आगरा में राम मंदिर मॉडल को हरे नेट से ढका गया, सेना भूमि खाली करने की योजना बना रही है।

राम मंदिर का मॉडल और सेना की भूमि
सेना ने राम मंदिर के मॉडल को अपनी ए-1 भूमि पर, लाल बहादुर शास्त्री चौराहे के पास, बिना किसी अनुमति के हरे जाल के साथ ढक दिया है। अब सेना इस भूमि से अतिक्रमण हटाने और इसे नगर निगम से मुक्त कराने की प्रक्रिया कर रही है। यह मॉडल अगस्त में नगर निगम द्वारा स्थापित किया गया था।
रविवार की शाम, सेना के जवानों ने एक ट्रक में बांस-बालियों और हरे जाल के साथ वहां पहुंचकर राम मंदिर के मॉडल को ढक दिया। इस मॉडल को स्थापित करने के बाद से कई दिन गुजर जाने के बावजूद, नगर निगम ने इसे खाली नहीं किया। पिछले हफ्ते नगर निगम के कर्मचारी वहां मॉडल को मजबूत करने के लिए प्लेटफॉर्म बना रहे थे, लेकिन सेना ने इसे रोकने के लिए आगे आई।
G20 शिखर सम्मेलन का महत्व
G20 शिखर सम्मेलन के दौरान, इस भूमि का सौंदर्यीकरण किया गया था और यहां एक पार्क भी बनाया गया था। उस दौरान G20 लोगो को ग्लोब के साथ स्थापित किया गया था, जो पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना। हालांकि, उस समय के लिए निगम को भूमि दी गई थी, लेकिन बाद में यह भूमि अतिक्रमण का शिकार हो गई।
बातचीत की कमी
नगर निगम ने बिना सेना से अनुमति लिए राम मंदिर का मॉडल स्थापित किया। यह कार्य मुख्यमंत्री की यात्रा से एक दिन पहले किया गया था, जिससे निगम की कार्यप्रणाली और भी संदिग्ध हो गई है। सेना ने इस पर आपत्ति जताई है और अब नगर निगम को इस विषय पर असहज महसूस हो रहा है।
मॉडल की संरचना
राम मंदिर का मॉडल, जो लगभग 30 फीट ऊंचा और 40 फीट लंबा है, कबाड़ की वस्तुओं से बनाया गया था। इसे आगरा के एक स्थानीय कलाकार द्वारा तैयार किया गया था। इसे पहले एक बड़े स्थान पर लगाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन स्थान की कमी के कारण इसे सेना की भूमि पर स्थापित किया गया।
भूमि का महत्व
यह ए-वन भूमि सेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसका उपयोग बैरकों, दुकानों, और भंडार के लिए किया जाता है। यह स्थान मॉल रोड पर स्थित है, जो कि सामरिक दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है। नगर निगम और सेना दोनों को इसकी अहमियत समझ में आ रही है।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
अतिरिक्त नगरपालिका आयुक्त ने बताया कि सेना के साथ राम मंदिर के मॉडल को लेकर बातचीत चल रही है। उन्हें सूचना मिली है कि मॉडल को हरे जाले से ढका गया है। इस मामले में वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों के अनुसार अगली कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला न केवल जमीन के उपयोग से जुड़ा है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि कैसे सरकारी और सेना के बीच की प्रक्रिया को स्पष्ट करने की आवश्यकता है। इस विषय पर चल रही बातचीत से प्रदेश के प्रशासनिक एवं सैन्य मामलों को समझने में मदद मिलेगी।
जनहित में यह आवश्यक है कि दोनों पक्ष अपने अपने अधिकारों और दायित्वों को समझें और बातचीत के माध्यम से समस्याओं का हल निकालें। आगे की घटनाएं इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।