छात्र ने प्रेमनंद महाराज से मिलने 400 किमी साइकिल यात्रा की, पूरी कहानी जानें।

लखनऊ का छात्र प्रेमनंद महाराज से मिलने के लिए साइकिल से वृंदावन पहुंचा
लखनऊ का एक सातवीं कक्षा का छात्र प्रेमनंद महाराज से मिलने के लिए लगभग 400 किलोमीटर की दूरी साइकिल चलाकर वृंदावन पहुंचा। यह घटना तब हुई जब उसने अपनी मां से पढ़ाई के लिए डांट सुनी, जिसके बाद उसने अपने घर से बिना बताए निकलने का निर्णय लिया।
घटना की शुरुआत
यह सब 20 अगस्त को हुआ। छात्र ने अपनी मां से किताबों के लिए 100 रुपये मांगे, लेकिन उसकी मां ने उसे डांटते हुए कहा कि वह अध्ययन नहीं करता है और उसे पैसे तब मिलेंगे जब उसके पिता घर आएंगे। मां के इस जवाब से नाराज होकर, छात्र ने एक रेंजर साइकिल ली और घर से निकल पड़ा। जब वह देर शाम तक वापस नहीं आया, तो परिवार ने चिंता जताई और पैरा पुलिस स्टेशन में लापता रिपोर्ट दर्ज कराई।
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की जांच की और देखा कि छात्र साइकिल पर घर से निकला था। इसके बाद, पुलिस ने उसकी खोज शुरू की और अंततः वृंदावन के एक आश्रम में उसकी लोकेशन पता की।
छात्र की यात्रा
छात्र ने आगरा एक्सप्रेसवे पर 70 किलोमीटर की दूरी तय की, जबकि एक्सप्रेसवे पर साइकिल चलाना मना था। फिर भी, वह बंगारौ पहुंचा और वहां के कर्मचारियों को पता नहीं चला। उच्च अधिकारियों ने जब इस बारे में जानकारी प्राप्त की, तो उन्होंने कर्मचारियों को फटकार लगाई।
छात्र ने बताया कि उसने प्रेमनंद महाराज से मिलने का मन बनाया था क्योंकि उसे उनका बहुत पसंद था। उसने टोल प्लाजा को पार करते समय अपनी शर्ट उतारकर उसे साइकिल के हैंडल में बांध दिया और “राधा-राधा” का जाप करते हुए आगे बढ़ा।
मां की चिंता
छात्र की मां ने अपने मोबाइल में लखनऊ से मथुरा की दूरी की जांच की। उन्होंने पुलिस को बताया कि उनका बेटा अक्सर प्रेमनंद महाराज के वीडियो देखता था और उनसे मिलने की इच्छा व्यक्त करता था। पुलिस ने यह भी पता लगाया कि छात्र ने बंगारौ से एक ट्रक में बैठकर आगरा के पास पहुंचा और यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से वृंदावन पहुंचा।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने मामले की जानकारी डिप्टी आयुक्त को दी, जिसके निर्देश पर दो टीमें बनाईं गईं। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज का पुनः निरीक्षण किया और छात्र की दिशा के आधार पर सुराग जुटाए। अंततः, छात्र को वृंदावन के आश्रम से सुरक्षित बरामद कर लिया गया और उसके परिवार को सौंप दिया गया।
निष्कर्ष
यह घटना हमारे समाज में बच्चों की जिज्ञासा और उनकी इच्छाओं को दर्शाती है। कभी-कभी, बच्चे अपने अनुभवों और पसंदीदा व्यक्तियों से प्रेरित होकर बड़े फैसले ले लेते हैं। यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि हमें बच्चों की भावनाओं और इच्छाओं को समझना और सम्मान करना चाहिए।
छात्र की यह साहसी यात्रा न केवल उसके साहस को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि किस तरह एक बच्चा अपने सपनों का पीछा करने के लिए कोई भी कठिनाई सहन कर सकता है। माता-पिता को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने बच्चों के सपनों और उनकी इच्छाओं का समर्थन करें, ताकि वे सुरक्षित और समझदारी से अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ सकें।



