गौतम गंभीर के विवादास्पद बयान ने एशिया कप से जुड़े मामले में खड़ा किया बवाल।

भारत के पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं। उन्होंने एमएस धोनी के साथ-साथ भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर को भी निशाना बनाया है। तिवारी ने कहा कि धोनी ने कभी भी उन्हें कप्तान के रूप में समर्थन नहीं दिया और अब गंभीर को ‘पाखंडी’ करार दिया है। तिवारी और गंभीर के बीच के रिश्ते काफी अच्छे नहीं रहे हैं, और दिल्ली में खेले गए रणजी मैच में उनके बीच हुई दुर्व्यवहार की घटना भी सभी को याद है।
तिवारी ने भारत बनाम पाकिस्तान मैच के संदर्भ में गंभीर को ताना मारा है। एक क्रिक ट्रैकर के साथ बातचीत के दौरान, उन्होंने गंभीर के एक पुराने बयान का उल्लेख किया, जिसमें गंभीर ने कहा था कि भारत को तब तक पाकिस्तान के साथ नहीं खेलना चाहिए जब तक कि आतंकवाद का मुद्दा समाप्त नहीं होता। तिवारी ने गंभीर के उस बयान को भी याद किया जब उन्होंने पाकिस्तान के साथ मैच खेलने से मना किया था, खासकर पहलगाम हमले के बाद। गंभीर का यह बयान स्पष्ट था कि टीम इंडिया को पाकिस्तान से कोई मैच नहीं खेलना चाहिए था।
गौतम गंभीर के पुराने बयानों को देखकर यह स्थिति स्पष्ट होती है कि एशिया कप 2025 में भारत और पाकिस्तान तीन बार आमने-सामने आ सकते हैं। इसके अंतर्गत 14 सितंबर को एक ग्रुप मैच होगा, उसके बाद दोनों टीमें सुपर-4 स्टेज में जाएंगी और फिर फाइनल तक पहुंचेंगी। इस प्रकार, दोनों टीमें 3 बार मैच खेल सकती हैं।
मनोज तिवारी ने यह भी कहा, “मैंने हमेशा गौतम गंभीर को एक पाखंडी के रूप में माना है। जब वह एक कोच नहीं थे, तो उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई मैच नहीं होना चाहिए। अब वह क्या करेंगे? भारतीय टीम का हिस्सा बनने के लिए?”
क्रिकेट जगत में इस विवाद ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, और पूर्व क्रिकेटरों के विचारों में भी यह चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसा लगता है कि तिवारी का यह बयान गंभीर के लिए एक चुनौती है, क्योंकि दर्शकों के सामने उनके पहले के विचारों और वर्तमान स्थिति के बीच का अंतर स्पष्ट हो रहा है।
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच हमेशा ही विवादों और जिज्ञासाओं का सामना करते रहे हैं। जब बात दो प्रतिरोधक देशों के बीच प्रतिस्पर्धा की होती है, तो उसके पीछे की भावनाएं भी गहरी होती हैं। इस तरह की स्थिति में, खिलाड़ी और प्रशंसक दोनों के विचार महत्वपूर्ण होते हैं।
मनोज तिवारी ने अपने विचार स्पष्ट रूप से व्यक्त किए हैं और यह दर्शाता है कि भारतीय क्रिकेट के विभिन्न पहलुओं पर खिलाड़ियों के मतभेद कैसे प्रकट होते हैं। गंभीर और तिवारी के बीच का यह बड़ा मामला यह दिखाता है कि खेल में न केवल कौशल और प्रदर्शन महत्वपूर्ण होते हैं, बल्कि खिलाड़ियों के आपसी संबंध और उनके विचार भी खेल की भावना को प्रभावित करते हैं।
कुल मिलाकर, इस विवाद ने क्रिकेट जगत में नई बहस को जन्म दिया है। क्या गौतम गंभीर के बयानों का अब कोई महत्व रह गया है? क्या क्रिकेट में स्पोर्ट्समैनशिप से ज्यादा महत्वपूर्ण है खिलाड़ियों का आपसी संबंध? मनोज तिवारी के इस विवादित बयान ने निश्चित रूप से चर्चा को और गहरा कर दिया है।
भारतीय क्रिकेट फैंस के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षण है, क्योंकि वे दोनों खिलाड़ियों के विचार और दृष्टिकोण को समझना चाहते हैं। इस तरह के विवाद से न केवल क्रिकेट की छवि प्रभावित होती है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि खिलाड़ी अपने विचारों को खुलकर व्यक्त करने से नहीं कतराते।
आखिर में, कहना होगा कि तिवारी और गंभीर के बीच का यह मुद्दा भारतीय क्रिकेट के लिए एक ज्वलंत विषय है। भले ही वह मैदान पर साथी हों, लेकिन उनके विचार और दृष्टिकोण कई बार अलग हो सकते हैं। यह बात क्रिकेट की दुनिया का एक अनिवार्य हिस्सा है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में इस विवाद का क्या नतीजा निकलता है और क्या दोनों खिलाड़ी इस स्थिति को सुलझा पाते हैं या नहीं। दर्शक निश्चित रूप से इस मामले पर करीबी नजर बनाए रखेंगे।