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अमेरिका भारत से तेल खरीदता है, फिर ट्रम्प को हंगामा क्यों? जानें तेल बाजार का पूरा इतिहास।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत को रूस से तेल खरीदने पर टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने चेतावनी दी कि अगर भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखता है, तो इसके खिलाफ और भी कठोर कदम उठाए जा सकते हैं। ट्रम्प ने 25 प्रतिशत जुर्माना लगाने की बात कही और आरोप लगाया कि भारत रूसी तेल से लाभ उठा रहा है। दूसरी ओर, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मास्को में एक ऐसी प्रतिक्रिया दी है, जिसने कई सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसी देश को भारत से तेल खरीदने में कठिनाई होती है, तो उसे इसे नहीं खरीदना चाहिए और किसी को भी इसके लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। इस संदर्भ में, यह जानना महत्वपूर्ण है कि भारत ने किन देशों से तेल खरीदता है और यह तेल अपने पास कैसे लाता है।

भारत के परिष्कृत तेल के खरीदार कौन हैं?

भारत मुख्य रूप से कच्चे तेल का आयात करता है और फिर परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अमेरिका भी उन देशों में शामिल है जो भारत से परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पाद खरीदने वालों में एक है। इसके अलावा, अन्य देशों में नीदरलैंड, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। यूरोपीय संघ के देश भारत से सबसे अधिक परिष्कृत तेल खरीदते हैं।

भारत ने अब तक रूस से कितना तेल खरीदा है?

2024 में, भारत ने यूरोपीय संघ को $19 बिलियन से अधिक के पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात किया, जबकि 2024-25 में यह आंकड़ा गिरकर $15 बिलियन तक पहुंच गया। GRTI के अनुसार, इसका मुख्य कारण पश्चिमी देशों द्वारा रूस से खरीदे गए कच्चे तेल पर लगाए गए प्रतिबंध हैं। इसके बावजूद, भारत ने 2025 में रूस से $50 बिलियन का कच्चा तेल खरीदा, जो कि रूसी तेल का कुल एक तिहाई है। अब तक भारत ने रूस से 143 बिलियन डॉलर का तेल खरीदा है।

भारत किस देश से तेल खरीदता है?

भारत कच्चे तेल का उपयोग करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। अमेरिका पहले स्थान पर है, जबकि चीन दूसरे स्थान पर है। भारत अपनी आवश्यकताओं का लगभग 85 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है। यह न केवल रूस से, बल्कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, नाइजीरिया, कुवैत, मैक्सिको, और ओमान से भी तेल खरीदता है। अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 के बीच, भारत ने इराक से सबसे अधिक तेल खरीदा। यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में, जब रूस पर प्रतिबंधों का दौर चला, भारत ने रूसी तेल की खरीद में वृद्धि की। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी के अनुसार, पहले 27 देश भारत को तेल बेचते थे, लेकिन अब उनकी संख्या बढ़कर 40 हो गई है।

भारत में तेल के भंडार कहाँ हैं?

भारत में कच्चे तेल का उत्पादन अपेक्षाकृत कम है। असम, पश्चिमी अपात, राजस्थान, गुजरात, और मुंबई में कुछ स्थानीय तेल भंडार मौजूद हैं। इसके अलावा, देश के विभिन्न हिस्सों में और भी तेल भंडार की संभावनाएं बताई जा रही हैं। खासकर, अंडमान सागर में विशाल तेल भंडार की उम्मीद है। जब हम वैश्विक भंडार की बात करते हैं, तो वेनेजुएला के पास सबसे बड़ा तेल भंडार है, उसके बाद सऊदी अरब, ईरान, कनाडा और इराक का स्थान है।

इस परिप्रेक्ष्य में, भारत की तेल नीति और वैश्विक भू राजनीतिक स्थिति पर विचार करना आवश्यक है। भारतीय सरकार द्वारा उठाए गए कदम और विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया यह दर्शाते हैं कि भारत एक स्वतंत्र ऊर्जा नीति को प्राथमिकता देता है। इस दिशा में, भारत को विभिन्न स्रोतों से ऊर्जा प्राप्त करने की आवश्यकता है ताकि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित रख सके और किसी एक देश या क्षेत्र पर निर्भरता कम कर सके।

भारत का ऊर्जा खपत पैटर्न

भारत की ऊर्जा खपत ज्यादातर तेल, कोयला, और प्राकृतिक गैस पर आधारित है। देश की बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिकीकरण की वजह से ऊर्जा की मांग तेजी से बढ़ रही है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भी तेजी से प्रगति कर रहा है। सरकार ने सौर और पवन ऊर्जा के स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए कई पहलों की घोषणा की है। इन पहलों के तहत, भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में कई महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारित किए हैं।

भारत की ऊर्जा नीति और इसके उद्देश्य

भारत की ऊर्जा नीति का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा सुरक्षा को یقینی बनाना है। इसके अंतर्गत ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों का उपयोग करने, उच्च तकनीकी ऊर्जा दक्षता लाने और नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में कदम बढ़ाना शामिल है। इसके अलावा, भारत अन्य देशों के साथ ऊर्जा सहयोग को बढ़ाने का भी प्रयास कर रहा है ताकि संयुक्त रूप से ऊर्जा संकट का समाधान किया जा सके। इस दिशा में अनेक द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता

वैश्विक पैमानों पर ऊर्जा की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग काफी महत्वपूर्ण है। भारत ने कई देशों के साथ ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संधियों की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। ये संधियाँ न केवल कच्चे तेल के व्यापार के लिए हैं, बल्कि नवीकरणीय ऊर्जा, गैस, और तकनीकी सहयोग के लिए भी हो रही हैं।

भारत का नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्‍य

सरकार ने 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा, 2030 तक कुल बिजली उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा 50 प्रतिशत तक पहुंचाने का कार्यक्रम है। यह न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि आर्थिक विकास में भी योगदान देगा।

निष्कर्ष

इस प्रकार, भारत ऊर्जा के लिए एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनता जा रहा है, और उसकी ऊर्जा नीति विभिन्न देशों के साथ सहयोग पर आधारित है। अमेरिका के साथ रुख और रूस से तेल खरीदने के संदर्भ में, भारत एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहता है ताकि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सके।

इस संदर्भ में, यह स्पष्ट है कि भारत की नीति न केवल वैश्विक ऊर्जा संतुलन को प्रभावित कर रही है, बल्कि यह देश की ऊर्जा सुरक्षा को भी सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है। इस दिशा में उठाए गए कदम यह दर्शाते हैं कि भारत चाहता है कि वह एक स्वतंत्र और जिम्मेदार तरीके से अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करे। इसके साथ ही, यह भी आवश्यक है कि भारतीय सरकार और ऊर्जा मंत्रालय न सिर्फ घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सहयोग पर ध्यान केंद्रित करें, ताकि हर किसी के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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