सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर निगम ने 100 से अधिक निःस्वार्थ कुत्तों को पकड़ा।

मथुरा में, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, नगर निगम ने सौ से अधिक लावारिस कुत्तों को पकड़ा है और उन्हें तीन दिनों के भीतर एबीसी सेंटर में भेज दिया गया है। इन कुत्तों की नसबंदी की जा रही है और साथ ही उन्हें रेबीज टीकाकरण भी दिया जा रहा है। यह प्रक्रिया पांच से छह दिनों की है, जिसके बाद इन कुत्तों को एक ही स्थान पर पुनः छोड़ दिया जाएगा।
एबीसी सेंटर के डॉ. कृष्णा के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पूर्व, लावारिस कुत्तों की नसबंदी और रेबीज टीकाकरण की प्रक्रिया लगातार चल रही थी। अब तक, 10,000 से अधिक कुत्तों को सफलतापूर्वक नसबंदी और टीकाकरण किया जा चुका है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस प्रक्रिया में तेजी आई है। नगरपालिका की टीम प्रतिदिन लगभग 35 से 40 कुत्तों को पकड़ रही है और उन्हें एबीसी सेंटर में लाया जा रहा है। नसबंदी और टीकाकरण के बाद, इन कुत्तों को वहीँ छोड़ दिया जा रहा है।
हालांकि, इस प्रक्रिया के बाद कुत्तों को छोड़ने में विभिन्न चुनौतियाँ आ रही हैं। स्थानीय लोग अपने कॉलोनी के चारों ओर लावारिस कुत्तों को छोड़ने पर आपत्ति जता रहे हैं। नगरपालिका के कर्मचारी लगातार लोगों से यह अपील कर रहे हैं कि कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद ही पुनः छोड़ा जा रहा है। इसके बावजूद, बहुत से लोग इस बात को सुनने को तैयार नहीं हैं। अतिरिक्त नगरपालिका आयुक्त अनिल कुमार ने बताया कि तीन दिन में, नगरपालिका टीम ने सौ से अधिक कुत्तों को पकड़ कर एबीसी सेंटर में भेजा है। यह विशेष अभियान लगातार जारी है।
### पालतू कुत्तों का पंजीकरण
लावारिस कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के अलावा, पालतू कुत्तों का भी पंजीकरण किया जा रहा है। इसके अंतर्गत घरेलू कुत्तों के लिए 100 रुपये और विदेशी कुत्तों के लिए 500 रुपये का पंजीकरण शुल्क लिया जा रहा है। यदि कोई व्यक्ति अपने पालतू कुत्ते का पंजीकरण नहीं करता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा।
इस तरह की कदमों का उद्देश्य समाज में कुत्तों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना और लोगों के बीच जागरूकता फैलाना है। कुत्तों को उचित देखभाल और सुरक्षा प्रदान करने के लिए यह सभी कदम बेहद आवश्यक हैं।
आगामी समय में नगरपालिका टीम ने लगातार इस अभियान को आगे बढ़ाने की योजना बनाई है ताकि अधिक से अधिक लावारिस कुत्तों को सुरक्षित और स्वस्थ बनाया जा सके।
नगर निगम की यह पहल न केवल लावारिस कुत्तों के कल्याण के लिए है, बल्कि यह स्थानिक निवासियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। नगरपालिका के इस प्रयास से यह उम्मीद की जा रही है कि धीरे-धीरे स्थानीय समुदाय में कुत्तों के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव आएगा और लोग इनकी देखभाल और सुरक्षा को गंभीरता से लेने लगेंगे।
### दुसरा पहलवानी
नगर निगम द्वारा यह एक अच्छी शुरुआत है, लेकिन इस प्रक्रिया में कई चुनौतियां भी शामिल हैं। स्थानीय निवासियों से अपने क्षेत्रों में कुत्तों को छोड़ने पर संकोच करने की स्थिति उत्पन्न हो गई है। लोगों का मानना है कि उनके बच्चों और परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के लिए लावारिस कुत्तों को पकड़ कर कहीं और छोड़ देना चाहिए।
हालांकि, डॉ। कृष्णा और अनिल कुमार का कहना है कि यह कुत्ते नसबंदी और टीकाकरण के बाद वापस वहीँ छोड़े जाते हैं जहाँ से उन्हें पकड़ा गया था। यह किया जा रहा है ताकि कुत्ते अपने क्षेत्र में बने रहें और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र में सामंजस्य बना रहे।
### सामुदायिक जागरूकता
समुदाय में जागरूकता फैलाने के लिए नगर निगम ने कई कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है। इन कार्यक्रमों में कुत्तों की देखभाल, नसबंदी की महत्वता, और टीकाकरण जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी जिससे कि स्थानीय लोग इस विषय में जागरूक हो सकें।
अधिक से अधिक लोगों को इस प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जैसे-जैसे लोग इस मुद्दे के प्रति जागरूक होंगे, वैसे-वैसे कुत्तों के प्रति उनकी सोच में भी बदलाव आएगा। यह भविष्य में कुत्तों के संरक्षण और देखभाल के लिए एक मजबूत नींव तैयार कर सकता है।
### अंत में
कुल मिलाकर, नगर निगम द्वारा उठाए गए कदम और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लावारिस कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण की प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल कुत्तों के कल्याण के लिए बल्कि समाज के लिए भी आवश्यक है। समाज में जब तक जागरूकता और समझ नहीं बनेगी, तब तक ऐसा अभियान सफल नहीं हो सकता। स्थानीय लोग और नगर निगम दोनों को साझा प्रयास करने होंगे ताकि सभी पक्षों के हितों की रक्षा हो सके।
जरूरत है कि हम सभी मिलकर इस दिशा में काम करें और सुनिश्चित करें कि हमारे चारों ओर के कुत्ते सुरक्षित और स्वस्थ रहें।