रूस-यूक्रेन युद्ध अपडेट: पुतिन और जेलोंकी के बीच 146 कैदियों के आदान-प्रदान पर चर्चा

रूस-यूक्रेन युद्ध: एक नई दिशा की ओर
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष ने दुनिया के प्रतिष्ठित नेताओं की नीतियों और कूटनीति को मजबूरन बदल दिया है। आज, इस युद्ध को तीन साल से अधिक का समय हो चुका है, और अंतिम समाधान की उम्मीद में दोनों पक्षों के बीच वार्ता का दौर जारी है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में यह बयान दिया कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलोंस्की से बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने जेलोंस्की की वैधता पर सवाल उठाया है।
उन्होंने संदेह व्यक्त किया कि क्या जेलोंस्की इस समझौते पर हस्ताक्षर करने की अधिकृत स्थिति में हैं, क्योंकि उनके अनुसार, वर्तमान में वह राष्ट्रपति नहीं हैं। यूक्रेन का कहना है कि जेलोंस्की का कार्यकाल छह महीने पहले समाप्त हो गया था, लेकिन युद्ध के कारण उनके अधिकारों में वृद्धि हुई है। यह स्थिति न केवल यह बताती है कि वार्ता की दिशा में कितनी चुनौतीपूर्ण बाधाएँ हैं, बल्कि यह भी दिखाती है कि यह संघर्ष किस दिशा में बढ़ सकता है।
पुतिन-ट्रम्प की बैठक का प्रभाव
लावरोव का बयान उस समय आया है जब रूसी राष्ट्रपति पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच अलास्का में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। इस मुलाकात के बाद, रूस ने अमेरिका से संबंध सुधारने की गुहार लगाई और ट्रम्प को मॉस्को आने का आमंत्रण दिया। अमेरिकी उपाध्यक्ष जेडी वेंस ने कहा कि रूस ने ट्रम्प की मांगों के बाद समझौते के लिए ‘महत्वपूर्ण रियायतें’ दी हैं।
ट्रम्प की आक्रामक कूटनीति ने युद्ध को समाप्त करने का एक नया रास्ता खोजने का प्रयास किया है, और पुतिन ने इस वार्ता को ‘रचनात्मक और सकारात्मक’ करार दिया है। इस प्रक्रिया में, यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की आवश्यकता है।
रूस की भूमि आकांक्षाएँ
लावरोव ने यह स्पष्ट किया है कि रूस की आकांक्षा क्षेत्र पर कब्जा करने की नहीं है, बल्कि उनकी प्राथमिकता ‘रूसी मूल और वहां रहने वाले लोगों की रक्षा’ करना है। उनका यह भी कहना था कि रूस के पास दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्र है और उन्हें भूमि की कोई आवश्यकतानहीं है। उन्होंने कहा कि रूस को सिर्फ अपने खिलाफ सुरक्षा खतरों को खत्म करने की जरूरत है और यह स्पष्ट है कि उनका लक्ष्य यूक्रेन से आने वाले खतरे को कम करना है।
युद्ध के माध्यम से मानवीय मामलों का समाधान
रूस और यूक्रेन ने हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात की मध्यस्थता में 146-146 कैदियों का आदान-प्रदान किया। रूसी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि सभी जारी किए गए रूसी सैनिक बेलारूस में पहुंचे हैं, जहां उन्हें चिकित्सा और मानसिक सहायता दी जा रही है। इस प्रक्रिया को महत्वपूर्ण माना गया है, जिससे एक सकारात्मक विकास की ओर इशारा मिलता है।
जेलोंस्की ने भी इस आदान-प्रदान को महत्वपूर्ण बताया, जिसमें कई कैदी 2022 से बंधक थे, और उन्होंने इस प्रक्रिया में यूएई की भूमिका की सराहना की। उन्होंने बताया कि कैदियों का आदान-प्रदान अभी भी जारी है, जिससे यह उम्मीद जगती है कि शायद युद्ध की स्थिति में सुधार संभव हो।
तनाव और संघर्ष की वृद्धि
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच तनाव और भी बढ़ता जा रहा है। मास्को ने हाल ही में यूरोपीय नेताओं पर इस संघर्ष को बढ़ाने का आरोप लगाया है, यह दावा करते हुए कि वे यूक्रेन में शांति नहीं चाहते। यह टिप्पणी उस समय की गई जब अमेरिकी उपVice-President जेडी वेंस ने कहा कि अमेरिका वार्ता आयोजित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
लावरोव ने यह भी कहा कि किसी भी नागरिक पर हमले नहीं किए गए हैं और राष्ट्रपति ट्रम्प ने हाल ही में यूरोपीय नेताओं के द्वारा किए गए नकारात्मक बयानों को खारिज किया है।
नतीजे
रूस-यूक्रेन युद्ध ने न केवल क्षेत्र में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी संकट पैदा किया है। यह संघर्ष राजनीतिक, आर्थिक और मानवीय दृष्टिकोण से अत्यधिक जटिल बन चुका है। अब देखना यह होगा कि क्या दोनों पक्ष इस स्थिति को समझने और नियन्त्रण में लाने के लिए सहमत होंगे, या यह संघर्ष और भी भयानक मोड़ लेगा।
इस सब के बीच, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है, और उन्हें इस मुद्दे के समाधान के लिए विचारशील और समर्पित दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता है। भारत, अमेरिका और यूरोपीय देशों सहित सभी प्रमुख ताकतों को आगे आकर एक शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में प्रयास करना चाहिए। अब, जब दुनिया इस युद्ध की गहराई में डूबी हुई है, यह समझना महत्वपूर्ण है कि कूटनीति के रास्ते ही इस संकट का अंतिम समाधान हो सकते हैं।
यह समय की मांग है कि सभी पक्ष आपसी सहमति से आगे बढ़ें और मानवता की भलाई के लिए स्थायी शांति स्थापित करने की दिशा में प्रयास करें।