अमित शाह का आरोप: केजरीवाल ने राहुल गांधी के समर्थन में लालू को बचाने वाला बिल फाड़ा

अमित शाह का बयान: विधेयक के समर्थन में तर्क
अमित शाह ने हाल ही में एक विधेयक के संदर्भ में चर्चा की, जिसमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या किसी मंत्री को गंभीर आरोपों में 30 दिन से ज्यादा जेल में रहने पर उनके पद से स्वत: इस्तीफा माना जाएगा। इस विधेयक के पीछे का उद्देश्य स्पष्ट करना था और उन्होंने इसका बचाव करने का प्रयास किया।
विपक्ष पर आरोप
होम मिनिस्टर अमित शाह ने विपक्ष के नेताओं पर निशाना साधा, यह कहते हुए कि उन्हें विधेयक का विरोध करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार कोई विधेयक लाती है, तो उसे संसद में चर्चा के लिए पेश करने का हक है। उन्होंने इसके लिए एक वार्तालाप को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया और कहा कि यह उचित नहीं है कि किसी विधेयक को ही पेश न होने दिया जाए।
राहुल गांधी और नैतिकता का प्रश्न
उन्होंने राहुल गांधी पर भी सवाल उठाए, जब उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों द्वारा लाए गए अध्यादेशों का विरोध करना नैतिकता का मामला नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी नेता का नैतिकता से जुड़े मुद्दों पर इस्तीफा देना सामान्य हो गया है, तो आज की स्थिति में इसकी आवश्यकता क्यों नहीं है।
उत्पीड़न का दावा
जब उनसे पूछा गया कि क्या यह विधेयक विपक्षी नेताओं के उत्पीड़न का कारण बनेगा, तो अमित शाह ने स्पष्ट किया कि ऐसे आरोप निराधार हैं। उन्होंने कहा कि न्यायालय हमेशा कानून और मानवाधिकारों का ध्यान रखते हैं और किसी भी मुद्दे पर जमानत देने का अधिकार उनके पास है।
जेल से सरकार चलाने का सवाल
अमित शाह ने यह भी टिप्पणी की कि कोई भी सरकार जेल से नहीं चलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि किसी नेता को 30 दिन जेल में बिताना पड़ता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे सरकार चलाने के लिए सक्षम हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि ऐसा होना गलत होगा कि जेल में रहकर पीएम हाउस या सीएम ऑफिस चलाया जाए।
अरविंद केजरीवाल पर सीधा हमला
उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर सीधा हमला करते हुए कहा कि जेल में रहने के बावजूद सरकार चलाने का प्रयास एक नई परंपरा स्थापित करने जैसा है। उन्होंने बताया कि भारतीय लोकतंत्र को इस स्थिति से सम्मान नहीं मिलेगा। यदि जेल में होते हुए सरकार का संचालन संभव हुआ, तो इससे लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन होगा।
प्रधानमंत्री का समर्थन
अमित शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री ने खुद इस विधेयक में शामिल करने की इच्छा जताई थी। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि सभी सदस्यों को समान दायित्वों के साथ देखा जाए। उन्होंने न्यायालय की भूमिका पर भी विश्वास व्यक्त किया कि वे उचित समय पर उचित निर्णय लेंगे।
जेपीसी के विरोध पर अमित शाह की बातें
जब बात जेपीसी के विरोध की आई, तो अमित शाह ने कहा कि यदि विपक्ष बायकॉट करता है, तो भी जेपीसी का काम नहीं रुकेगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए, लेकिन यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो यह उनकी समस्या है।
निष्कर्ष
अमित शाह ने अपने बयान में विधेयक के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला। उनका तर्क है कि यदि कोई नेता जेल में है, तो वह सरकार नहीं चला सकता और यह विधेयक इस स्थिति को स्पष्ट करता है। उन्होंने अदालतों की भूमिका और कामकाज की गंभीरता पर भी ध्यान केंद्रित किया। उनका मानना है कि लोकतंत्र और संविधान के अनुसार चलने से ही देश का विकास होगा।