मथुरा

श्री स्वामी हरिदास अविरभव महोत्सव: समर्पित संगीत और भक्ति के साथ मथुरा में आयोजित

मथुरा न्यूज – न्यू डे श्रीसवामी हरिदास अवारी भवा महोत्सव

रविवार से श्रीसवामी हरिदास सेवा संस्कृत में न्यू डे श्रीसवामी हरिदास अवारी भवा महोत्सव का प्रारंभ हुआ। यह कार्यक्रम 1975 से लगातार चल रहा है और अब यह क्षेत्र का एक प्रमुख त्योहार बन चुका है।

कार्यक्रम के संयोजक ने बताया कि यह महोत्सव बाबा विश्वेश्वर दास द्वारा शुरू किया गया था और इसे श्रीहरिदास अवर्भव महोत्सव के रूप में स्थापित किया गया था। अब यह एक सांस्कृतिक पर्व का रूप ले चुका है। महोत्सव का मुख्य उद्देश्य भक्तों में भक्ति का संचार करना और श्री स्वामी हरिदास की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करना है।

इस धार्मिक कार्यक्रम की शुरुआत शास्त्रीय संगीत गायक कामोद मिश्रा ने धप्रड़ शैली में राग असवारी के साथ की। उन्होंने स्वामी हरिदास द्वारा रचित “माई री साहज जोरी” गीत पेश किया, जो सभी उपस्थित भक्तों को भावविभोर कर गया। मंगलाचरण ‘नामो नमो श्रीहरिदास’ को भक्तमाली किशोर शरण ने खूबसूरती से प्रस्तुत किया।

महंत किशोर दास देव जू ने ‘श्याम प्यारी कुंज बिज बिहारी’ भजन गाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा कि स्वामी श्रीहरिदास केवल प्राणियों का कल्याण करने के लिए अवतार लिया था और उन्होंने भक्ति में गहराई से गूढ़ता को उजागर किया है।

जेटरेडम के प्रमुख विपीन बिहारिदास ने कहा कि मन को ध्यान केंद्रित करके श्री प्रियालाल के चरणों में समर्पित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपने अतीत पर विचार करने की आवश्यकता है, ताकि वे अपने जीवन को और अधिक सार्थक बना सकें।

बाबा सोहनी शरण ने स्वामीजी के रस गुप्त रस का अनेक तरीकों से वर्णन किया। उन्होंने यह भी कहा कि यह रस प्रकट नहीं हुआ है, लेकिन श्रीस्वामी हरिदास ने इसे अनुभव किया और भक्तों के लिए उजागर किया।

इस कार्यक्रम में विभिन्न साधु-संतों ने भाग लिया, जिनमें बाबा दिवस, मुकेश सरस्वत, बाबा चित्रा बिहारिदास, राधेश, बिहारिदास, दासबीहारिदास, राघव मिश्रा, जुगल किशोर दास शामिल थे।

महोत्सव को सुंदर बनाने के लिए कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिनमें भजन, कीर्तन और धार्मिक संवाद शामिल थे। इन कार्यक्रमों ने सभी भक्तों को गहरी भक्ति की अनुभूति कराई और उन्हें एकजुट किया।

भविष्य में, आयोजक इसे और भी बेहतर बनाने की योजना बना रहे हैं और यह सुनिश्चित करेंगे कि यह महोत्सव हर साल भक्तों को और भी अधिक श्रद्धा और भक्ति से भर दे।

इस महोत्सव में उपस्थिति एक संकेत है कि भक्ति की भावना अभी भी जिंदा है और यह नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी। अगली पीढ़ी को भी इस प्रेम और भक्ति परंपरा को आगे बढ़ाने का कार्य करना होगा, ताकि यह महोत्सव और भी समृद्ध हो सके।

स्वामी हरिदास के योगदान को याद करते हुए भक्तों ने अपने जीवन में भक्ति और संजीवनी को आत्मसात करने का संकल्प लिया। इस महोत्सव ने न केवल धार्मिक भावनाओं को जागृत किया, बल्कि सांस्कृतिक एकता को भी मजबूत किया।

इस प्रकार, न्यू डे श्रीसवामी हरिदास अवारी भवा महोत्सव एक महत्वपूर्ण कदम है जिसे हमेशा याद रखा जाएगा। आयोजकों के प्रयासों और भक्तों की उपस्थितियों ने इस महोत्सव को एक सफल और भव्य रूप दिया है।

अब हर साल, यह महोत्सव भक्तों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है और यह संपूर्ण समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है। आने वाले वर्षों में, इस महोत्सव के आयोजक इसे और भी भव्य बनाने की योजना बना रहे हैं।

धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से, भक्तों ने न केवल धर्म को सजीव किया है बल्कि इसे अपनी जीवनशैली का एक हिस्सा भी बना लिया है।

स्वामी हरिदास के शिक्षाओं की महत्ता को समझते हुए, सभी उपस्थित भक्तों ने संकल्प लिया कि वे अपने जीवन में इन मूल्यों को अपनाएंगे और भक्ति को सर्वोच्च मानते हुए अपने कार्यों को अंजाम देंगे।

यह महोत्सव केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमें एकजुट करता है और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

इस प्रकार, यह कहना गलत नहीं होगा कि न्यू डे श्रीसवामी हरिदास अवारी भवा महोत्सव एक अनूठा अवसर है, जो भक्तों के जीवन में प्रेम और एकता का संचार करता है।

भविष्य में, सभी का यह प्रयास रहेगा कि इस महोत्सव को और भी भव्य बनाया जाए और इसकी हम सब के जीवन में अनंत महत्ता बनी रहे। इसके साथ ही, यह सभी को एक ऐसा मंच प्रदान करता है जहां वे अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं और एक-दूसरे से प्रेरित हो सकते हैं।

माथुरा में आयोजित होने वाला यह महोत्सव न केवल स्थानीय भक्तों बल्कि दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी एक अद्वितीय अनुभव है।

भक्ति और प्रेम का यह पर्व सभी को एकजुट करता है और एक संदेश देता है कि प्रेम और श्रद्धा ही जीवन का असली सार है।

इसी प्रकार हमारा यह प्रयास रहेगा कि हर वर्ष इस महोत्सव को और भी भव्य तरीके से मनाया जा सके और सभी भक्तों को एक समान अनुभव मिल सके।

स्वामी हरिदास के चरणों में श्रद्धा और भक्ति के साथ, हम सभी का उद्देश्य यह है कि हम अपने जीवन को इन्हीं मूल्यों के अनुसार ढालें और अपने चारों ओर भक्ति का संचार करें।

इस महोत्सव में भाग लेने वाले सभी भक्तों का हर्ष और उल्लास यह दर्शाता है कि भक्ति का इतिहास और संस्कृति जीवित है और इसे आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है।

इस धार्मिक आयोजन से जुड़े हर व्यक्ति ने इस बात का ध्यान रखा है कि हम सभी को एकजुट होकर एक ही उद्देश्य की ओर बढ़ना है। स्वामी हरिदास का यह महोत्सव केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि हमारी भावुकता और श्रद्धा का प्रतीक है।

इस प्रकार, हम सभी को इस महोत्सव को याद रखना चाहिए और इसे मनाने के लिए समर्पित रहना चाहिए, ताकि आने वाले वर्षों में भी यह परंपरा जीवित रहे।

धन्यवाद!

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