शाह ने विपक्ष पर निशाना साधा: ‘वे जेल में भी सत्ता बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं’

130वें संविधान संशोधन विधेयक पर अमित शाह की बातें
भ्रष्टाचार से संबंधित 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर हाल ही में संसद में तीखी बहस देखने को मिली। इस विधेयक के तहत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य केंद्रीय एवं राज्य मंत्रियों को भ्रष्टाचार के मामलों में पद से हटाने की provisions शामिल हैं। विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोलने का अवसर नहीं छोड़ा, इसे सत्ता की चोरी करार देते हुए, इसके खिलाफ मोर्चा खोला है। इस विधेयक के बारे में गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ महत्वपूर्ण विचार साझा किए हैं।
विपक्ष की मंशा पर सवाल
गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष की मंशा को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि विपक्ष जेल में रहने के बाद भी आसानी से सरकार बनाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा, “क्या यह उचित है कि जेल से कोई प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री सरकार चलाए? क्या हमारे देश में यह सोच है कि पद पर बैठे व्यक्ति के बिना सरकार नहीं चल सकती?” शाह ने इस बात पर जोर दिया कि अगर किसी की पार्टी के पास बहुमत है, तो उसे अपना नेता चुनने का अधिकार है।
अमित शाह ने कहा, “अगर किसी व्यक्ति को न्यायालय से दो साल से अधिक की सजा मिलती है, तो उसकी संसद की सदस्यता अपने आप समाप्त हो जाती है,” यह टिप्पणी उन्होंने कांग्रेस के शासन काल के संदर्भ में की।
विपक्ष की नैतिकता पर सवाल
अमित शाह ने राहुल गांधी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा लाए गए अध्यादेश को फाड़ने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, “क्या उस दिन नैतिकता थी, आज नहीं है?” उनका मानना है कि अगर नैतिकता के आधार पर विपक्ष इस विधेयक का विरोध कर रहा है, तो उन्हें खुद भी अपने कार्यकाल में उठाए गए कदमों पर गौर करना चाहिए।
समर्थन का संदेह
जब उनसे पूछा गया कि क्या एनडीए के सहयोगी जैसे चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार इस विधेयक का समर्थन करेंगे, तो शाह ने कहा कि सभी दल समर्पित हैं और बहस का मौका मिलते ही अपने विचार रखेंगे।
संसद में सुरक्षा
संसद के भीतर सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF) की तैनाती पर अमित शाह ने कहा कि संसद में सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि यह बदलाव एक ऐसी घटना के बाद हुआ था जब कुछ वामपंथी सदस्यों ने संसद के भीतर स्प्रे किया था।
नैतिकता के पाठ पर विचार
अमित शाह ने कहा कि विपक्ष उन्हें नैतिकता का पाठ पढ़ा रहा है, जबकि उन्होंने सीबीआई से समन मिलने के बाद अगले ही दिन इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने बताया कि बाद में उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार करार दिया गया और उन्हें निर्दोष साबित किया गया।
धनखड़ का इस्तीफा
पूर्व उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के संदर्भ में, शाह ने कहा कि उन्हें स्वास्थ्य समस्या के कारण इस्तीफा देना पड़ा, और इसे ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं किया जाना चाहिए।
केजरीवाल और नैतिकता
AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर अमित शाह ने चर्चा की। उन्होंने कहा कि अगर यह कानून लागू होता, तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ता। उनकी नैतिक जिम्मेदारी के अंतर्गत, जब जनता ने उनसे सवाल किए, तब उन्होंने इस्तीफा दिया।
सुदर्शन रेड्डी पर टिप्पणी
विपक्षी उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी की भूमिका को लेकर अमित शाह ने कहा कि उन्होंने सलवा जुडूम को खारिज किया था और इस कारण नक्सलवाद को बढ़ावा मिला।
निष्कर्ष
अमित शाह का यह बयान राजनीति में नैतिकता, जिम्मेदारी और पारदर्शिता के महत्व पर जोर देता है। उन्होंने विपक्ष की आलोचना करते हुए यह स्पष्ट किया है कि भारत में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सही कदम उठाने की आवश्यकता है।
इससे यह भी स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ इस विधेयक का पारित होना महत्त्वपूर्ण है और यह देश के राजनीतिक परिदृश्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।