राष्ट्रीय

बांग्लादेश दौरे पर पाक डिप्टी पीएम की उम्मीदें, एक दिन में क्यों बिगड़े रिश्ते? भारत के खिलाफ शर्त भी असफल।

बांग्लादेश के साथ संबंधों में सुधार की पाकिस्तान की कोशिशें

पाकिस्तान ने अपने क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ाने और भारत को चारों ओर से घेरने के लिए बांग्लादेश के साथ संबंध सुधारने का प्रयास किया। हालांकि, यह प्रयास अपेक्षित परिणाम नहीं दे सका। हाल ही में, पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक दार ने बांग्लादेश की दो दिवसीय यात्रा की, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच के संबंधों को मजबूत करना था। दिल्ली की नज़र में यह यात्रा महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इससे पाकिस्तान की कूटनीतिक रणनीतियाँ और भारत के प्रति उसके इरादे स्पष्ट होते हैं।

बांग्लादेश में इशाक दार का स्वागत

इशाक दार बांग्लादेश के दौरे पर पहुंचे, और उनकी यह यात्रा 2012 के बाद से किसी भी पाकिस्तानी नेता की पहली यात्रा थी। लेकिन पहले ही दिन, ढाका ने उन्हें एक कठोर प्रतिकूलता का सामना कराया। धारणा यह थी कि बांग्लादेश अब अपने पुराने दुश्मन का सामना करने को तैयार है। बांग्लादेश की सरकार ने इशाक दार को यह स्पष्ट किया कि 54 वर्षों के अनसुलझे मुद्दों को हल करना एक दिन में संभव नहीं है, जो एक नकारात्मक संकेत था पाकिस्तान के लिए।

1971 का युद्ध और बांग्लादेश के भावनात्मक मुद्दे

इशाक दार के समक्ष, बांग्लादेश ने 1971 के युद्ध के लिए माफी की मांग की। बांग्लादेश ने इस समय पर युद्ध के दौरान हुए अत्याचारों को भी याद किया, जिसमें बलात्कार और हत्या की घटनाएं शामिल थीं। इन घटनाओं ने बांग्लादेश के लोगों के मन में गहरी छाप छोड़ी है, और ऐसी मांगों को उठाना इस परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

बांग्लादेश के विदेश सलाहकार ने इस मुद्दे पर बातचीत करते हुए कहा, “हमने अनसुलझे मुद्दों को उठाया है, लेकिन यह उम्मीद करना गलत होगा कि 54 वर्षों की समस्याओं का समाधान एक ही दिन में हो जाएगा।” इस तरह की बातें स्पष्ट रूप से दिखाती हैं कि बांग्लादेश अब पाकिस्तान के प्रति उतना उदार नहीं है जितना पहले हो सकता था।

द्वि-पक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिशें

इशाक दार ने बांग्लादेश के साथ संबंधों को सुधारने के लिए बातचीत की, लेकिन बांग्लादेश के विदेश सलाहकार ने कहा कि कोई भी समाधान एक ही बैठक में नहीं निकलेगा। हुसैन ने कहा कि, “हमारे बीच जो एकता है और जो समस्याएं लंबित हैं, उन्हें समझना आवश्यक है।” उन्होंने यह भी बताया कि दोनों पक्ष आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और बात करेंगे।

इस रास्ते पर चलने के लिए, दोनों देशों ने समझौते और पांच एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस संबंध में चर्चा करने के लिए ऐतिहासिक मुद्दों को उठाने पर सहमति बनी। इससे यह स्पष्ट होता है कि दोनों देशों के बीच संवाद खुला रहा है, लेकिन भारतीय दृष्टिकोण से यह मुद्दा चिंताजनक हो सकता है।

पाकिस्तान की रणनीतियाँ: भारत पर दबाव बनाने के प्रयास

पाकिस्तान का इरादा स्पष्ट है – वह भारत को पूर्व और पश्चिम की दिशा से घेरने के लिए बांग्लादेश का समर्थन चाहता है। इससे पहले इशाक दार ने चीनी विदेश मंत्री के साथ भी मुलाकात की थी, जो इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान अपने सहयोगी देशों के माध्यम से कूटनीतिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।

हालांकि, पाकिस्तान का ये प्रयास हर बार विफल साबित हो रहा है। 2012 में, जब भूतपूर्व विदेश मंत्री हिना रबैनी खार ने ढाका का दौरा किया था, तब भी बांग्लादेश ने भारत के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता दी थी। इस बार भी, इशाक दार की कोशिशों को बांग्लादेश ने सिरे से नकार दिया।

बांग्लादेश का पाकिस्तान के प्रति दृष्टिकोण

डार की यात्रा के बाद बांग्लादेश में इस बात को लेकर गंभीर चर्चाएं चल रही थीं कि क्या पाकिस्तान अपनी 1971 की ज्यादतियों के लिए माफी मांगेगा। बांग्लादेश के लोग इन घटनाओं को भूले नहीं हैं, और उन पर पाकिस्तान की आलोचना जारी है। बांग्लादेश में अभी भी 1971 के रक्तरंजित इतिहास की यादें ताजा हैं, और इसलिए इस मुद्दे पर पाकिस्तान की कोई भी पहल सतही साबित हो सकती है।

हसीना सरकार के विकास और पाकिस्तान के खिलाफ कड़े रवैये ने बांग्लादेश की ओर से एक मजबूत नाराज़गी फैलाई है, जो पाकिस्तान के नापाक इरादों को नकारने के रूप में सामने आई है।

निष्कर्ष

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच संबंधों को सुधारने का प्रयास फिर से एक कठिन यात्रा में बदल गया है। बांग्लादेश ने स्पष्ट कर दिया है कि 54 वर्षों के अनसुलझे मुद्दों को हल करने की कोई उम्मीद नहीं है। पाकिस्तान को यह समझना होगा कि उसकी ऐतिहासिक गलतियों का जवाब उसे बांग्लादेश की सरकार से मिल सकता है।

जैसे-जैसे समय बीत रहा है, भारत के प्रति पाकिस्तान का दबाव कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। बांग्लादेश ने यह दिखाया है कि वह अपने हितों का रक्षा करने के लिए दृढ़ संकल्पित है और पाकिस्तान को अपनी एतिहासिक गलतियों के लिए जवाबदेह ठहराएगा। ऐसे में, यह देखना भी दिलचस्प हो सकता है कि भविष्य में दोनों देशों के संबंध कैसे विकसित होते हैं और क्या पाकिस्तान अपनी कूटनीतिक रणनीतियों में कोई बदलाव ला सकता है।

Related Articles

Back to top button