Tamil Nadu Minister Criticizes Vijay’s Uncle Comment, Claims Actor Lacks Political Decorum: Details Inside.

तमिलनाडु की राजनीति में विजय की विवादास्पद टिप्पणी
अभिनेता से राजनेता बने विजय ने हाल ही में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को ‘अंकल’ कहकर तमिलनाडु की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस टिप्पणी के बाद सत्तारूढ दल द्रमुक के नेताओं ने विजय पर निशाना साधा है। स्कूल शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने इसे लेकर विजय को अपरिपक्वता का प्रतीक बताते हुए खासी नाराजगी जताई है।
उनका कहना है कि विजय को ये सोचना चाहिए कि क्या केवल एक राजनीतिक पार्टी शुरू कर लेने से वह असंयमित भाषा का प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र हो जाते हैं। महेश ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री का सार्वजनिक जीवन में 50 साल का अनुभव है और विजय जैसे नए नेता को उनके खिलाफ अनुचित शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
कृषि मंत्री एमआरके पन्नीरसेल्वम ने भी विजय की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अभिनेता को राजनीतिक शिष्टाचार का अनुसरण करना चाहिए। पन्नीरसेल्वम ने स्पष्ट किया कि सिनेमा और राजनीति दो अलग-अलग चीजें हैं और विजय को अपने प्रशंसकों के बीच खड़ी भीड़ के प्रभाव में नहीं आना चाहिए।
राज्य के नगर प्रशासन मंत्री केएन नेहरू ने भी विजय पर तीखा व्यंग्य करते हुए कहा कि एक अनुभवी नेता को ‘अंकल’ कहकर संबोधित करना उनकी ओर से निम्न स्तर का संकेत है। उन्होंने बताया कि जनता के समर्थन से द्रमुक 2026 के विधानसभा चुनाव में विजय को करारा जवाब देगी।
विपक्षी दल अन्नाद्रमुक और भाजपा ने भी इस विवाद में कूदते हुए विजय पर निशाना साधा है। पूर्व राज्यपाल डॉ. तमिलिसाई सुंदरराजन ने कहा कि विजय ने भाजपा को फासीवाद से जोड़कर गलत धारणा बनाई। इससे पहले, विजय के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भी तीखी बहस शुरू हो गई है।
इस बीच, अन्नाद्रमुक प्रवक्ता वैगई सेलवन ने स्पष्ट कहा कि विजय और उनका पार्टी गठबंधन 2026 के विधानसभा चुनाव के बाद गायब हो जाएगा। पूर्व राज्य मंत्री आरबी उदयकुमार ने कहा कि विजय के सवाल ‘आखिर एआईएडीएमके किसके हाथ में है?’ पर उन्हें संदेह नहीं होना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे लेकर पलानीस्वामी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है।
इस घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि तमिलनाडु की राजनीति में विजय का बयान केवल एक व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं है, बल्कि इससे एक राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर, यह देखना दिलचस्प होगा कि विजय इस विवाद को कैसे संभालते हैं और क्या यह उनकी नई राजनीतिक पारी को प्रभावित करेगा।
राजनीतिक मंथन जारी है, और सभी पक्ष अब अपने-अपने तरीके से विजय की टिप्पणी का प्रभाव और इसके परिणामों को समझने की कोशिश कर रहे हैं।