दिल्ली की उच्च रैंकिंग वाली शतरंज खिलाड़ी अरिनी लाहोटी

शतरंज खिलाड़ी आरिनी लाहोटी
दिल्ली की आरिनी लाहोटी ने केवल 5 साल की उम्र में एक अद्वितीय उपलब्धि हासिल कर भारत की सबसे कम उम्र की महिला फाइड-रेटेड खिलाड़ी बनने का गौरव प्राप्त किया। उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल हो चुका है। इस कम उम्र में, उन्होंने कई राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करके सभी को प्रभावित किया है।
आरिनी की शुरुआत
आरिनी ने अपने शतरंज के करियर की शुरुआत बहुत ही छोटी उम्र से की। जब वह केवल 2 साल की थीं, तब उन्होंने प्रसिद्ध शतरंज खिलाड़ी मैग्नस कार्लसेन के खेल को देख कर खेल के बुनियादी नियम और चालें सीखी। यह उनकी प्रारंभिक रुचि का परिचायक है, जिसने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
उपलब्धियों की ओर बढ़ते कदम
आरिनी ने अपने अनूठे कौशल से पश्चिम बंगाल की उदती भट्टाचार्य का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिसके फलस्वरूप उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया। यह उपलब्धि न सिर्फ उनके लिए, बल्कि उनके परिवार के लिए भी गर्व का विषय है।
प्रतियोगिताएँ और प्रदर्शन
अप्रैल-मई 2025 में, आरिनी ने मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में आयोजित दिल्ली स्टेट चेस चैम्पियनशिप में U-11, U-9 और U-7 लड़कियों की श्रेणियों में भाग लेकर सभी को प्रभावित किया। उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन ने उन्हें एक नई पहचान दिलाई। जून 2025 में, उन्होंने दो प्रमुख टूर्नामेंटों में भाग लिया: राष्ट्रीय यू-07 चैम्पियनशिप और राष्ट्रीय यू-09 चैम्पियनशिप, जहाँ उन्होंने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया और अपने कौशल का लोहा मनवाया।
कोच और पिता का योगदान
आरिनी के पिता, सुरेंद्र लाहोटी, केवल उसके पिता ही नहीं, बल्कि उसके पहले कोच भी हैं। उन्होंने आरिनी को शतरंज की दुनिया में कदम रखने के लिए प्रेरित किया। सुरेंद्र खुद एक अंतरराष्ट्रीय शतरंज खिलाड़ी रहे हैं और वर्तमान में एक स्कूल में खेल कोच के रूप में काम कर रहे हैं। उनके मार्गदर्शन में, आरिनी ने खेल के प्रति अपनी रुचि और कौशल को और बढ़ाया है।
भविष्य की संभावनाएँ
आरिनी की अद्वितीय क्षमताओं और उपलब्धियों को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि उनका भविष्य उज्ज्वल है। देश की युवा प्रतिभाओं के लिए वह एक प्रेरणा बन गई हैं। उनके जैसे छोटे खिलाड़ी यह साबित कर सकते हैं कि उम्र कभी भी किसी के सपनों को पूरा करने में बाधा नहीं बन सकती।
आधुनिक समय में, जहाँ तकनीक और खेल की जानकारी आसानी से उपलब्ध है, वहाँ युवा खिलाड़ियों के लिए अवसर भी अधिक हैं। आरिनी के खेल में दी गई मेहनत और पारिवारिक समर्थन ने उसे इस मुकाम तक पहुँचाया है। शतरंज ऐसी खेल है जहाँ ध्यान, रणनीति और धैर्य की आवश्यकता होती है, और आरिनी में ये गुण स्पष्ट नजर आते हैं।
समाज पर प्रभाव
आरिनी लाहोटी की उपलब्धियाँ न केवल उसके लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणादायक हैं। उनकी सफलता ने दिखाया है कि अगर किसी में प्रतिभा है, तो उसे न केवल पहचानने बल्कि उसे निखारने का अवसर भी मिलना चाहिए। आरिनी जैसे युवा खिलाड़ियों के लिए सशक्तिकरण का यह सफर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है।
निष्कर्ष
आरिनी लाहोटी की कहानी उन सभी बच्चों के लिए एक प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं। शतरंज की कला
और विज्ञान
में उनकी मेहनत और उनकी माता-पिता का समर्थन उन्हें नई ऊँचाइयों तक पहुँचा रहा है। हमें आशा है कि आने वाले वर्षों में वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी बड़े सपने देखेगी और उन्हें साकार करेगी। आरिनी ने साबित किया है कि प्रतिभा की कोई उम्र नहीं होती और अगर आप मेहनत करते हैं, तो किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।