राजनीतिक

Uttarakhand Cabinet Expansion: Legislators Seek to Fill Five Empty Ministerial Positions

उत्तराखंड में कैबिनेट विस्तार

उत्तराखंड की सियासत एक बार फिर गर्माने वाली है। लंबे समय से कैबिनेट विस्तार का इंतजार कर रहे विधायकों के अरमान अब पूरे होने की उम्मीदें तेज हो गई हैं। पुष्कर सिंह धामी सरकार ने पांच खाली पदों को भरने की तैयारी शुरू कर दी है। दो साल बाद राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भी कैबिनेट विस्तार अहम माना जा रहा है।

राज्य मंत्रिमंडल में फिलहाल पांच पद खाली हैं। इनमें से चार पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं, जबकि एक पद पूर्व संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद खाली हुआ है। भाजपा विधायकों को इन पदों के भरे जाने का बेसब्री से इंतजार है।

कैबिनेट विस्तार की चर्चाएँ

भाजपा के सूत्रों के अनुसार, हाल ही में सीएम धामी के दिल्ली दौरे के दौरान कैबिनेट विस्तार को लेकर उनकी शीर्ष नेतृत्व के साथ महत्वपूर्ण बातचीत हुई। माना जा रहा है कि शीर्ष नेतृत्व की हरी झंडी मिलने के बाद इस पर जल्द फैसला किया जाएगा।

रविवार को मुख्यमंत्री धामी के साथ ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी इस संबंध में संकेत दिए। उन्होंने कहा कि धामी कैबिनेट के खाली पद भरने को लेकर लंबे समय से कवायद जारी है। बातचीत अंतिम चरण में है और जल्द ही रिक्त पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी।

संभावित चेहरे

उत्तराखंड में सियासी गलियारों में कैबिनेट में शामिल किए जाने वाले चेहरों को लेकर चर्चाएँ ज़ोर पकड़ रही हैं। जिन नामों को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं उनमें विधायक खजानदास, मदन कौशिक, प्रदीप बत्रा, विनोद कंडारी, भरत चौधरी, बंशीधर भगत, राम सिंह कैड़ा आदि के नाम शामिल हैं।

विधायकों की सीएम से मुलाकात

धामी कैबिनेट के विस्तार की चर्चाओं के बीच भाजपा के कई विधायकों ने रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। इस मीटिंग को अहम माना जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद सोशल मीडिया के जरिए विधायकों से मुलाकात की जानकारी दी।

मुलाकात करने वाले विधायकों में गंगोलीहाट विधायक फकीर राम टम्टा, रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी, गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान, जागेश्वर विधायक मोहन सिंह माहरा तथा दायित्वधारी कैलाश पंत और रजनी रावत शामिल रहे।

सियासी प्राथमिकताएँ

कैबिनेट विस्तार को लेकर भाजपा में खासा उत्साह है। कई विधायकों ने मुख्यमंत्री से सीधे मुलाकात की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि विधायक भी इस विषय पर जितना जल्दी हो सके कार्रवाई करने के पक्ष में हैं। इस विस्तार के पीछे मुख्यमंत्री धामी की रणनीति साफ नजर आती है कि वे अपने मंत्रिमंडल में संतुलन बनाने के साथ-साथ पार्टी के भीतर की असंतोष को भी कम करना चाहते हैं।

चुनावी तैयारी

उत्तराखंड की राजनीति में कैबिनेट विस्तार का उद्देश्य केवल पद भरना नहीं है, बल्कि यह आने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एक महत्वपूर्ण रणनीति भी है। सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा को अपने मंत्रिमंडल में न केवल अनुभवी सदस्यों को शामिल करना होगा, बल्कि उन नए चेहरों को भी मौका देना होगा जो पार्टी के प्रति अच्छी छवि रखते हैं।

विधायक समुदाय की प्रतिक्रियाएँ

विधायकों की सक्रिय भागीदारी और उनके मुख्यमंत्री से मिलने के प्रयास इस बात का संकेत हैं कि वे बदलाव के लिए तैयार हैं। प्रदेश भाजपा द्वारा कैबिनेट विस्तार की प्रक्रिया शुरू करने के निर्णय को विधायकों ने सकारात्मक रूप से लिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे पार्टी के फैसले का समर्थन करते हैं और बदलाव की आवश्यकता को महसूस करते हैं।

अंत में

उत्तराखंड में कैबिनेट विस्तार एक ऐसी प्रक्रिया है जो न केवल नेताओं के लिए बल्कि जनता के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह प्रक्रिया राजनीतिक स्थिरता और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है। अब देखने वाली बात यह होगी कि किस प्रकार के निर्णय लिए जाते हैं और क्या ये निर्णय सच्चा परिवर्तन लाएंगे या सिर्फ दिखावे तक सीमित रहेंगे।

पार्टी के अन्य सदस्यों की बात करें तो यह स्पष्ट है कि नेतृत्व को मजबूती देने और लोगों की समस्याओं का समाधान करने की आवश्यकता है। इस दृष्टिकोण से, कैबिनेट विस्तार एक सकारात्मक दिशा में उठाया गया कदम हो सकता है।

सभी नजरें अब कैबिनेट के आकार और उसके संभावित चेहरों पर टिकी हैं। राजनीति की बारीकियों को समझते हुए, यह भी उम्मीद की जा सकती है कि सत्ताधारी पार्टी के भीतर एक स्वस्थ वातावरण बने और सभी विधायक एकजुट हो कर विकास की दिशा में मिलकर काम करें।

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