यह ट्रेंड सही रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि डेमोग्राफिक बदलाव हमारे लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम में शामिल जिलों के कलेक्टरों को इस मुद्दे को गंभीरता और बारीकी से देखना होगा। सीमावर्ती क्षेत्रों में डेमोग्राफिक बदलाव सीधे तौर पर देश और सीमाओं की सुरक्षा को प्रभावित करता है। गृह मंत्री ने कहा कि यह नहीं मानना चाहिए कि यह भौगोलिक स्थिति के कारण हो रहा है, बल्कि यह एक निश्चित डिजाइन के तहत हो रहा है। उन्होंने कहा कि राज्यों के मुख्य सचिवों और सीएपीएफ को भी इस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है।अमित शाह ने कहा कि योजनाओं के शत-प्रतिशत सैचुरेशन के लिए जिला कलेक्टरों को यह विचार करना चाहिए कि क्या वे इसमें केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के साथ समन्वय कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल स्वास्थ्य, खेल और शिक्षा के क्षेत्र में मदद प्रदान कर सकते हैं। श्री शाह ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में आईटीबीपी ने रोजमर्रा की चीजें, जैसे – दूध, सब्जी, अंडे, अनाज आदि वाइब्रेंट गांव से ही खरीदने का सफल प्रयोग किया है। उन्होंने कहा कि हर सीमांत गांव में इस प्रयोग को जमीन पर उतारने की जरूरत है। शाह ने यह भी कहा कि सीमा पर तैनात सेना भी गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय से समन्वय कर वाइब्रेंट गांव में रोजगार सृजन की जिम्मेदारी ले।गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और जिला कलेक्टर की जिम्मेदारी है कि वे डेयरी कॉपरेटिव बनाकर सीएपीएफ और सेना के दूध की जरुरत को गांव से ही पूरा करे। इससे रोजगार सृजन में सहायता मिलेगी। इस प्रयोग को प्रभावी मॉडल के तौर पर विकसित कर हर वाइब्रेंट विलेज में लागू करने का काम गृह मंत्रालय, सभी केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, रक्षा मंत्रालय के माध्यम से सेना और जिला कलेक्टरो को हाथ में लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि रोजगार के सृजन से पलायन अपने आप रुकेगा।

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